ठिठुरते भिखारी को देख 2 DSP ने गाड़ी रोककर बात कि तो निकला साथी पुलिस ऑफिसर - Daily Hindi Paper | Online GK in Hindi | Civil Services Notes in Hindi

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शुक्रवार, 13 नवंबर 2020

ठिठुरते भिखारी को देख 2 DSP ने गाड़ी रोककर बात कि तो निकला साथी पुलिस ऑफिसर

ठिठुरते भिखारी को देख 2 DSP ने  गाड़ी रोककर बात कि तो निकला साथी पुलिस ऑफिसर 

एमपी उपचुनाव मतगणना की रात डेढ़ बजे सुरक्षा व्यवस्था में तैनात 2 डीएसपी सडक किनारे ठंड से ठिठुर रहे भिखारी को जूते और जैकेट दिए हैं। भिखारी को ठिठुरते देख दोनों पुलिस अधिकारी गाड़ी रोक उसके करीब गए। दोनों पुलिस अफसरों को अपने पास देख भिखारी ने उन्हें नाम से पुकारा। फिर बातचीत हुई तो दोनों ही पुलिस अधिकारी हैरान रह गए। उन्हें पता चला कि यह भिखारी हमारे बैच का पुलिस अफसर है। लेकिन पिछले 10 सालों से वह लवारिस हालात में घूम रहा है।



दरअसल, झांसी रोड इलाके में सालों से सड़कों पर लावारिस घूम रहा यह शख्स पुलिस अफसर रहा है। 1999 बैच का वह अचूक निशानेबाज था। नाम मनीष मिश्रा है। मनीष मिश्रा एमपी के विभिन्न थानों में थानेदार के रूप में पदस्थ रहे हैं। इस हालत में मनीष को देख उनके साथी भी हतप्रभ रह गए। मनीष के साथियों ने ये सपने में भी नहीं सोचा था कि वह इस हालत में मिलेंगे।

क्या है मामला

मतगणना की रात को सुरक्षा व्यवस्था का जिम्मा डीएसपी रत्नेश सिंह तोमर और विजय सिह भदौरिया के उपर था। मतगणना पूरी होने के बाद दोनों विजयी जुलूस के रूट पर तैनात थे। इस दौरान बंधन वाटिका के फुटपाथ पर एक अधेड़ भिखारी ठंड से ठिठुर रहा था। उसे संदिग्ध हालत में देखकर अफसरों ने गाड़ी रोकी और उससे बात करने पहुंच गए। दयनीय हालत देख डीएसपी रत्नेश तोमर ने उन्हें अपने जूते और डीएसपी विजय सिंह भदौरिया ने अपनी जैकेट दे दी।



नाम से पुकारने पर हुए आश्चर्यचकित 

जब दोनों अधिकारी जाने लगे तो भिखारी ने विजय सिंह भदौरिया को उनके नाम से पुकारा। दोनों अफसर हतप्रभ होकर एक-दूसरे को देखते रहे। दोनों ने उससे पूछा तो उसने अपना नाम मनीष मिश्रा बताया। मनीष दोनों अफसरों के साथ सन 1999 में पुलिस सब इंस्पेक्टर में भर्ती हुए थे। इसके बाद दोनों ने काफी देर तक मनीष मिश्रा से पुराने दिनों की बात की और अपने साथ ले जाने की जिद्द की। जबकि वह साथ जाने को राजी नहीं हुए।

देखभाल के लिए समाजसेवी संस्था को भेजा

आखिर में अगले दिन समाजसेवी संस्था से मनीष मिश्रा को आश्रम भिजवा दिया, जहां मनीष मिश्रा की देखभाल की जा रही है। मनीष मिश्रा के भाई थी थानेदार हैं। पिता और चाचा एसएसपी से रिटायर्ड हुए हैं। वहीं, चचेरी बहन दूतावास में पदस्थ है।

भाई है टीआई तो पिता रह चुके हैं एसपी

बता दें कि मनीष मिश्रा का परिवार आर्थिक स्थिति के हिसाब से काफी मजबूत है। जहां उनके भाई टीआई हैं, पिता व चाचा एडिशनल एसपी से रिटायर हुए हैं। जब मनीष आखिर वक्त में दतिया में तैनात थे तो उस दौरान वो अपना मानसिक संतुलन खो बैठे। उनका पत्नी से तलाक हो चुका है। वह एक जिला अदालत में नौकरी करती हैं। जो भी उनकी यह दर्दभरी कहानी सुनता है वह हैरान रह जाता है। फिलहाल डीएसपी दोस्त उनका इलाज करा रहा है।