कलेक्टर उपखण्ड स्तरीय वनाधिकार समिति की बैठक ढीमरखेड़ा में सम्पन्न - Daily Hindi Paper | Online GK in Hindi | Civil Services Notes in Hindi

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गुरुवार, 6 अगस्त 2020

कलेक्टर उपखण्ड स्तरीय वनाधिकार समिति की बैठक ढीमरखेड़ा में सम्पन्न


कटनी (5 अगस्त)- अनुसूचित जनजाति एवं अन्य परम्परागत अधिकारों की मान्यता अधिनियम 2006 एवं नियम 2008 के तहत वनमित्र पोर्टल में अमान्य दावों के परीक्षण उपरान्त जिला समिति द्वारा पुर्नविचार के लिये वापस किये गये दावों का उपखण्ड स्तरीय समितियों द्वारा परीक्षण कर सकारात्मक निराकरण किया जाये। इस आशय के निर्देश कलेक्टर शशिभूषण सिंह ने अनुविभाग ढीमरखेड़ा में वन मण्डलाधिकारी रमेश चन्द्र विश्वकर्मा के साथ ली गई उपखण्डस्तरीय एवं एफआरसी लेवल की समितियों की संयुक्त बैठक में समीक्षा के दौरान दिये। इस मौके पर एसडीएम सपना त्रिपाठी, नायब तहसीलदार एच0एस0 धुर्वे, जिला संयोजक आदिम जाति सरिता नायक, अनुविभागीय अधिकारी वन, सीईओ जनपद विनोद पाण्डेय और समिति के सदस्य तथा ग्राम सचिव, पटवारी एवं अन्य राजस्व, वन विभाग के अधिकारी उपस्थित थे।

            कलेक्टर श्री सिंह ने कहा कि वन अधिकार अधिनियम के तहत पात्र हितग्राही को किस प्रकार की भूमि पर काबिज होने पर अधिकार पत्र दिया जाना है, यह अधिनियम में स्पष्ट दर्शाया गया है। डीम्ड फॉरेस्ट, राजस्व की भूमि के छोटे-बड़े झाड़ के जंगल और वन विभाग को वर्किंग प्लान के तहत दी गई राजस्व भूमि में भी वन अधिकार पत्र पात्र हितग्राहियों को दिया जाना है। उन्होने कहा कि खालिस राजस्व की भूमि और पुराने जंगल के वृक्ष या सघन वन में भू-अधिकार के पट्टे नहीं दिये जा सकेंगे। कलेक्टर ने कहा कि जिलास्तरीय समिति द्वारा वापस पुर्नविचार के लिये भेजे गये अमान्य दावों का पुनः परीक्षण करें और साक्ष्य एवं दावा प्रमाण सहित प्रकरणों का सकारात्मक निराकरण करें। ताकि कोई भी पात्र हितग्राही अपनी काबिज जमीन के अधिकार पत्र से वंचित नहीं रहने पाये।

            कलेक्टर श्री सिंह ने सत्यापन परीक्षण के लिये अधिक संख्या में लंबित अमान्य दावों वाली पंचायतों, भमका, दादर सिंहुड़ी, बिचुआ सहित अनेक पंचायतों में लंबित दावों की समीक्षा की। उन्होने कहा कि कल गुरुवार तक अधिकाधिक संख्या में अमान्य दावों का सकारात्मक निराकरण कर उपखण्ड स्तरीय समितियों को प्रस्तुत करें। उपखण्ड स्तरीय समिति शीघ्र जिला समिति से अनुमोदन प्राप्त कर अमान्य दावों का निराकरण करायें।

            वन मण्डलाधिकारी रमेश चन्द्र विश्वकर्मा ने बताया कि वनाधिकार अधिनियम के परिदृश्य में ढीमरखेड़ा क्षेत्र में कुल 2220 हैक्टेयर क्षेत्र वन भूमि अतिक्रमित है। जिसमें 400 हैक्टेयर क्षेत्र के वन अधिकार पत्र जारी किये जा चुके हैं। लगभग 800 हैक्टेयर क्षेत्र की वन भमि अनुचूति जनजाति से भिन्न अन्य द्वारा अतिक्रमित है। एफआरए के तहत लगभग 600 हैक्टेयर भूमि शेष है। जिन पर पात्र हितग्राही के दावों पर उदारता पूर्वक विचार कर नियमों की परिधि में आने वाले काबिजों को वन अधिकार प्रदान करना है। ढीमरखेड़ा क्षेत्र में कुल 2774 दावे प्राप्त हुये हैं। जिनमें 1113 नवीन दावे हैं तथा 1161 निरस्त दावे हैं, जो अनुसूचित जनजाति एवं अन्य के हैं। इनमें से 102 अमान्य दावों को परीक्षण उपरांत अधिकार पत्र दिये गये हैं। 1559 दावे शेष हैं। 718 दावेदारों का कब्जा वन भूमि पर नहीं होकर खालिस राजस्व की भूमि पर है। जबकि 162 ने पुनः दावेदारी प्रस्तुत की है। 400 से अधिक व्यक्तियों का दावा अनुसूचित जनजाति से भिन्न होने पर पात्र नहीं हैं। इस प्रकार कुल 280 के आसपास अमान्य दावे हैं, जिनका निराकण किया जाना है।

            वन मण्डलाधिकारी ने बताया कि राजस्व की वर्किंग प्लान में शामिल भूमि के खसरों के नंबर की जानकारी राजस्व अधिकारियों को वन क्षेत्रवार दी गई है। खसरों पर आने वाले दावे का मिलान इससे किया जा सकता है। उन्होने बताया कि दावेदार की मृत्यु अथवा कालखण्ड में उसके बाहर चले जाने पर उसकी मान्यता की दावेदारी खत्म नहीं होती है। एसडीएम सपना त्रिपाठी ने बताया कि अमान्य दावे दो ही कारणों से खारिज किये गये हैं। जिनमें या तो वनभूमि होने की पात्रता नहीं है या फिर उस भूमि का पूर्व में पट्टा जारी हुआ है।

कलेक्टर एवं डीएफओ ने किया सिंहुड़ी दादर के जंगलों का भ्रमण

            कलेक्टर शशिभूषण सिंह और वन मण्डलाधिकारी रमेश चन्द्र विश्वकर्मा ने ढीमरखेड़ा में वन अधिकार अधिनियम के दावा निराकरण की समीक्षा बैठक के बाद सिंहुड़ी दादर के वनक्षेत्र में पैदल भ्रमण कर दावों का मौके पर मुआयना किया। इस मौके पर एसडीएम सपना त्रिपाठी, जिला संयोजक आदिम जाति सरिता नायक, नायब तहसीलदार एवं राजस्व अधिकारी तथा ग्राम वन समिति के सदस्य भी उपस्थित थे।

            ग्राम दादर सिंहुड़ी में कुल 126 अमान्य दावे पाये गये थे। जिनमें परीक्षण कर 23 पात्र दावेदारों को वन अधिकार की मान्यता दी गई है। इसके पूर्व 27 दावेदारों को वन अधिकार पत्र दिया जा चुका है। कुछ व्यक्तियों ने पुराने घने जंगल में लेटांना घास की सफाई करने के फलस्वरुप वनक्षेत्र में वनभूमि पर काबिज होने का दावा प्रस्तुत किया था। जिसका अधिकारियों ने मौका मुआयना किया।