भारत-चीन सीमा पर तनाव: चीन द्वारा माइक्रोवेव हथियार के उपयोग किए जाने का दावा!
- क्या होते हैं माइक्रोवेव हथियार
- ADGPI ने चीन के इन दावों का खंडन किया
भारतीय सेना ने मंगलवार को उन ऑनलाइन मीडिया रिपोर्ट्स को खारिज किया है जिनमें दावा किया गया था कि चीन की पीपल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) ने लद्दाख में माइक्रोवेव हथियारों का इस्तेमाल किया था.
भारतीय सेना ने इन दावों को पूरी तरह से खारिज किया है.
भारतीय सेना के एडिशनल डायरेक्टरेट जनरल ऑफ पब्लिक इंफॉर्मेशन (एडीजीपीआई) के आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर कहा गया है, "पूर्वी लद्दाख में माइक्रोवेव हथियारों के इस्तेमाल पर मीडिया रिपोर्ट्स आधारहीन हैं. ये खबर फर्जी है."
रक्षा मामलों के जानकार और इंडियन डिफ़ेंस रिव्यू के एसोसिएट एडिटर कर्नल दानवीर सिंह कहते हैं कि चीन का दावा पूरी तरह से बेबुनियाद है.
सिंह कहते हैं, "इस तरह के सभी हथियार लाइन-ऑफ-साइट यानी एक सीधी रेखा में काम करते हैं. पहाड़ी इलाकों में इनका इस्तेमाल वैसे भी आसान नहीं है. ये बिलकुल लॉजिकल चीज नहीं है. ये पूरी तरह से एक चीनी प्रोपेगैंडा है."
क्या होते हैं माइक्रोवेव हथियार?
माइक्रोवेव वेपन्स डायरेक्टेड एनर्जी वेपन (डीईडब्ल्यू) का ही एक प्रकार होते हैं. ये माइक्रोवेव्स इलेक्ट्रोमैग्नेटिक रेडिएशन का रूप होती हैं. इनकी वेवलेंथ एक मिमी से लेकर एक मीटर जितनी होती है. इनकी फ्रीक्वेंसी 300 मेगाहर्ट्ज (100 सेंटीमीटर) और 300 गिगाहर्ट्ज (0.1 सेंटीमीटर) के बीच होती है.
इन्हें हाई-एनर्जी रेडियो फ्रीक्वेंसी भी कहा जाता है.
सिंह कहते हैं, "माइक्रोवेव जिस तरह से घर में काम करता है. उसी तरह से ये वेपन भी काम करता है. इसमें एक मैग्नेट्रॉन होता है जो माइक्रोवेव तरंगें भेजता है. ये तरंगें जब किसी खाद्य पदार्थ से होकर गुजरती हैं तो वो गर्मी पैदा करती हैं. ये हथियार भी इसी सिद्धांत पर काम करते हैं."
चीन के दावे को खारिज करते हुए सिंह कहते हैं कि आप सोचिए कि किसी हाइट पर मौजूद सैनिकों को हटाने के लिए कितने भारी-भरकम साइज का मैग्नेट्रॉन बनाना पड़ेगा.
सिंह कहते हैं, "दूसरी बात अगर आप माइक्रोवेव तरंगें भेजेंगे और उससे हमें नुकसान होगा तो हम क्या हाथ पर हाथ धरे बैठे रहेंगे. हम भी तो कुछ कदम उठाएंगे."
वे कहते हैं कि अगर आप बहुत बड़ा मैग्नेट्रॉन बना भी लेते हैं तो आपको इसे बहुत दूर से इस्तेमाल करना होगा.
सिंह कहते हैं, "ये बिलकुल नामुकिन बात है. छोटे-मोटे लेवल पर ऐसा हो भी सकता है, लेकिन जितने बड़े पैमाने का दावा चीन कर रहा है वह बिलकुल असंभव है."
सिंह कहते हैं कि माइक्रोवेव वेपन्स का कोई सेंस बनता नहीं है, कॉस्ट और दूसरे लिहाज से यह लागू किए जाने योग्य नहीं है