शिवराज और सिंधिया
मध्य प्रदेश भाजपा की प्रदेश कार्यकारिणी में
ज्योतिरादित्य सिंधिया समर्थकों की उपेक्षा से यह खेमा काफी नाराज बना हुआ है।
इनकी नाराजगी ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह की परेशानियां बढ़ा दी है। भाजपा को डर
सता रहा है कि सिंधिया समर्थकों की नाराजगी को दूर नहीं किया गया तो नगरीय निकाय
चुनावों में पुरानी जीत दोहराना मुश्किल हो जायेगा।
प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बी डी शर्मा ने हाल में
अपनी नई टीम की घोषणा की है, जिसमें केवल एक पद सिंधिया समर्थक को दिया है। इससे सिंधिया सहित सभी
समर्थकों में भारी नाराजगी है। निचले स्तर के कार्यकार्ता तो यह मान रहे है कि
भाजपा में उनका कोई भविष्य नहीं है। इस स्तर पर समर्थकों में असंतोष काफी बढ़ता जा
रहा है। सिंधिया समर्थकों में जिला स्तर के एक नेता का कहना है कि जो लोग छोड़कर
आये है उनको जिले में भी कोई पद नहीं दिया जा रहाहै। इसी तरह की स्थिति नगरीय
निकाय चुनावों में यदि दोहराई जाती है तो कार्यकाताओं में असंतोष को रोक पाना
मुश्किल हो जायेगा। कार्यकार्ता चुनावों में टिकट वितरण का इंतजार कर रहा है।
भाजपा का भी आकलन है कि ऐसे हालात में नगरीय निकाय चुनाव में भाजपा को बड़ा नुकसान
हो सकता है।
दूसरी ओर शिवराज सिंह पर नगरीय निकाय चुनावों
में पिछले परिणाम को दोहराने का दबाव है। पिछले चुनावों में सभी नगर निगमों में
भाजपा का कब्जा था। शिवराज फिर से सभी पर जीत की तैयारी कर रहे है। ऐसे में
सिंधिया समर्थकों की नाराजगी उनके लिए परेशानी का सबब बन गई है। हालांकि पार्टी
स्तर पर यह बात तय हो गई है कि नगरीय निकाय चुनावों में ज्यादा से ज्यादा टिकट
भाजपा के लोगों को ही दिये जायेंगे। सिंधिया समर्थकों को देने का कोई फार्मूला तय
नहीं किया गया है।
दूसरी ओर कांग्रेस की सिंधिया समर्थकों के असंतोष का फायदा उठाने की तैयारी कर रही है। कांग्रेस प्रयास कर रही है कि नगरीय निकाय चुनावों में टिकट बटवारे के बाद बड़ी संख्या में समर्थकों को वापस कांग्रेंस में लाया जाये।