ऑस्ट्रेलिया की मोनाश यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने 10 साल तक रिसर्च के बाद 'बायोनिक आंख' बनाई है। इसके जरिए लोगों को दृष्टिहीनता से छुटकारा मिल सकेगा। इसका ट्रायल हो चुका है। अब इसे मनुष्य के मस्तिष्क में लगाने की तैयारी चल रही है। दावा है- यह दुनिया की पहली बायोनिक आंख है।
इसे लगाई वायरलेस ट्रांसमीटर चिप
यूनिवर्सिटी के इलेक्ट्रिकल और कंप्यूटर इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर लाओरी ने बताया कि हमने एक ऐसी वायरलेस ट्रांसमीटर चिप तैयार की है, जो मस्तिष्क की सतह पर फिट की जाएगी। हमने इसे 'बायोनिक आई नाम दिया है। इसमें कैमरे के साथ एक हेडगियर फिट किया गया है, जो आसपास होने वाली हरकतों पर नजर रखकर सीधे दिमाग से संपर्क करेगा।
इस डिवाइस का साइज 9गुणा9 मिमी है। इस आंख को बनाने में 10 साल से ज्यादा समय लगा है। प्रोफेसर लाओरी के मुताबिक, बायोनिक आंख जन्म से नेत्रहीन व्यक्ति को भी लगाई जा सकेगी। शोधकर्ताओं ने डिवाइस बेचने के लिए फंड की मांग की है। हालांकि, इसके शोधकर्ताओं को पिछले साल 7.35 करोड़ रुपए का फंड दिया गया था।
पिछले साल भेड़ों पर किया था ट्रायल
मोनाश बायोमेडिसिन डिस्कवरी इंस्टीट्यूट के डॉक्टर यान वोंग के मुताबिक, शोध के दौरान 10 डिवाइस का भेड़ों पर परीक्षण किया गया था। इनमें से 7 डिवाइस भेड़ों के स्वास्थ्य को बिना नुकसान पहुंचाए 9 महीने तक एक्टिव रही थीं। उधर, डॉ. ल्यूस ने कहा- यदि डिवाइस कारगर साबित हुई तो इसे बड़े पैमाने पर तैयार किया जाएगा।
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