आत्मनिर्भर भारत योजना के अंतर्गत राजमार्ग मंत्रालय ने दस हजार करोड़ रुपये से ज्यादा जारी किए - Daily Hindi Paper | Online GK in Hindi | Civil Services Notes in Hindi

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बुधवार, 9 सितंबर 2020

आत्मनिर्भर भारत योजना के अंतर्गत राजमार्ग मंत्रालय ने दस हजार करोड़ रुपये से ज्यादा जारी किए



आत्मनिर्भर भारत योजना के अंतर्गत राजमार्ग मंत्रालय ने दस हजार करोड़ रुपये से ज्यादा जारी किए; एक अन्य भुगतान के लिए 2,500 करोड़ रुपये संसाधित किए जा रहे हैं

महत्वाकांक्षी आत्मनिर्भर भारत योजना में परिकल्पित सरलीकृत भुगतान प्रक्रिया के अंतर्गत कोविड-19 महामारी के दौरान सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय द्वारा 10,339 करोड़ रुपये की राशि जारी की गई है। 2,475 करोड़ रुपये की एक अन्य राशि संसाधित की जा रही है और इसके जल्द ही जारी किए जाने की संभावना है।

सरकार ने कारोबार में सुगमता सुनिश्चित करने के लिए अनेक कदम उठाए हैं, बल्कि देश में गुणवत्तापूर्ण सड़क बुनियादी संरचना के निर्माण में हितधारकों का विश्वास बढ़ाने के लिए भी कई उपाए किए गए हैं। सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने आत्मनिर्भर भारत योजना के अंतर्गत भुगतान प्रक्रिया को सरल बनाया है और ठेकेदारों को भुगतान माइल्स्टोन उपलब्धि के आधार पर नहीं बल्कि प्रत्येक महीने किया जा रहा है। यह देश में राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं को समय से पूरा करने की दिशा में बहुत लाभदायक साबित हुआ है।

मंत्रालय ने कोविड-19 की स्थिति को ध्यान में रखते हुए अपने ठेकेदारों और रियायतग्राहियों के लिए कई राहत पैकेजों का विस्तार किया है। रिटेंशन मनी (जो निर्माण अवधि तक प्रदर्शन सुरक्षा का एक हिस्सा है) अनुबंध विनिर्देश के अनुसार पहले से निष्पादित कार्य के अनुपात में जारी की जा रही है, और ठेकेदार द्वारा प्रदान किए गए बिलों से छह महीने की अवधि तक के लिए रिटेंशन मनी नहीं काटी जा रही है। एचएएम/बीओटी अनुबंधों के लिए, प्रदर्शन गारंटी अनुपात के आधार पर जारी की जाती है। इस राहत के लिए 1,155 परियोजनाओं के अंतर्गत कुल 1,253 आवेदनों के लिए, 3,527 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं, जबकि 189 करोड़ रुपये से ज्यादा की प्रक्रिया चल रही है।

अनुसूची एच में छूट प्रदान की जाती है जिससे कि ठेकेदारों द्वारा किए गए कार्यों के लिए मासिक भुगतान किया जा सके और महीने ईपीसी/एचएएम अनुबंध के दौरान अनुबंध के विनिर्देश के अनुसार स्वीकार किया जा सके। इस राहत के लिए 774 परियोजनाओं के अंतर्गत कुल 863 आवेदनों के लिए 6,526 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं, जबकि 2,241 करोड़ रुपये से ज्यादा की प्रक्रिया चल रही है।

एस्क्रो अकाउंट के माध्यम से स्वीकृत किए गए उप-ठेकेदार को सीधा भुगतान किया जाता है। इस राहत के लिए 19 परियोजनाओं के अंतर्गत कुल 21 आवेदनों के लिए 241 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं, जबकि 27 करोड़ रुपये से अधिक की प्रक्रिया चल रही है।

ठेकेदार/रियायतग्राही को साइट की स्थिति के आधार पर अनुबंध के अंतर्गत उनके दायित्व को पूरा करने के लिए छह महीने तक के लिए समय का विस्तार दिया जा रहा है। इस राहत के लिए 196 परियोजनाओं के अंतर्गत कुल 207 आवेदनों के लिए 34 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं, जबकि 15 करोड़ रुपये की प्रक्रिया चल रही है।

मार्च, 2020 से सितंबर, 2020 के दौरान नए अनुबंध में प्रदर्शन सुरक्षा/ बैंक गारंटी जमा करने में देरी के लिए जुर्माना से छूट प्रदान की गई है। इस राहत के लिए 17 परियोजनाओं के अंतर्गत कुल 17 आवेदनों के लिए 9 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं।

साइट की स्थिति के आधार पर सलाहकारों को यानी आईई/एई को 3 से 6 महीने के लिए समय का विस्तार देने की अनुमति है। इस फोर्स मजेरे इवेंट के दौरान ऐसे माना जा सकता है जैसे कि वे ड्यूटी पर हों। इस राहत के लिए 31 परियोजनाओं के अंतर्गत कुल 31 आवेदनों के लिए 2 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं, जबकि 1 करोड़ रुपये की प्रक्रिया चल रही है।

बीओटी/टीओटी रियायतग्राही
 कोविड-19 से पहले बीओटी अनुबंधों की रियायत अवधि को 3 से 6 महीने की अवधि तक विस्तारित किया जा रहा है। इसके अलावा, उपयोगकर्ता शुल्क संग्रह में हानि के लिए, रियायत अवधि को अनुबंध के अनुसार एक अवधि के लिए बढ़ाया जाता है जब तक कि दैनिक संग्रह औसत दैनिक शुल्क के 90% से नीचे नहीं चला जाता है। 2 करोड़ रुपये की इस राहत के लिए आवेदन की प्रक्रिया चल रही है।

सभी राष्ट्रीय राजमार्ग टोलिंग अनुबंधों के लिए, शुल्क (प्रेषण) संग्रह में हुए नुकसान की भरपाई अनुबंध के अनुसार की जाती है। इस राहत के लिए एक आवेदन विचाराधीन है।

मंत्रालय द्वारा मध्यस्थता के माध्यम से ठेकेदारों के मुद्दों का समाधान करने का भी काम किया गया है। इसके लिए स्वतंत्र विशेषज्ञों (सीसीईएस) से मिलकर सुलह समितियां बनाई गई हैं। सभी ठेकेदारों को उनके दावों का शीघ्र निपटारा करने के लिए सुलह के लिए बुलाया जा रहा है जिससे उनके भुगतान को तुरंत जारी किए जा सके। इस वर्ष के दौरान 14,248 करोड़ रुपये के दावों से जुड़े हुए 47 मामलों का निपटारा किया गया है। अन्य 59 मामलों पर विचार-विमर्श जारी है।