महाराष्ट्र के नागपुर शहर में आपराधिक रिकॉर्ड वाले नाबालिगों के एक समूह को अर्ध-नग्न अवस्था में परेड कराया गया। वहीं, अब इस मामले ने तूल पकड़ लिया है और ऐसा करने वाली टीम के अधिकारी मुसीबत में फंस गए हैं। इनके खिलाफ 'किशोर न्याय अधिनियम' के अंतर्गत केस दर्ज किया गया है। वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक खुशाल तिजारे, उप-निरीक्षक विजय धूमल और उत्तरी नागपुर में जरीपटका पुलिस थाने के पांच हवलदारों ने नाबालिगों को अर्ध-नग्न अवस्था में शहर की एक व्यस्त सड़क पर परेड करवाया था और उनके साथ मारपीट की थी। वहीं, अब इन पर नाबालिगों की पहचान उजागर करने के लिए 'किशोर न्याय अधिनियम' की संबंधित धाराओं के तहत शुक्रवार को मामला दर्ज किया गया है।
दरअसल, 23 सितंबर को पांच नाबालिग तलवार और अन्य हथियारों से लैस होकर जरीपटका के एक बार में गए और इन्होंने वहां पर शराब का सेवन किया। इस दौरान बार के मालिक संजय पाटिल और वेटर्स के साथ इनकी बहस हो गई। नाबालिगों ने पाटिल के जाने के बाद वहां से कुछ नकद भी चुरा लिया।

यहां हैरान करने वाली बात यह है कि सभी पांचों लड़कों को पुलिस थाने लाने से पहले अर्ध-नग्न अवस्था में शहर की एक व्यस्त सड़क पर परेड कराया गया। इस दौरान सड़क पर भारी भीड़ जुट गई और उसमें से कुछ राहगीरों ने मोबाइल फोन में इस घटना का वीडियो बनाया।
वहीं, इस घटना का वीडियो तेजी से सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। इसके बाद कुछ लोगों ने सोशल मीडिया पर पुलिस टीम की वाहवाही की। वहीं, कुछ लोग ऐसे भी थे, जिन्होंने पुलिस टीम की इस कार्रवाई को अनुचित बताया
दूसरी तरफ, तीन नाबालिग आरोपियों के परिजनों ने पुलिस टीम की इस कार्रवाई के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाई। जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड (जेजेबी) के हस्तक्षेप के बाद, सरकारी मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में नाबालिगों की दूसरी मेडिकल जांच की गई, जिसमें पुलिस के डंडे से चोटों का पता चला।
जब इस घटना की जानकारी शहर के पुलिस कमिश्नर अमितेश कुमार को चली, तो उन्होंने सहायक आयुक्त परशुराम कार्याकार्टा के माध्यम से जांच का आदेश दिया और इस मामले में एक प्रारंभिक रिपोर्ट मांगी।
अतिरिक्त पुलिस आयुक्त, नवीन रेड्डी ने कहा कि पुलिसकर्मियों पर पूछताछ पूरी होने के बाद मामला दर्ज किया गया। उन्होंने कहा कि विभाग घटना की आगे की जांच कर रहा है और पुलिसकर्मियों के खिलाफ उचित कार्रवाई की जाएगी।