सीएसआईआर-सीएमईआरआई ने कृषि क्षेत्र में जल
संकट से निपटने के लिए सस्ता सौर ऊर्जा चालित बैटरी आधारित स्प्रेयर विकसित किया
जल एक अनमोल संसाधन है और जल की कमी पूरे राष्ट्र पर भारी पड़ रही है। सिंचाई में लगभग 70% जल की खपत करने वाली कृषि क्षेत्र इस संकट के कारण अर्थव्यवस्था का सबसे कमजोर क्षेत्र बन गया है। इस मुद्दे के समाधान के लिए लगभग प्रत्येक भूमि क्षेत्र में सौर पंप को लागू करने पर चर्चा हुई है।
सौर पंपों के अलावा, वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद-केन्द्रीय यांत्रिक अभियांत्रिकी अनुसंधान संस्थान (सीएसआईआर-सीएमईआरआई) सिंचाई के लिए आवश्यक जल की खपत को कम करने के तरीकों पर कार्य कर रहा है। शुरुआत में, ड्रिप सिंचाई पद्धित पर विचार किया गया था, लेकिन बाद में यह महसूस किया गया कि ड्रिप सिंचाई पद्धित छोटे किसानों से लेकर सीमांत किसानों तक के लिए सस्ता नहीं है, जिनकी भारतीय कृषि परिदृश्य में प्रमुख हिस्सेदारी हैं। ये किसान कुछ हजार रुपये की लागत वाले हाथ से चलने वाले छिड़काव यंत्र (मैनुअल स्प्रेयर्स) का उपयोग करते हैं।
उपलब्ध जानकारी के अनुसार, कीटनाशक फसल की उत्पादकता बढ़ाने में
बहुत बड़ी भूमिका निभाते हैं, लेकिन
उपयुक्त मशीनरी की कमी के कारण बड़ी मात्रा में कीटनाशक स्प्रे बर्बाद हो जाता है
और मृदा, जल तथा वायु प्रदूषित हो जाता है।
कीटनाशकों के ऐसे हानिकारक प्रभावों के कारण, उनके
उपयोग को कम करने और उनके छिड़काव को अधिक कुशल बनाने के लिए दबाव बढ़ रहा है।
कुशल छिड़काव करने वाला यंत्र बनाने के लिए सतह के फैलाव, दलदलापन या श्यानता, भारता, वायु का प्रवाह, गतिशील
दबाव, कण का आकार आदि के विज्ञान को समझने की
आवश्यकता है। सीएसआईआर-सीएमईआरआई ने एक “सीमांत
किसानों” और दूसरा “छोटे किसानोम” के लिए बैटरी द्वारा संचालित दो प्रकार
की छिड़काव प्रणाली विकसित की है। 5 लीटर की क्षमता वाला बैक पैक स्प्रेयर (पीठ पर
रखकर छिड़काव करने वाला यंत्र), "सीमांत
किसानों" के लिए बनाया गया है, जबकि
10 लीटर की क्षमता वाला कॉम्पैक्ट ट्रॉली स्प्रेयर "छोटे किसानों" के
लिए बनाया गया है। ये छिड़काव करने वाला यंत्र दो अलग-अलग टैंकों, प्रवाह नियंत्रण और दबाव नियंत्रक से
युक्त होते हैं, ताकि फसलों को जल की विभिन्न
आवश्यकताओं, लक्षित/स्थान विशिष्ट सिंचाई, कीटों को नियंत्रित करने के लिए
कीटनाशक/फफूंदीनाशक का उचित उपयोग बनाए रखना, पत्तियों
की सतह पर जल आधारित सूक्ष्म खुरदरापन पैदा करना, छोटे क्षेत्र की सीमा में मृदा की नमी का स्तर बनाए रखना और खरपतवार
नियंत्रण किया जा सके। यह प्रणाली सौर-क्षमता आधारित बैटरियों पर कार्य करता है, इस प्रकार यह राष्ट्र के ऊर्जा और
विद्युत से वंचित कृषि क्षेत्रों में भी उपयोग को सक्षम बनाता है, इस प्रकार यह मूल्य आधआरित वाष्पशील
जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता को कम करता है। ये छिड़काव वाले यंत्र (स्प्रेयर) विकसित
करने में सरल और सीखने तथा लागू करने में आसान हैंइसलिए भारतीय किसानों के सामने
आने वाले जल संकट को दूर करने में मददगार साबित होंगे।
सीएसआईआर-सीएमईआरआई के निदेशक प्रोफेसर (डॉ.)
हरीश हिरानी ने विस्तार से बताया,“कृषि
क्षेत्र में जल के उपयोग को कम करके, ये
कई प्रकार के तरीके कृषि क्षेत्र में क्रांति ला सकते हैं। इस क्रांतिकारी तकनीक
से शुष्क और अर्ध-शुष्क क्षेत्रों में भी कृषि मार्ग तैयार करने में मदद मिलेगी, क्योंकि जल की कमी का किसान समुदाय को
कोई भय नहीं होगा। सीएसआईआर-सीएमईआरआई द्वारा विकसित स्प्रेयर सीमांत और छोटे
दोनों किसानों के लिए एक लागत प्रभावी सामाजिक-आर्थिक समाधान प्रदान करता है।
किफायती मूल्य निर्धारण तकनीक के व्यापक कारक को आगे लाने से कुटीर और सूक्ष्म
उद्योगों को अवसर मिलता है।”