QRSAM missile in hindi:क्यूआरएसएएम मिसाइल प्रणाली ने एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की - Daily Hindi Paper | Online GK in Hindi | Civil Services Notes in Hindi

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शनिवार, 14 नवंबर 2020

QRSAM missile in hindi:क्यूआरएसएएम मिसाइल प्रणाली ने एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की

 क्विक रिएक्शन सरफेस टू एयर मिसाइल (क्यूआरएसएएम)

क्विक रिएक्शन सरफेस टू एयर मिसाइल (क्यूआरएसएएम) प्रणाली ने मध्यम रेंज और मध्यम ऊंचाई पर एक पायलट रहित लक्ष्य विमान पर सीधा प्रहार करके एक बड़ा मील का पत्थर पार  किया है।

इस मिसाइल का प्रक्षेपण 13 नवंबर 2020 को ओडिशा तट पर आईटीआर चांदीपुर से 1550 बजे हुआ। यह मिसाइल एक एकल चरण वाले ठोस प्रणोदक रॉकेट मोटर द्वारा प्रक्षेपित किया गया और इसमें सभी स्वदेशी उप-प्रणालियों का उपयोग किया गया। इस मिसाइल को 6 कैनिस्टराइज्ड मिसाइलों को ढोने में सक्षम मोबाइल लॉन्चर के सहारे परिवहन और प्रक्षेपण के लिए लाया गया।

क्यूआरएसएएम हथियार प्रणाली के बैटरी युक्त बहुआयामी रडार, बैटरी युक्त निगरानी रडार, बैटरी युक्त कमांड पोस्ट वाहन और मोबाइल लॉन्चर जैसे सभी तत्व को उड़ान परीक्षण में तैनात किया गया था। यह प्रणाली गतिशील लक्ष्यों का पता लगाने एवंउनपर नज़र रखने और छोटे व्यवधानों के जरिए लक्ष्य से निबटने में सक्षम है। इस प्रणाली को भारतीय सेना के प्रहार कॉलमों के बरक्स हवाई रक्षा कवरेज देने के लिए डिज़ाइन किया गया है।


परीक्षण के दौरान रडार ने दूर की रेंज से लक्ष्य की टोह ले लिया और लक्ष्य के मारक क्षेत्र के भीतर आने पर मिसाइल कोदाग दिया गया। और फिर टर्मिनल एक्टीव होमिंग के साथ आरएफ सीकर गाइडेंस द्वारा सीधा प्रहार का लक्ष्य हासिल कर लिया गया। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) की विभिन्न प्रयोगशालाओं–डीआरडीएल, आरसीआई, एलआरडीई, आर एंड डीई (ई), आईआरडीई, आईटीआर - ने इस परीक्षण में भाग लिया।

रक्षा से संबंधित सार्वजानिक उपक्रम बीईएल, बीडीएल और निजी उद्योग एलएंडटी के माध्यम से इस हथियार प्रणाली के तत्वों की आपूर्ति हुई है। यह मिसाइल प्रणाली एक्टीव आरएफ सीकर, विभिन्न उद्योगों से हासिल इलेक्ट्रो मैकेनिकल एक्टिवेशन (ईएमए) प्रणाली के साथ पूरी तरह से स्वदेशी है। यह रडार चार दीवार वाले एक्टिव फेज्ड ऐर्रे रडार है। सभी रेंज ट्रैकिंग स्टेशन, रडार, ईओटी और टेलीमेट्री स्टेशनों ने उड़ान संबंधी मापदंडों की निगरानी की।

रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह और सचिव, डीडी आरएंडडी एवं अध्यक्ष, डीआरडीओ डॉ. जी सतीश रेड्डी ने डीआरडीओ के वैज्ञानिकों को इस उपलब्धि के लिए बधाई दी।