सिवनी 27 सितम्बर 2020
विगत दिवसों में जिला मुख्यालय में महसूस की गई भु-गर्भिक हलचल को लेकर कलेक्टर डॉ राहुल हरिदास फटिंग द्वारा भारतीय भू वैज्ञानिक-सर्वेक्षण विभाग जबलपुर को लिखे गए पत्र के परिपालन में सर्वेक्षण विभाग के जियोफिजिसिस्ट एम एस पठान एवं असिस्टेंट जियोलॉजिस्ट सुजीत कुमार द्वारा विगत 7 सितंबर को सिवनी पहुँचकर सर्वेक्षण किया।
भू वैज्ञानिक सर्वेक्षण विभाग द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट में सिवनी जिले के सेंट्रल इंडियन टेक्टोनिक ज़ोन में स्थित होने का लेख करते हुए। प्रथम दृष्टया, लगातार झटकों को "भूकंप के झुंड" के रूप में वर्गीकृत किया है। यह निम्न परिमाण के झटके हैं, जो भारी वर्षा के बाद छोटे क्षेत्र में कुछ मामलों में महीनों तक चलते हैं। मानसून के कारण पानी की मेज में बदलाव के कारण इस तरह के झटको की संभावना होती है।
वर्षा जल के अंदुरूनी चट्टानों में रिसने से अंदर का दबाव बढ़ जाने के कारण भी इस तरह के क्वेक या स्वार्म्स की संभावना बनती हैं। रिपोर्ट में भू गर्भिय घटनाओं के विस्फोट की ध्वनि के साथ होने को स्रोत क्षेत्र के बहुत उथला होने की संभावना व्यक्त की गई है। बारिश के बाद तीन-से-चार महीनों में यह जल-भूकंपीय घटनाये स्वतः समाप्त हो जाती हैं। यह छोटे झटके लोगो एवं सम्पति के लिए नुकसानदेह नही होते हैं।