मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने खारिज की याचिका, कहा- गेस्ट फैकल्टी को नियुक्ति का अधिकार नहीं - Daily Hindi Paper | Online GK in Hindi | Civil Services Notes in Hindi

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गुरुवार, 19 नवंबर 2020

मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने खारिज की याचिका, कहा- गेस्ट फैकल्टी को नियुक्ति का अधिकार नहीं

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट द्वारा नियुक्ति पत्र के अभाव में विद्वान पद पर नियुक्ति की मांग संबंधी वाली याचिका खारिज करते हुए कोर्ट का कहना है कि महज चयनित आवेदकों की सूची में नाम दर्ज होने से नियुक्ति की मांग नहीं की जा सकती। इसके लिए नियुक्ति पत्र का जारी होना भी आवश्यक है। इस मामले की सुनवाई कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश संजय यादव व जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की युगलपीठ के समक्ष हुई।

 


सुनवाई के दौरान खंडवा निवास याचिकाकर्ता सुनील कुमार शर्मा की तरफ से उनके वकील अधिवक्ता संदीप कुमार मिश्रा ने अपना पक्ष रखते हुए दलील दिए कि याचिकाकर्ता एमफिल डिग्रीधारी है और खेल के क्षेत्र में सराहनीय प्रदर्शन कर चुका है। वह 2018-19 में अतिथि विद्वान की ऑनलाइन परीक्षा में शामिल भी हुआ था। और वह सफल भी रहा, लेकिन उसे नियुक्ति पत्र प्रदान नहीं किया गया। ऐसे नियुक्ति प्रदान करने का आदेश जारी किया जाए। 


दअरसल मप्र हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि गेस्ट फैकल्टी के आवेदक को आगामी शैक्षणिक सत्र के लिए नियुक्ति का अधिकार नहीं बनता है। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश संजय यादव और जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की डिवीजन बैंच ने गेस्ट फैकेल्टी की नियुक्ति के लिए दायर याचिका खारिज कर दी है। खंडवा के सुनील कुमार शर्मा की याचिका में कहा गया कि उसने शैक्षणिक सत्र 2018-19 में शासकीय कॉलेज में गेस्ट फैकल्टी के लिए ऑनलाइन आवेदन किया था लेकिन उच्च शिक्षा विभाग ने उसे नियुक्ति पत्र नहीं दिया। याचिकाकर्ता  के अधिवक्ता संदीप कुमार मिश्रा ने कहा कि उनको चालू शैक्षणिक-सत्र में किसी भी कॉलेज में खेल अधिकारी के पद पर नियुक्ति दी जा सकती है।


हस के दौरान राज्य की ओर से उप महाधिवक्ता स्वप्निल गांगुली ने याचिका का नियुक्ति पत्र के अभाव के बिंदु पर विरोध किया। महाधिवक्ता गांगुली के तर्क से सहमत होकर कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी। कोर्ट ने साफ स्पष्ट किया है कि याचिकाकर्ता परीक्षा में शामिल हुआ और सफल भी रहा, तो उसके पास नियुक्ति पत्र होना चाहिए था। यदि नियुक्ति पत्र के साथ याचिका दायर की गई होती, तो याचिका सार्थक कहलाती और राहतकारी आदेश भी दिया जा सकता था। लेकिन अधूरी याचिका दायर करने की गलती की गई। इसीलिए याचिका खारिज की जाती है। इस पर अधिवक्ता संदीप कुमार मिश्रा ने याचिकाकर्ता के अकादमिक बिंदुओं को रेखांकित करने लगा। लेकिन कोर्ट सहमत नहीं हुआ।