167 दिन बाद बीआरटीएस पर दौड़ी आई बस, 24 किमी के सफर में 7 सवारी, कहीं नहीं दिखी थर्मल स्क्रीनिंग, बसों की सीटों पर जमी रही धूल - Daily Hindi Paper | Online GK in Hindi | Civil Services Notes in Hindi

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शनिवार, 5 सितंबर 2020

167 दिन बाद बीआरटीएस पर दौड़ी आई बस, 24 किमी के सफर में 7 सवारी, कहीं नहीं दिखी थर्मल स्क्रीनिंग, बसों की सीटों पर जमी रही धूल

22 मार्च 2020 जनता कर्फ्यू के दिन से बंद आई बस के पहिए शनिवार 5 सितंबर की सुबह 8 बजे से फिर से दौड़े। देवास नाका से राजीव गांधी नगर तक के 12 किमी के सफर में चार और राजीव गांधी नगर से देवास नाका तक के सफर में तीन लोगों ने यात्रा की। पूरे 24 किलोमीटर के सफर में मात्र 7 सवारी बस में नजर आए। इस दौरान स्टाफ तो मास्क लगाए खुद को सैनिटाइज करते नजर आया, लेकिन यात्रियों के लिए ना सैनिटाइज था ना ही थर्मल स्क्रीनिंग की कोई सुविधा। बस में ड्राइवर को तो प्लास्टिक कवर से सुरक्षित कर दिया गया था, लेकिन सीट पर जमी धूल और में धुलाई के दौरान का पानी पूरी तरह से बता रहा था कि व्यवस्था उतनी बेहतर नहीं हो पाई। संभवत: कम समय मिलने से ऐसा हुआ हो।

देवास नाका से सुबह 20 बसों का संचालन शुरू हुआ।

ऐसा रहा पहली बस का अनुभव...
बस सुबह 8 बजे निरंजनपुर चौराहे से और उधर से राजीव गांधी चौराहे से चलने वाली थी। क्योंकि आई बस का डिपो देवास नाक यानी की निरंजनपुर चौराहे के पास ही है, इसलिए सभी बसें यहीं से सुबह दौड़ीं। करीब साढ़े 5 महीने बाद चलने वाली आई का माहौल जानने के लिए हम सुबह साढ़े 7 बजे ही निरंजनपुर बस स्टाॅप पर पहुंच गए थे। यहां स्टाफ लाउडस्पीकर ठीक कर रहे थे। क्योंकि उसमें से अच्छे से आवाज नहीं आ रही थी। सभी मास्क में थे। हमने उनसे पूछा की थर्मल मशीन और सैनिटाइजर नहीं है क्या। इस पर उन्होंने कहा कि हमारे लिया तो दिया है, हो सकता है थोड़ी देर बाद अधिकारी लेकर आएं। ये अगल बात है कि बस गुजर गई, लेकिन कोई नहीं आया। वहीं, कुछ लोग बीआरटीएस पर बैठकर बतिया रहे थे। ये वे लोग हैं जो सुबह रूट पर साइकिलिंग करते हैं। हमें देख इनमें से एक ने पूछा क्या आई बस चलने वाली है। हमने कहां हां आज से। इस पर वे हंसते हुए बोले यानी अब हमें यहां से साइकिलिंग करने से रोक दिया जाएगा। हमने कहां नहीं 8 बजे तक कर सकते हैं। इस पर वे बोले यानी कल से जल्दी आना होगा।

ड्राइवर के सीट को प्लास्टिक से कवर कर दिया गया है।

बातों का सिलसिला चल ही रहा था कि पौने 8 बजे एक आई बस दौड़ती हुई हमारी ओर आई, लेकिन वह तेजी से बिना रुके आगे बढ़ गई। इसी प्रकार दो बसें और दौड़ती हुई गुजर गईं। इसके बाद एमपी 09 पीए 0196 बस आकर रुकी। यह बस यहां से पहली बस थी जो सवारी लेकर जाने वाली थी। इसके बाद हमने बस स्टाॅप में भीतर प्रवेश किया और बस में सवार हुए। बस में सुपरवाइजर ड्राइवर को रूल्स बता रहे थे। ऐसी का तापमान कितना रखना है, बस को किस प्रकार से लेकर जाना, क्याेंकि बस सिर्फ ड्राइवर के सहारे ही अंतिम छोर तक जानी थी, इसमें कोई अन्य स्टाफ उनकी सहायता के लिए नहीं था। कोरोना के कारण टिकट चेकर को साथ में नहीं भेजा जा रहा है।

बसों को फेरे के बाद सैनिटाइज किया जा रहा है।

78 में रहने वाले ड्राइवर अमित शर्मा ने प्लास्टिक कवर वाली सीट पर सवार होकर बस के दरवाजे को खोले और बंद किए। इसके बाद आई बस के दो गार्ड सहित कुल चार लोगों को लेकर बस को दौड़ा दिया। हमारी नजर अब अगले स्टाप पर थी, क्योंकि यहां से कोई सवार बस में सवार नहीं हुई थी। कुछ ही देर में 78 बस स्टाप आगया, लेकिन बस के गेट खुले और बंद हो गए, पर कोई सवारी नहीं चढ़ा। इसके बाद शालीमार बस स्टाप आया, यहां भी वही हाल।

सीट पर जमी धूल।

अगला स्टाप सत्यसाईं था। यहां बस रुकते ही बुजुर्ग अंबाराम बस में सवार होते दिखे। पूछा तो पता चला चापड़ा में उनका खेत है, इसलिए अक्सर आना जाना लगा रहता है। बस में बैठने के बाद उनके चेहरे पर अलग ही मुस्कान थी। पूछने पर बताया कि आई बस चलने से आने-जाने में सहूलियत हो जाएगी। पिछले कुछ महीनों से बहुत परेशान था। इसके बाद एक-एक कर विजयनगर, स्कीम नबर 54, प्रेस कॉम्प्लेक्स, एलआईजी, इंडस्ट्री हाउस चौराहा भी बिना सवारी के ही गुजर गया। अब अब तक चार किलोमीटर चलकर पलासिया पंहुची थी। यहां पर एक महिला सवारी सवार हुई।

फर्श मे भी धूल-धूल नजर आई।

इसके बाद बस गीताभवन स्टाप होते हुए एमवाय चौराहे पर पहुंची, जहां एक सवारी बस में सवार हुई। इसके बाद नवलखा पर एक और सवारी मिली। इसके बाइ एक-एक कर बस स्टाफ आते रहे, लेकिन सवारी कोई बैठने वाली थी। 12 किमी के सफर पहली बस केवल 5 लोगों को लेकर दौड़ी। वहीं, राजीव गांधी नगर से पहली बस लेकर नंदा नगर के रहने वाले अजय शर्मा देवास नाका बस स्टाप पहुंचे। इस बस में भी तीन सवारियों ने सफर किया।

सोशल डिस्टेंसिंग के लिए गोल घेरे बनाए गए हैं।

सीट पर धूल और फर्श पर फैला था पानी
सुबह हमने दो बसों में सवारी की। बस बाहर से तो साफ थीं, लेकिन भीतर उतनी सफाई नजर नहीं आई। ज्यादातर कुर्सियों की हालत यह बयां कर रही थी कि उन्हें साफ करने के लिए ज्यादा समय नहीं मिला है। लंबे समय से खड़ी बसों में ऊपर के साथ ही भीतर भी धूल जमी हुई थी। कर्मचारियों ने उसे साफ करने की कोशिश तो की थी, लेकिन अच्छे से साफ नहीं कर पाए। बस के धुलाई के निशान भी फर्श पर नजर आ रहे थे, यहां अभी भी पानी सूखा नहीं था।

कर्मचारी मास्क में थे, हाथ में सैनिटाइजर भी था
बस स्टाफ पर सभी कर्मचारी मास्क में नजर आए। कई के तो बाल भी ढंके हुए थे। सभी के हाथ में ग्लब्ज थे। बात की तो पता चला कि सब कंपनी की ओर से ही मिला है। इसके बाद हमने पूछा की सवारियों की जांच के लिए थर्मल मशीन नहीं है क्या, इस पर उनका जवाब था अभी तो नहीं दिया। फिर हमने पूछा सैनिटाइजर तो दिया होगा। इस उन्होंने कहा हां दिया है ना। इस पर हमने कहा तो सवारियों के हाथ सैनिटाइज करवाओ। इस पर वे बोले - नहीं ये तो हमारे लिए दिया गया।

अब सीधे 50 रुपए मेरे बचेंगे
आई बस की सवारी करने वाले युवक ने बताया कि आई बस चलने से उसे सीधा 50 रुपए का रोज का फायदा होने वाला है। क्योंकि उसे प्रतिदिन विजय नगर जाना होता है। इसके लिए पलासिया से विजयनगर तक ऑटो वाले आने-जाने का 35 रुपए चार्ज करते हैं। क्योंकि वह मेडिकल फील्ड से है, इसलिए उसका काम बंद नहीं हुआ। जब से ऑटो चलने शुरू हुए हैं, वे उसी से आना-जाना कर रहा था। इसी प्रकार पलासिया से विजय नगर आ रहे नितिन ने बताया कि उसे सुबह ऑफिस खाेलने के लिए जाना होता है। मैजिक से जाओ तो एक बार के 15 रुपए लगते हैं। वहीं समय भी करीब आधे से पौन घंटे लगता है। आई बस में 10 रुपए देकर 10 मिनट में पहुंचना ज्यादा बेहतर और अच्छा है।

अभी ज्यादातर लोगों को पता नहीं, इसलिए सवारी कम

बसों का सुपरविजन कर रहे बृजेंद्र ने बताया कि यहां से आज 20 बसों का संचालन किया जा रहा है। सभी बसें सीएनजी हैं। सुबह इनकी सफाई के बाद इन्हें रवाना किया गया। स्टाफ सोशल डिस्टेंसिंग के साथ ही मास्क सहित सभी प्रकार की गाइड लाइन का पालन कर रहे हैं। बस के स्टाफ से सवारी कम मिलने पर बात की तो उनका कहना था कि शाम को तो पता चला कि बस कल से चलने वाली है। ऐसे में यह जानकारी कम लोगों तक ही पहुंच पाई होगी। धीरे-धीरे यात्री बढ़ेंगे।

बीआरटीएस पर सिर्फ दौड़ रही थीं साइकिल
सुबह जब आई बस से सफर शुरू किया तो पूरे रूट पर साइकिल ही नजर आ रही थीं। कुछ वॉक तो कुछ रनिंग भी करते नजर आए। पूरे रूट को देखकर ऐसा प्रतीत हो रहा था मानो यह आई बस का रूट नहीं साइकिल ट्रैक हो।

बीआरटीएस पर आई बसें सुबह 8 से रात 12 बजे तक
बीआरटीएस पर लोक परिवहन (आई बसों) का संचालन सुबह आठ से रात 12 बजे तक हो सकेगा। इसके पहले सुबह पांच से आठ बजे के बीच आम व्यक्ति कॉरिडोर में मॉर्निंग वाॅक, साइकिलिंग कर सकते हैं। बस में यात्रा करने वाले हर यात्री, कर्मचारी, ड्राइवर को मास्क पहनना अनिवार्य है। हर बस को सैनिटाइज किया जाएगा।



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राजीव गांधी नगर से लौटी बस में पलासिया से एक सवारी बैठा।


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