कोरोना काल में ऑनलाइन क्लासेस के लिए फीस भरने से अभिभावकों ने इनकार कर दिया है। मंगलवार को फातिमा कॉन्वेंट स्कूल पहुंचे अभिभावकों ने स्कूल प्रबंधन को स्पष्ट किया है कि महज एक घंटे की ऑनलाइन क्लासेस के एवज में उन्हें 2400 रुपए स्कूल फीस का भुगतान करने का दबाव बनाया जा रहा है। इसका भुगतान करने में वे असक्षम है।
अभिभावक निर्भय मीणा, आशीष शर्मा, रूपेश गेलड़ा, सोनाली गेलड़ा, जावेद अंसारी, शिल्पा गुप्ता ने स्कूल प्रबंधन को स्पष्ट कहा कि फिलहाल न तो व्यापार चल रहा है, न रोजगार नियमित है, ऐसी स्थिति में भी स्कूल महज ऑनलाइन क्लासेस के लिए पूरी फीस मांग रहे हैं। जब स्कूल खुल ही नहीं रहे तो फीस कैसी। जब भी स्कूल खुलेंगे और नियमित कक्षाएं सुचारू होंगी, फीस का भुगतान पालक कर देंगे, लेकिन फिलहाल ऑनलाइन क्लासेस की फीस से उन्हें राहत दी जाएं।
नेट का इतना खर्चा, कहां से लाए महंगा मोबाइल
पालकों का यह भी तर्क था कि ऑनलाइन क्लासेस के लिए इंटरनेट का खर्चा अलग से उन पर आ गया है। हाईस्पीड नेट कनेक्टिविटी व पाठ्यक्रम डाउनलोड करने के लिए भी अच्छी कंपनी का मोबाइल जरूरी है। पहले से उन पर यह अनावश्यक बोझ है। उस पर भी स्कूल पूरी फीस मांग रहे हैं। जबकि स्कूल खुलने तक पालकों को फीस से राहत दी जाना चाहिए। स्कूल प्रबंधन ने फिलहाल मामले में चुप्पी साध ली है।
स्कूल प्रबंधकों का तर्क
ऑनलाइन क्लासेस के लिए फीस वसूली का विरोध करने पर शहर के निजी स्कूल संचालकों का कहना है कि ऑनलाइन क्लासेस में भी शिक्षक ही पढ़ाते हैं। अगर फीस नहीं मिलेगी तो वे शिक्षकों को वेतन का भुगतान कैसे करेंगे। 5 माह से स्कूल का स्थापना खर्च जेब से भर रहे हैं।
बिजली बिल, बैंक, ऑफिस स्टाफ, मेंटेनेंस के खर्च में तो कोई कमी नहीं की जा सकती। मार्च में ही लॉकडाउन होने से जो अभिभावक सालाना फीस भरते हैं, वो अब तक बकाया है। यह राशि लाखों रुपए में है। जो बेरोजगार हुए हैं, वे अभिभावक फीस न भरें तो समस्या समझी जा सकती है। मगर जो अभिभावक रोजगार में है, व्यापार भी कर रहे हैं। वे अगर नई तो दूर बकाया फीस का भुगतान करने में आनाकानी करें तो संचालन कैसे करें।
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