इंस्टीट्यूट ऑफ इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी (आईआईआईटी) के दो छात्रों ने बेहद सस्ता ब्रेल-टैब बनाया - Daily Hindi Paper | Online GK in Hindi | Civil Services Notes in Hindi

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शुक्रवार, 18 दिसंबर 2020

इंस्टीट्यूट ऑफ इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी (आईआईआईटी) के दो छात्रों ने बेहद सस्ता ब्रेल-टैब बनाया

 

दिल्ली स्थित इंद्रप्रस्थ इंस्टीट्यूट ऑफ इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी (आईआईआईटी) के दो छात्रों ने बेहद सस्ता ब्रेल-टैब बनाया है जिसका इस्तेमाल दृष्टिबाधित आसानी से आधुनिक संचार क्रांति का लाभ उठाने और पढ़ाई में कर सकते हैं।

बीटेक सेकेंड ईयर के छात्र रघुल पी.के. और अर्जुन राज द्वारा मिलकर बनाया हुआ यह ब्रेल-टैब न सिर्फ बाजार में उपलब्ध दूसरे ब्रेल-टैब के मुकाबले बेहतर है बल्कि इसकी कीमत भी बेहद कम होगी। इस आविष्कार के लिए पिछले दिनों उन्हें नासकॉम फाउंडेशन और माइक्रोसॉफ्ट इंडिया की ओर से इनोवेट फॉर एन ऐक्सेसिबल इंडिया पुरस्कार से सम्मानित भी किया गया। यह पुरस्कार दिव्यांग सशक्तिकरण विभाग के सहयोग से प्रदान किया गया है।



रघुल ने  को बताया कि पिछले साल अगस्त-सितंबर में अर्जुन के साथ उसने इस परियोजना पर काम शुरू किया था। शुरू में उन्होंने सिर्फ एक ऐसा टैब बनाया जिस पर दृष्टिबाधित भी नक्शों को पढ़ और समझ सकें। इसे ई-विजननाम दिया गया। बाद में अपने साथियों और अध्यापकों से प्रोत्साहन पाकर अब उन्होंने टैब का सातवाँ संस्करण तैयार कर लिया है जिस पर ब्रेल लिपि में नक्शों के साथ ही ग्राफ और टेक्स्ट पढ़ना भी संभव है।

अब तक बाजार में उपलब्ध ब्रेल टैब के डिस्प्ले पर एक बार में एक ही पंक्ति ब्रेल लिपि में उपलब्ध हो सकती थी। ई-विजनमें पूरा डिस्प्ले एक ही ब्रेल में उपलब्ध हो जाता है। साथ ही नक्शे के जिस हिस्से को छुआ जायेगा उसके बारे में यदि कोई विशेष जानकारी उपलब्ध है तो वह आवाज के माध्यम से मिल जायेगी।

अभी बाजार में उपलब्ध ब्रेल-टैब की कीमत कम से कम 70-80 हजार रुपये है जबकि ई-विजन की कीमत पाँच से 10 हजार रुपये तक होगी। इसका कारण यह है कि मौजूदा समय में टैब के डिस्प्ले पर ब्रेल लिपि के बिंदुओं को उभारने के लिए पीजो एक्चुएशन तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है जो ज्यादा खर्चीला है। इसकी जगह रघुल और अर्जुन ने लीनियर एक्चुएटर और लीनियर इलेक्ट्रोमैगनेटिक एरे तकनीक का इस्तेमाल किया है। इस कारण इस टैब की कीमत काफी कम हो गई है।