मध्य प्रदेश विधानसभा का 28 दिसंबर से शुरू होने वाला शीतकालीन सत्र टाल दिया गया है। अधिकारियों के अनुसार 10 विधायकों और विधानसभा सचिवालय के 61 कर्मचारियों के कोरोना पॉजिटिव होने के कारण सत्र को टाला गया है। ऐसे में लव जिहाद पर बने नए कानून को अब अध्यादेश के जरिये लागू किया जाएगा। एक दिन पहले ही नए कानून को कैबिनेट की मुहर लगी थी।
रविवार को सर्वदलीय बैठक के बाद सत्र टालने का फैसला लिया गया। बैठक के बाद गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि धर्म स्वातंत्र्य विधेयक को अब अध्यादेश के जरिये लागू किया जाएगा। वहीं, विपक्ष ने आरोप लगाया कि राज्य सरकार किसानों के मुद्दे और महंगाई पर होने वाली बहस का सामना करने से बचने के लिए सत्र को टाल रही है।
प्रोटेम स्पीकर और बीजेपी के विधायक रामेश्वर शर्मा ने कहा कि सत्र शुरू होने से पहले विधायकों और कर्मचारियों को कोरोना टेस्ट कराने के लिए कहा गया था। रविवार शाम तक 61 कर्मचारी और दस विधायकों की रिपोर्ट पॉजिटिव आ चुकी है। ऐसे में शीतकालीन सत्र का आयोजन खतरनाक हो सकता है। उन्होंने कहा कि सत्र टालने का फैसला सभी दलों के नेताओं की उपस्थिति में लिया गया है। अब सीधे बजट सत्र का आयोजन होगा।
सर्वदलीय बैठक के बाद पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ ने कहा कि सत्र स्थगित कर दिया गया है। ऐसे में हमने शीतकालीन सत्र के लिए विधायकों के सवालों का जवाब देने के लिए विभिन्न विभागों की समितियों के गठन का अनुरोध किया है। पूर्व मंत्री और कांग्रेस विधायक पीसी शर्मा ने कहा कि कोरोना पॉजिटिव विधायकों की वर्चुअल उपस्थिति के साथ सत्र को बुलाया जा सकता था लेकिन भाजपा प्रमुख मुद्दों पर बहस से बचने के लिए सत्र टाल रही है। किसान, महंगाई और महिलाओं पर हो रहे अत्याचारों पर भाजपा बहस से भाग रही है।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने किसानों के विरोध को समर्थन देने के लिए सत्र से पहले विधानसभा के घेराव की घोषणा की थी। इसके लिए विधायकों को ट्रैक्टरों में विधानसभा पहुंचने के लिए कहा गया था। लेकिन राज्य सरकार विरोध की आवाज को दबाना चाहती थी, इसलिए कोरोना के बहाने सत्र टाला गया है।
उधर, भाजपा प्रवक्ता राजनीश अग्रवाल ने कहा कि सरकार पर आरोप लगाना कांग्रेस की आदत है। कांग्रेस प्रदर्शन करने के लिए पूरी तरह स्वतंत्र है। लेकिन उसके नेता प्रदर्शन के नाम पर केवल मीडिया के लिए ड्रामा करना चाहते हैं।