केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने मुख्य भू-भाग (कोच्चि) और लक्षद्वीप द्वीपों (केएलआई परियोजना) के बीच सबमरीन ऑप्टिकल फाइबर केबल कनेक्टिविटी योजना को मंजूरी दी
मुख्य भू-भाग (कोच्चि) और लक्षद्वीप द्वीपों (केएलआई परियोजना)
सबमरीन ऑप्टिकल फाइबर केबल कनेक्टिविटी योजना
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता
में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने मुख्य भू-भाग (कोच्चि) और लक्षद्वीप द्वीपों
(केएलआई परियोजना) के बीच सबमरीन ऑप्टिकल फाइबर केबल कनेक्टिविटी योजना को मंजूरी
दी।
KLI PARIYOJNA केएलआई परियोजना
इस परियोजना में एक समर्पित सबमरीन ऑप्टिकल
फाइबर केबल (ओएफसी) के जरिए कोच्चि और लक्षद्वीप के 11 द्वीपों – कवरत्ती, कलपेनी, अगति, अमिनी, एंड्रोथ, मिनीकॉय, बंगाराम, बित्रा, चेटलाट, किल्तानऔर कदमत के बीच एक सीधा
दूरसंचार लिंक उपलब्ध कराने की परिकल्पना की गई है।
केएलआई परियोजना KLI Pariyojna वित्तीय अनुमान :
इस परियोजना के क्रियान्वयन की अनुमानित लागत
1072 करोड़ रुपये है जिसमें पांच वर्षों के लिए संचालन व्यय भी शामिल है। इस
परियोजना को यूनिवर्सल सेवा बाध्यता कोष से वित्त पोषित किया जाएगा।
केएलआई परियोजना KLI Pariyojna का प्रभाव:
यह प्रमाण है कि दूरसंचार आधारभूत ढांचे में
वृद्धि देश के आर्थिक और सामाजिक विकास से बहुत नजदीकी से जुड़ी हुई है और रोजगार
सृजन की दिशा में दूरसंचार कनेक्टिविटी की अहम भूमिका है। इस संपर्क योजना की
मौजूदा मंजूरी से लक्षद्वीप के द्वीपों में दूरसंचार सुविधाओं में बड़े बैंडविड्थ
की उपलब्धता से काफी सुधार होगा।
केएलआई परियोजना KLI Pariyojna के फायदे
सबमरीन कनेक्टिविटी परियोजना नागरिकों को उनके घर पर ही ई-सुशासन सेवाओं की डिलीवरी में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेगी।
इसके अलावा, मत्स्य क्षेत्र की क्षमता विकास, नारियल आधारित उद्योगों, पर्यटन, दूरस्थ शिक्षा के जरिए शैक्षिक विकास और टेलीमेडिसिन सुविधाओं से स्वास्थ्य देखभाल क्षेत्र में काफी मदद मिलेगी।
इस
परियोजना से अनेक उद्यमों की स्थापना, ई-कॉमर्स गतिविधियों को बढ़ावा देने और
शैक्षिक संस्थानों में ज्ञान साझा करने में पर्याप्त मदद मिलेगी। लक्षद्वीप के
द्वीपों में लॉजिस्टिक सेवाओं के लिहाज से एक विशाल हब बनने की क्षमता है।
केएलआई परियोजना KLI Pariyojna के क्रियान्वयन रणनीति एवं लक्ष्य:
भारत संचार नगर लिमिटेड (बीएसएनएल) को इस परियोजना की क्रियान्वयन एजेंसी और टेलीकम्युनिकेशंस कंसल्टेंट इंडिया लिमिटेड (टीसीआईएल) को यूएसओएफ, दूरसंचार विभाग की सहायता करने के लिए तकनीकी सलाहकार मनोनीत किया गया है।
इस परियोजना के तहत सम्पत्तियों के स्वामित्व का अधिकार (यूएसओएफ) के
पास रहेगा जो दूरसंचार विभाग के तहत वित्त पोषित एजेंसी है। इस परियोजना को मई
2023 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।
केएलआई परियोजना KLI Pariyojna पृष्ठभूमि:
KLI Pariyojna भारत के लिए क्यों जरूरी है
अरब सागर में स्थित केन्द्र शासित प्रदेश
लक्षद्वीप में अनेक द्वीप शामिल हैं जो भारत के लिए सामरिक दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण
है। इन द्वीपों में रहने वाले लोगों को सुरक्षित, मजबूत, विश्वसनीय और वहनीय दूरसंचार सेवाओं
की उपलब्धता पूरे देश के लिए सामरिक नजरिये से काफी महत्वपूर्ण है।
लक्षद्वीप में इस समय दूरसंचार कनेक्टिविटी उपग्रहों के जरिए प्रदान की जा रही है, लेकिन यहां उपलब्ध बैंडविड्थ की क्षमता मात्र 1 जीबीपीएस है।
आंकड़ों आधारित सेवाओं को उपलब्ध कराने में
बैंडविड्थ की कमी एक बड़ा अवरोध है। समाज के समावेशी विकास के लिए उपयुक्त क्षमता
की बैंडविड्थ ई-सुशासनऔरई-बैंकिंगके लिए पहली आवश्यकता है।
लक्षद्वीप के द्वीपों में बेहतर दूरसंचार सेवाओं को उपलब्ध कराने के लिए सरकार पहले से ही सोच रही थी और इसी प्रतिबद्धता को पूरा करने के लिए इन क्षेत्रों में सबमरीन ऑप्टिकल फाइबर केबल योजना की शुरुआत की जा रही है।
लक्षद्वीप में उच्च क्षमता वाली बैंडविड्थ सुविधा को उपलब्ध कराया जाना देश में डिजिटल इंडिया के दृष्टिकोण को हासिल करने तथा ई-सुशासन के राष्ट्रीय उद्देश्य को मूर्त रूप देने के अनुरूप है।