9 राज्यों ने 'वन नेशन वन राशन कार्ड' सुधार को सफलतापूर्वक पूरा किया
वित्तीय संसाधनों को जुटाने के लिए कोविड-19
वैश्विक महामारी के कारण पैदा हुई चुनौतियों के मद्देनजर भारत सरकार ने विभिन्न
उपायों के जरिये राज्यों को मजबूत किया है। इनमें वर्ष 2020-21 में सकल राज्य
घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) के 2 प्रतिशत की अतिरिक्त उधारी की अनुमति भी शामिल है।
इसने राज्यों को कोविड वैश्विक महामारी से लड़ने और लोगों तक सेवा सेवाओं की
डिलिवरी के मानकों को बनाए रखने के लिए अतिरिक्त वित्तीय संसाधन जुटाने में समर्थ
किया है। हालांकि, दीर्घकालिक ऋण स्थिरता सुनिश्चित करने और भविष्य में किसी भी
प्रतिकूल प्रभाव को रोकने के लिए अतिरिक्त उधारी के एक हिस्से को नागरिकों तक
सेवाओं की डिलिवरी के लिए इन महत्वपूर्ण क्षेत्रों में सुधार करने वाले राज्यों से
संबद्ध किया गया था।
सुधारों के लिए जिन क्षेत्रों की पहचान की गई
थी उनमें से एक सार्वजनिक वितरण प्रणाली भी है। जीएसडीपी के 2 प्रतिशत की अतिरिक्त
उधारी सीमा में से 0.25 प्रतिशत को 'वन नेशन वन राशन कार्ड सिस्टम' के कार्यान्वयन से जोड़ा गया है। इसका
उद्देश्य यह सुनिश्चित करना था कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) और
अन्य कल्याणकारी योजनाओं, विशेष रूप से प्रवासी श्रमिकों एवं उनके परिवारों, के लाभार्थियों को देश भर में किसी भी
उचित मूल्य की दुकान (एफपीएस) से राशन उपलब्ध हो सके। इस लक्षित सुधार के अन्य
उद्देश्यों में लाभार्थियों को बेहतर तरीके से लक्षित करना, फर्जी/ डुप्लिकेट/ अयोग्य राशन कार्डों
को समाप्त करना और इस प्रकार जनकल्याण को बढ़ावा देना एवं खामियों को कम करना
शामिल हैं। इसके लिए, सुधार की शर्तों के तहत सभी राशन कार्डों की आधार सीडिंग, लाभार्थियों का बायोमेट्रिक सत्यापन
और राज्य में सभी उचित मूल्य की दुकानों (एफपीएस) में स्वचालन की व्यवस्था की गई
है।
वर्तमान में वन नेशन वन राशन सिस्टम इन राज्यों में लागू है
अब तक नौ राज्यों ने पीडीएस में सुधारों को सफलतापूर्वक पूरा किया है और वन नेशन वन राशन सिस्टम को लागू किया है। ये राज्य हैं: आंध्र प्रदेश, गोवा, हरियाणा, कर्नाटक, केरल, तेलंगाना, त्रिपुरा और उत्तर प्रदेश। इन सुधारों के पूरा होने पर उन्हें 23,523 करोड़ रुपये की अतिरिक्त उधारी जारी करने की अनुमति दी गई है।