करवा चौथ पूजन हेतु मंत्र
ॐ शिवायै नमः' से पार्वती का,
'ॐ नमः शिवाय' से शिव का, '
ॐ षण्मुखाय नमः' से स्वामी कार्तिकेय का, '
ॐ गणेशाय नमः' से गणेश का
ॐ सोमाय नमः' से चंद्रमा का पूजन करना चाहिए।
करवा चौथ 2022 : करवा चौथ कथा पूजन विधि एवं मंत्र
करवा चौथ की कहानी
एक समय की बात है कि एक करवा नाम की पतिव्रता स्त्री अपने पति के साथ नदी के किनारे के गांव में रहती थी। एक दिन उसका पति नदी में स्नान करने गया। स्नान करते समय वहां एक मगर ने उसका पैर पकड़ लिया। वह मनुष्य करवा-करवा कह के अपनी पत्नी को पुकारने लगा।
करवाचौथ 2022 विशेष
उसकी आवाज सुनकर उसकी पत्नी करवा भागी चली आई और आकर मगर को कच्चे धागे से बांध दिया। मगर को बांधकर यमराज के यहां पहुंची और यमराज से कहने लगी- हे भगवन! मगर ने मेरे पति का पैर पकड़ लिया है। उस मगर को मेरे पति के पैर पकड़ने के अपराध में आप अपने बल से नरक में ले जाओ।
यमराज बोले- अभी मगर की आयु शेष है, अतः मैं उसे नहीं मार सकता। इस पर करवा बोली, अगर आप ऐसा नहीं करोगे तो मैं आप को श्राप देकर नष्ट कर दूंगी। सुनकर यमराज डर गए और उस पतिव्रता करवा के साथ आकर मगर को यमपुरी भेज दिया और करवा के पति को दीर्घायु दी।
करवा चौथ क्यों मनाया जाता है
करवा चौथ का दिन और संकष्टी चतुर्थी, जो कि भगवान गणेश के लिए उपवास करने का दिन होता है, एक ही समय होते हैं। विवाहित महिलाएँ पति की दीर्घ आयु के लिए करवा चौथ का व्रत और इसकी रस्मों को पूरी निष्ठा से करती हैं। विवाहित महिलाएँ भगवान शिव, माता पार्वती और कार्तिकेय के साथ-साथ भगवान गणेश की पूजा करती हैं और अपने व्रत को चन्द्रमा के दर्शन और उनको अर्घ्य अर्पण करने के बाद ही तोड़ती हैं।
करवा चौथ के दिन को करक चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है। करवा या करक मिट्टी के पात्र को कहते हैं जिससे चन्द्रमा को जल अर्पण किया जाता है।
करवा चौथ के व्रत में क्या करना चाहिए
इस व्रत को करने वाली स्त्रियों को चाहिए कि वह सूर्य निकलने से पूर्व ही फलाहार इत्यादि ग्रहण कर लें उसके बाद उन्हें पूरे दिन बिना जल और आहार के व्रत रखना होता है। सायं को चंद्रमा निकलने के बाद उनका दर्शन कर उन्हें अर्घ्य दें तथा पूजन करें। उसके बाद पति द्वारा पिलाये गये जल अथवा खिलाए गए निवाले से ही अपना व्रत तोड़ें।
2021 मे करवा चौथ कब मनाया जाएगा
करवा चौथ के व्रत की पूजन विधि
बालू अथवा सफेद मिट्टी की वेदी पर शिव-पार्वती, स्वामी कार्तिकेय, गणेश एवं चंद्रमा की स्थापना करें। इसके बाद देवों का पूजन करें।
करवा चौथ पूजन हेतु मंत्र
ॐ शिवायै नमः' से पार्वती का,
'ॐ नमः शिवाय' से शिव का, '
ॐ षण्मुखाय नमः' से स्वामी कार्तिकेय का, '
ॐ गणेशाय नमः' से गणेश का
ॐ सोमाय नमः' से चंद्रमा का पूजन करना चाहिए।
पूजा के बाद तांबे या मिट्टी के करवे में चावल, उड़द की दाल, सुहाग की सामग्री जैसे− कंघी, शीशा, सिंदूर, चूडि़यां, रिबन और रूपया रखकर दान करना चाहिए तथा सास के पांव छूकर फल, मेवा व सुहाग की सारी सामग्री उन्हें देनी चाहिए। इसके बाद करवाचौथ की कथा सुनें। सायंकाल को चंद्रमा के उदित हो जाने पर चंद्रमा का पूजन कर अर्घ्य प्रदान करें।