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शनिवार, 20 मार्च 2021

सम्पूर्ण चाणक्य नीति | भाग -01 | Chanykya Neeti Complete in Hindi

 सम्पूर्ण चाणक्य नीति ॥ भाग -01
Chanykya Neeti Complete in Hindi
सम्पूर्ण चाणक्य नीति ॥ भाग -01 Chanykya Neeti Complete in Hindi


 

आपत्ति और विपत्ति 

सज्जन पुरुष भयंकर से भयंकर आपत्ति और विपत्ति आने पर भी अपनी मर्यादा को नहीं छोड़ता है।

 

व्यक्ति महान की महानता 

ऊंचे कुल में जन्म लेने से ही व्यक्ति महान नहीं हो जाता। उसे महान बनाती है उसकी विद्या और उसके गुण।

 

जीवन में गुणों का विकास


मनुष्य को अपने जीवन में गुणों का विकास करना चाहिए,

क्योंकि एक ही गुण भी मनुष्य की पूज्य बना देता है


ज्ञान क्यों आवश्यक है

ज्ञान परख आवश्यक है, क्योंकि ज्ञान ही शक्ति है। 

ज्ञान से मनुष्य उन्नत होता है और ज्ञान से ही मनुष्य मोक्ष प्राप्त करता है।


मनुष्य का  मित्र 

विदेशों में विद्या मनुष्य की मित्र होती है, घर में सती साध्वी पत्नी मनुष्य की मित्र होती है रोगी का मित्र औसधि होता है और मरे हुए का मित्र धर्म होता है।

 मन के द्वारा विचारे हुए कार्य

मनुष्य को चाहिए कि मन के द्वारा विचारे हुए कार्य को वाणी द्वारा प्रकट न करें 

अपितु मननपूर्वक उसकी रक्षा करते हुए चुपके. चुपके उसे कार्य में परिणत कर दें। 


पुस्तकों में लिखी विद्या

जो विद्या पुस्तकों में लिखी हुई है और जो धन दूसरों के हाथों में है वह दोनों ही बेकार है, क्योंकि समय आने पर न तो वह विद्या काम आती है और न ही वह धन। 


दुशमन से कैसा व्यवहार करें चाणक्य नीति

अपने साधारण शत्रु से पहले अनुकूल व्यवहार करना चाहिए. 

घोर शत्रु को ताकत से कुचल देना चाहिए और.

जिससे स्वयं अपनी जान को खतरा हो उसे माफ न करके नष्ट करने में ही लाभ है।