देवास 20 अगस्त 2020
उप संचालक किसान कल्याण तथा कृषि विकास श्रीमती नीलम
सिंह चौहान ने बताया कि जिले में वर्तमान में सोयाबीन की फसल में रोग एवं
कीटव्याधि का प्रकोप होने की स्थिति बनी हुइ है। जिसको ध्यान में रखते हुये, जिलास्तर पर गठित डायग्नोस्टिक टीम
द्वारा 20 अगस्त को विकासखण्ड खातेगांव के
बरवईखेडा, बरवई, खातेगांव, बरछाबुजुर्ग, लवरास, दुलवा, रामनगरकला, नेमावर, निमनपुर, बजवाडा, मण्डनेश्वर,
दावठा, बागदा, छोटी बरछा एवं साकट्या ग्रामों के कृषकों के खेतों में सेायाबीन फसल
का निरीक्षण किया, जिसमें सोयाबीन की फसल में फफूंद जनित
एन्थ्रेकनोज नामक बीमारी का प्रकोप पाया गया।
कृषि विज्ञान केन्द्र देवास के वरिष्ठ वैज्ञानिक
एवं प्रमुख डॉ. ए. के. दीक्षित ने कृषकों को सलाह दी की सोयाबीन की फसल में फफूंद
जनित एन्थ्रेकनोज नामक बीमारी का प्रकोप हुआ है, जिसके नियंत्रण के लिए टेबूकोनाझोल 625 मिली प्रति हैक्टर अथवा
टेबूकोनाझोल+सल्फर 1 किलोग्राम प्रति हैक्टर अथवा पायरोक्लोस्ट्रोबीन 20 प्रतिशत
डब्ल्यू.जी. 500 ग्राम प्रति हैक्टर या हेक्सोकोनोझोल 5 प्रतिशत ईसी. 800 मिली.
प्रति हैक्टर का छिडकांव करने से उक्त बीमारी पर नियंत्रण पाया जा सकता है।
कृषि विज्ञान केन्द्र देवास के वैज्ञानिक डॉ महेन्द्रसिंह ने कृषकों को
सफेद मक्खी एवं कीट नियंत्रण हेतु थायमिथोक्सोजाम 12.6 प्रतिशत+लेम्डा
सायहेलोथ्रिन 9.5 प्रतिशत 125 मिली. प्रति हैक्टर की दर से 500 लीटर पानी में घोल
बनाकर छिड़काव करने की सलाह दी। डायग्नोस्टिक टीम में सहायक संचालक कृषि एवं नोडल
अधिकारी श्री लोकेश गंगराड़े, वरिष्ठ
कृषि विकास अधिकारी श्री एन.एस. गुर्जर, क्षेत्रीय ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी श्री ब्रजेश उपाध्याय, श्री व्यास शामिल है।