Daily Current Affair in Hindi 02 March 2021 - Daily Hindi Paper | Online GK in Hindi | Civil Services Notes in Hindi

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मंगलवार, 2 मार्च 2021

Daily Current Affair in Hindi 02 March 2021

 Daily Current Affair in Hindi 02 March 2021

Daily Current Affair in Hindi 02 March 2021


डॉ. सूर्यबाला कौन हैं 

  • मुंबई की वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. सूर्यबाला को उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थानके प्रतिष्ठित भारत-भारती पुरस्कार (2019) से सम्मानित करने की घोषणा की गई है। भारत-भारती पुरस्कार के तहत डॉ. सूर्यबाला को 5 लाख रुपए की नकद राशि और एक प्रशस्ति-पत्र प्रदान किया जाएगा। भारत-भारती पुरस्कार साहित्य के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिये प्रदान किये जाने वाले सबसे प्रतिष्ठित सम्मानों में से एक है। इसके अतिरिक्त उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान द्वारा कई अन्य श्रेणियों में भी वार्षिक साहित्यिक पुरस्कारों के लिये चयनित नामों की घोषणा की गई है। लखनऊ के दयानंद पांडे को लोहिया साहित्य सम्मानसे सम्मानित किया जाएगा, जबकि दिल्ली के तरुण विजय को हिंदी गौरव सम्मानऔर भोपाल के रामेश्वर प्रसाद मिश्र को महात्मा गांधी साहित्य सम्मान से सम्मानित किया जाएगा।


जन-औषधि दिवस समारोह, 2021

  • 01 मार्च, 2021 से तीसरे जन-औषधि दिवस, 2021 समारोह की शुरुआत हो गई। सप्ताह भर का यह समारोह 1 मार्च से 7 मार्च, 2021 तक चलेगा। इस दौरान देश भर में जन-औषधि केंद्रों पर स्वास्थ्य जाँच शिविरों का आयोजन किया जाएगा। स्वास्थ्य शिविरों में आम लोगों को जन-औषधि केंद्रों पर बिकने वाली दवाओं की कीमत से जुड़े फायदों और उनकी गुणवत्ता के बारे में जानकारी व शिक्षित किया जाएगा। इस वर्ष तीसरे जन-औषधि दिवस का आयोजन 7 मार्च, 2021 को सेवा भी-रोज़गार भीथीम के साथ किया जाएगा। प्रधानमंत्री द्वारा वर्ष 2019 में घोषणा की गई थी कि प्रत्येक वर्ष 7 मार्च को देश भर में जन-औषधि दिवसके रूप में मनाया जाएगा। प्रधानमंत्री भारतीय जन-औषधि परियोजनाभारत सरकार के तहत औषध विभाग की एक विशेष पहल है, जिसमें जनता को किफायती कीमत पर गुणवत्तापूर्ण दवाएँ उपलब्ध कराकर लाभान्वित किया जाता है। यह योजना स्थायी और नियमित आय के साथ स्वरोज़गार का एक बेहतर स्रोत भी उपलब्ध करा रही है। वित्त वर्ष 2019-20 के दौरान प्रधानमंत्री भारतीय जन-औषधि परियोजनाके माध्यम से 433.61 करोड़ रुपए की दवाओं की बिक्री हुई थी। इससे देश के सामान्य नागरिकों को लगभग 2,500 करोड़ रुपए की बचत हुई थी, क्योंकि ये दवाएँ औसत बाज़ार मूल्य की तुलना में 50 से 90 प्रतिशत तक सस्ती होती हैं।


सुगम्य भारत एप के बारे में जानकारी 

  • सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री थावरचंद गहलोत ने हाल ही में वीडियो काॅफ्रेंसिंग के माध्यथम से सुगम्य भारतएप और एक पुस्तिका एक्सेगस- द फोटो डाइजेस्ट का अनावरण किया है। सुगम्य भारत एप का उद्देश्य दिव्यांगों के प्रति लोगों को अधिक संवेदनशील बनाना और उनके लिये सुविधाओं को बढ़ाना है। सुगम्य भारतएप 10 क्षेत्रीय भाषाओं- हिंदी, अंग्रेज़ी, मराठी, तमिल, ओडिया, कन्नड़, तेलुगू, गुजराती, पंजाबी और मलयालम में उपलब्ध है। वहीं एक्सेनस- द फोटो डाइजेस्टनामक पुस्तिका में चित्रों के माध्यम से विभिन्न हितग्राहियों को दिव्यांगों की 10 बुनियादी आवश्यकताओं के बारे में समझाने के साथ-साथ जागरूक करने का प्रयास किया गया है। इस पुस्तिका का इलेक्ट्रॉनिक संस्करण सुगम्य भारतएप पर उपलब्ध होगा। इस एप और पुस्तिका को सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के तहत दिव्यांगजन सशक्तीकरण विभाग (DEPwD) द्वारा विकसित किया गया है।


सेंटर फॉर एक्सीलेंस इन गेमिंग क्या है 

  • सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान-बॉम्बे (IIT-B) के सहयोग से गेमिंग तथा अन्य संबंधित क्षेत्रों में सेंटर फॉर एक्सीलेंसकी स्थापना करने का निर्णय लिया है। इसके अलावा भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान-बॉम्बे द्वारा VFX, गेमिंग और एनिमेशन के क्षेत्र में एक पाठ्यक्रम की भी शुरुआत की जाएगी। सेंटर फॉर एक्सीलेंस इन गेमिंगके तहत नए ऑनलाइन खेलों के विकास को बढ़ावा देने का प्रयास किया जाएगा, ताकि भारतीय सांस्कृतिक लोकाचार को बढ़ावा दिया जा सके। यह सेंटर भारत में होने वाले गेम डेवलपमेंटको भी बढ़ावा देगा। इस पहल के कारण भारत के गेमिंग उद्योग के विकास को भी बढ़ावा मिलेगा। इस सेंटर के माध्यम से भारत की समृद्ध संस्कृति और पारंपरिक मूल्यों को आधुनिक तकनीक के माध्यम से प्रस्तुत करने का प्रयास किया जाएगा तथा अधिक-से-अधिक लोगों तक पहुँचाया जाएगा।

 

राष्ट्रीय विज्ञान दिवस कब और क्यों मनाया जाता है 

सर चंद्रशेखर वेंकट रमन द्वारा रमन इफेक्ट की खोज करने की स्मृति में हर वर्ष 28 फरवरी को  राष्ट्रीय विज्ञान दिवस (National Science Day- NSD) के रूप में मनाया जाता है। वेंकट रमन को उनके इस कार्य के लिये वर्ष 1930 में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। पहला राष्ट्रीय विज्ञान दिवस वर्ष 1987 में मनाया गया था।

 

राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के बारे में जानकारी 

मूल उद्देश्य: लोगों में विज्ञान के महत्त्व और उसके अनुप्रयोग के संबंध में संदेश का प्रचार करना।


राष्ट्रीय विज्ञान दिवस की थीम 

थीम: वर्ष 2021 के लिये राष्ट्रीय विज्ञान दिवस की थीम है- एसटीआई का भविष्य (विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार): शिक्षा, कौशल, कार्य पर प्रभाव (Future of STI (Science, Technology and Innovations): Impacts on Education, Skills, and Work)

आयोजन: इसका आयोजन विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय की राष्ट्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी संचार परिषद (National Council for Science & Technology Communication- NCSTC) द्वारा किया जाता है।

पुरस्कार वितरण:

इस अवसर पर नेशनल एसएंडटी कम्युनिकेशन अवार्ड्स, ऑगमेंटिंग राइटिंग स्किल्स फॉर आर्टिकुलेटिंग रिसर्च (AWSAR) अवार्ड्स, एसईआरबी वुमन एक्सीलेंस अवार्ड्स तथा विज्ञान मीडिया और पत्रकारिता में उत्कृष्ट कार्य हेतु राजेंद्र प्रभु मेमोरियल एप्रिसिएशन शील्ड का वितरण किया गया।

भारत में एसएंडटी अवार्ड् और विदेश में भारतीय मूल के शिक्षाविदों पर पहली बार राष्ट्रीय एसएंडटी डेटाबेस जारी किया गया।


ऑगमेंटिंग राइटिंग स्किल्स फॉर आर्टिकुलेटिंग रिसर्च (AWSAR):

AWSAR एक पहल है जिसका उद्देश्य भारतीय अनुसंधान से संबंधित कहानियों को आम जनता के समझने हेतु आसान प्रारूप में प्रसारित करना है।

उद्देश्य:

अपने शोध कार्य के आधार पर कम-से-कम एक कहानी/लेख प्रस्तुत करने हेतु उच्च अध्ययन करने वाले युवाओं को प्रोत्साहित करना।

लोकप्रिय विज्ञान लेखन के माध्यम से विज्ञान की समझ को बढ़ावा देना और विद्वानों के मध्य विज्ञान संचार/लोकप्रियता की संस्कृति का निर्माण करना।

प्राकृतिक, भौतिक, गणितीय और सूचना विज्ञान, व्यावहारिक विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग एवं बहु-विषयक विज्ञान के विशिष्ट पहलुओं पर शोधकर्त्ताओं की पहल और आउटपुट की पहचान करना।

शोधकर्त्ताओं के लिये प्रारंभिक शोध चरणों (पीएचडी स्कॉलर्स और पीडीएफ) मे  प्रशिक्षण कार्यशालाओं का संचालन करना।

हालिया विकास:

नेशनल रिसर्च फाउंडेशन (NRF): इसे नई शिक्षा नीति (New Education Policy- NEP) 2020 के तहत एक स्वायत्त निकाय के रूप में स्थापित किया जाना है।

यह भारत में 'अनुसंधान की गुणवत्ता' हेतु  वित्तपोषण, सलाह और निर्माण आदि  कार्यों को देखेगा । NRF भारत में विभिन्न विषयों पर कार्य करने वाले शोधकर्ताओं को निधि प्रदान करता  है।

राष्ट्रीय विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार नीति (STIP 2020) का मसौदा ।


रमन प्रभाव क्या है 

  • रमन प्रभाव अणुओं द्वारा फोटॉन कणों का लचीला प्रकीर्णन है जो उच्च कंपन या घूर्णी ऊर्जा स्तरों को प्रोत्साहित करते हैं। इसे रमन स्कैटरिंग भी कहा जाता है।
  • सरल शब्दों में यह प्रकाश की तरंगदैर्ध्य में परिवर्तन है जो प्रकाश की किरणों के अणुओं द्वारा विक्षेपित होने के कारण होता है।
  • जब प्रकाश की एक किरण किसी रासायनिक यौगिक के धूल रहित एवं पारदर्शी नमूने से होकर गुज़रती है तो प्रकाश का एक छोटा हिस्सा आपतित किरण की दिशा से भिन्न अन्य दिशाओं में उभरता है।
  • इस प्रकिर्णित प्रकाश के अधिकांश हिस्से का तरंगदैर्ध्य अपरिवर्तित रहता है। हालांँकि प्रकाश का एक छोटा हिस्सा ऐसा भी होता है जिसका तरंगदैर्ध्य आपतित प्रकाश के तरंगदैर्ध्य से भिन्न होता है और इसकी उपस्थिति रमन प्रभाव का परिणाम है।
  • रमन प्रभाव रमन स्पेक्ट्रोस्कोपी का आधार निर्मित करता  है जिसका उपयोग रसायन विज्ञानियों और भौतिकविदों द्वारा सामग्री के बारे में जानकारी प्राप्त करने हेतु किया जाता है।
  • स्पेक्ट्रोस्कोपी पदार्थ और विद्युत चुंबकीय विकिरण के मध्य का अध्ययन है।

 

गुरु रविदास जयंती के बारे में जानकारी 


गुरु रविदास जयंती (27 फरवरी, 2021), हिंदू चंद्र कैलेंडर के अनुसार माघ महीने में पूर्णिमा के दिन मनाई जाती है। 


गुरु रविदास कौन थे 

  •  वे 14वीं सदी के संत तथा उत्तर भारत में भक्ति आंदोलन के प्रमुख सुधारक थे।
  • ऐसा माना जाता है कि उनका जन्म वाराणसी में एक मोची परिवार में हुआ था।
  • एक ईश्वर में विश्वास और निष्पक्ष धार्मिक कविताओं के कारण उन्हें ख्याति प्राप्त हुई।
  • उन्होंने अपना पूरा जीवन जाति व्यवस्था के उन्मूलन के लिये समर्पित कर दिया और ब्राह्मणवादी समाज की धारणा की खुले तौर पर निंदा की।
  • उनके भक्ति गीतों ने भक्ति आंदोलन पर त्वरित प्रभाव डाला। उनकी कविताओं को सिखों के धार्मिक पाठ 'गुरु ग्रंथ साहिब' में भी शामिल किया गया।


भक्ति आंदोलन के बारे में जानकारी 

 

  • भक्ति आंदोलन का विकास तमिलनाडु में सातवीं और नौवीं शताब्दी के बीच हुआ।
  • यह नयनार (शिव के भक्त) और अलवार (विष्णु के भक्त) की भावनात्मक कविताओं में परिलक्षित होता था।
  • इन संतों ने धर्म को एक उदासीन औपचारिक पूजा के रूप में नहीं बल्कि पूज्य और उपासक के बीच प्रेम पर आधारित एक प्रेमपूर्ण बंधन के रूप में देखा।
  • समय के साथ दक्षिण के विचारों का स्थानांतरण उत्तर की ओर हुआ लेकिन यह एक बहुत धीमी प्रक्रिया थी।
  • भक्ति विचारधारा के प्रसार के लिये सर्वाधिक प्रभावी तरीका स्थानीय भाषाओं का प्रयोग था।
  • भक्ति संतों ने अपने छंदों की रचना स्थानीय भाषाओं में की।
  • उन्होंने व्यापक स्तर पर दर्शकों तक पहुँच स्थापित करने के लिये संस्कृत कृतियों का अनुवाद भी किया।
  • उदाहरणार्थ, मराठी में ज्ञानदेव, हिंदी में कबीर, सूरदास और तुलसीदास, असमिया में शंकरदेव, चैतन्य और चंडीदास ने बंगाली, हिंदी तथा राजस्थानी में मीराबाई ने अपना संदेश दिया।

 

सरस आजीविका मेला, 2021


हाल ही में केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री ने नोएडा हाट में सरस आजीविका मेला, 2021 का उद्घाटन किया। 

इस मेले में 27 राज्यों के 300 से अधिक ग्रामीण स्वयं सहायता समूह और शिल्पकार भाग ले रहे हैं। 

यह सामान्य रूप से ग्रामीण भारत और विशेष रूप से ग्रामीण महिलाओं के जीवन में परिवर्तन लाने हेतु एक कार्यक्रम है।

इस मेले के दौरान ग्रामीण स्वयं सहायता समूहों और शिल्पकारों को प्रशिक्षित करने के लिये उत्पाद पैकेजिंग तथा डिज़ाइन, संचार कौशल, सोशल मीडिया प्रचार एवं बिज़नेस टू बिज़नेस मार्केटिंग पर कार्यशालाएँ आयोजित की जाएंगी। 

यह दीनदयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (DAY-NRLM) के तहत ग्रामीण विकास मंत्रालय के लोक कार्यक्रम और ग्रामीण प्रौद्योगिकी विकास परिषद’ (CAPART) द्वारा आयोजित एक पहल है।

CAPART ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा सरकारी और गैर-सरकारी संगठनों के बीच इंटरफेस प्रदान करने के लिये स्थापित एक स्वायत्त निकाय है, यह भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाने का प्रयास करता है।


सरस आजीविका मेला के उद्देश्य: 

ग्रामीण महिलाओं के स्वयं सहायता समूहों (SHGs) को एक मंच के तहत लाना ताकि वे अपने कौशल का प्रदर्शन कर सकें, अपने उत्पादों को बेच सकें और थोक खरीदारों के साथ जुड़ सकें।

सरस आजीविका मेले में भागीदारी के माध्यम से इन ग्रामीण स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी महिलाओं को शहरी ग्राहकों की मांग और पसंद को समझने के लिये राष्ट्रीय स्तर का महत्त्वपूर्ण विवरण प्राप्त होगा।

 

यह मेला महिला सशक्तीकरण हेतु एक एकीकृत दृष्टिकोण के रूप में कार्य करता है।

इस पहल को सरकार के आत्मनिर्भर भारत दृष्टिकोण के साथ जोड़ा गया है।