बायोटेक्नोलॉजी विभाग ने अपना 35वां स्थापना दिवस मनाया
बायोटेक्नोलॉजी विभाग के 35वें स्थापना दिवस को मनाने के लिए वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये समारोह का आयोजन किया गया। वक्ताओं ने इस बात पर प्रकाश डाला कि जैव प्रौद्योगिकी क्षेत्र में हमारे देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए विभाग जबरदस्त प्रयास कर रहा है। उन्होंने कहा, “नेशनल बायोमेडिकल रिसोर्स इंडीजेनाइजेशन कन्सोर्टियम (एनबीआरआईसी) उसका सबसे बेहतरीन उदाहरण हैं।” उन्होंने कहा, “इस मंच का लक्ष्य कोविड-19 के लिए डायग्नोस्टिक्स, टीके और चिकित्सा विज्ञान के प्रति आत्मनिर्भरता हासिल करना है।”
प्रतिष्ठित वक्ताओं ने अनाज फसलों की उन्नत किस्मों के विकास की दिशा में पिछले साल एग्री-बायोटेक सेक्टर में प्रमुख मिशन शुरू करने के लिए बायोटेक्नोलॉजी विभाग की सराहना की। उन्होंने बताया, “105 जिलों में बायोटेक्नोलॉजी विभाग का बायोटेक किसान कार्यक्रम लागू किया गया है और अब तक 50,000 से अधिक किसान लाभान्वित हुए हैं।” बताया गया, “डीबीटी-एनजीजीएफ- नेशनल जीनोटाइपिंग एंड जीनोमिक्स फैसिलिटी- सार्वजनिक और निजी संस्थानों को उन्नत फसल जीनोमिक्स तकनीक और जीनोटाइपिंग सेवा मुहैया कराने के लिए स्थापित किया गया है। तीन बेहतर मक्का संकरों को आणविक प्रजनन के माध्यम से एनरिचमेंट ऑफ न्यूट्रिशनल क्वालिटी इन मैज द्वारा विकसित किया गया है।” यह रेखांकित किया गया कि डीबीटी ने "भारत में नैनो आधारित कृषि-इनपुट और खाद्य उत्पादों के मूल्यांकन के लिए दिशानिर्देश" जारी किए हैं, जो कृषि क्षेत्र में नवाचार को आगे बढ़ाने का काम करेगा।
प्रतिभागियों ने जोर दिया कि, “इंडियन बायोलॉजिकल डेटा केंद्र (आईबीडीसी) की स्थापना, विभिन्न सरकारी संगठनों से व्यापक फंडिंग के माध्यम से देश में उत्पन्न जैविक डेटा के जमा, भंडारण, एनोटेशन और साझाकरण के लिए डीबीटी द्वारा की गई थी।” वक्ताओं ने बताया, “पूरे जीनोम अनुक्रमण और बाद में 10,000 लोगों के डेटा विश्लेषण के लिए एक लक्ष्य के साथ भारतीय जनसंख्या में आनुवंशिक भिन्नता को सूचीबद्ध करने के लिए पैन इंडिया जीनोम इंडिया की शुरुआत की गई थी।”
समारोह के दौरान विभिन्न श्रेणियों में प्रतिष्ठित बायोटेक्नोलॉजी रिसर्च इनोवेशन एंड टेक्नोलॉजी एक्सिलेंस अवार्ड (बीआरआईटीई) प्रदान किया गया। विजेताओं को "हर गोबिंद खुराना-इनोवेटिव यंग बायोटेक्नोलॉजिस्ट अवार्ड (आईवाईबीए), बायोटेक प्रोडक्ट, प्रोसेस डेवलपमेंट एंड कमर्शियलाइजेशन अवार्ड (बीपीपीडीसीए), टाटा इनोवेशन फेलोशिप (टीआईएफ), एस. रामचंद्रन- नेशनल बायोसाइंस अवार्ड फॉर करियर डेवलेमेंट (एसआरसी-एनबीएसीडी) और जे. अम्मल- राष्ट्रीय महिला जैव-वैज्ञानिक पुरस्कार (जेए-एनडब्ल्यूबीए)” के लिए बधाई दी गई।
ई-बुक “डीबीटी फाइट्स कोविड- वायरस फ्रॉम वायरस टू वैक्सीन” का लोकापर्ण किया गया। इसमें कोविड-19 महामारी से लड़ने में बायोटेक्नोलॉजी विभाग की पहल और उपलब्धियों को प्रदर्शित करता है, जिसमें टीके, डायग्नोस्टिक्स, बायो रिपॉजिटरी, थेरेपी और जीनोम विश्लेषण और अन्य पहल शामिल है। (यहां संलग्नक देखें)
इस अवसर पर बायोटेक्नोलॉजी विभाग की सचिव डॉ. रेणु स्वरूप ने बताया कि विभाग ने पिछले एक साल में कई सुधार किए हैं और कृषि में दक्षता, उत्पादकता और लागत प्रभावशीलता बढ़ाने के लिए बायोटेक उत्पादों, प्रक्रिया और प्रौद्योगिकियों, खाद्य और पोषण सुरक्षा, सस्ती स्वास्थ्य देखभाल, पर्यावरण सुरक्षा, स्वच्छ ऊर्जा, जैव ईंधन और जैव विनिर्माण पर जोर दिया है। डॉ. रेणु स्वरूप ने यह भी बताया कि विभाग ने अपने विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से राष्ट्रीय मिशन में प्रधानमंत्री द्वारा शुरू किए गए स्वच्छ भारत, स्टार्टअप इंडिया, मेक इन इंडिया और डिजिटल इंडिया में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
बायोटेक्नोलॉजी विभाग ने इस अवसर पर ‘35 ईयर्स ऑफ बायोटेक्नोलॉजी ग्रोथ इन इंडिया-ऐन एक्साइटिंग जर्नी’ विषय पर वेबिनार का आयोजन किया। डीबीटी की पूर्व सचिव डॉ. मंजू शर्मा बायोटेक्नोलॉजी विभाग और उसके सभी संस्थानों के उज्ज्वल भविष्य की कामना की। भारत सरकार के पीएसए और बायोटेक्नोलॉजी विभाग के पूर्व सचिव प्रो. विजय राघवन ने उद्घाटन भाषण दिया। इस अवसर पर आईआईएससी बेंगलुरु के प्रोफेसर पद्मनाभन, प्रोफेसर बालाराम, डीबीटी के पूर्व निदेशक और नई दिल्ली स्थित एनआईपीजीआर के अखिलेश त्यागी; सेंटर फॉर न्यूरोसाइंस, आईआईएससी बेंगलुरु की प्रोफेसर विजयलक्ष्मी रवींद्रनाथ, और आईकेपी नॉलेज पार्क, हैदराबाद के चेयरमैन और सीईओ डॉ. द्विपविता चट्टोपाध्याय ने भी अपनी बात रखी।