Daily Current Affairs in Hindi 09 March 2021 09 March 2021 Current Affair
स्मार्टअप-उन्नति कार्यक्रम
- महिला
उद्यमियों को समर्थन एवं सहायता प्रदान करने के उद्देश्य से HDFC बैंक ने हाल में 'स्मार्टअप-उन्नति' नाम से एक कार्यक्रम की शुरुआत की घोषणा की है। इसके तहत HDFC बैंक की डोमेन विशेषज्ञ एवं वरिष्ठ महिलाकर्मी आगामी एक वर्ष में महिला
उद्यमियों को परामर्श संबंधी सेवाएँ प्रदान करेंगी, ताकि
उन्हें अपने लक्ष्य को पूरा करने में सहायता प्रदान की जा सके। ज्ञात हो कि यह
कार्यक्रम बैंक के केवल मौजूदा ग्राहकों के लिये उपलब्ध है। ‘स्मार्टअप-उन्नति’ कार्यक्रम के तहत प्रारंभ में
3000 महिला उद्यमियों को लक्षित किया जाएगा। स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र में
महिला उद्यमियों को प्रायः विशिष्ट चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। ‘स्मार्टअप-उन्नति’ कार्यक्रम बैंक की विशिष्ट महिला
कर्मियों के अनुभव का लाभ प्राप्त करने हेतु एक आदर्श मंच है। यह कार्यक्रम
महिलाओं को बेहतर परामर्श प्राप्त कर अपने दृष्टिकोण के विस्तार और कारोबार को
बढ़ोतरी करने में सक्षम बनाएगा। इससे पूर्व HDFC बैंक ने अपने
‘स्मार्टअप’ कार्यक्रम के तहत वर्ष
2018 में बैंकिंग स्टार्टअप हेतु एक ऑनलाइन मेंटरिंग प्लेटफॉर्म लॉन्च किया था। इस
कार्यक्रम के तहत उद्यमशीलता को बढ़ावा देने के लिये बैंक विभिन्न राज्य सरकारों,
इनक्यूबेटरों और एक्सेलेरेटरों के साथ भागीदारी कर रहा है।
टेकभारत-2021 क्या है
- हाल ही
में केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री ने टेकभारत-2021 के उद्घाटन सत्र
को संबोधित किया। लघु उद्योग भारती और IMS फाउंडेशन ने
हेल्थ टेक एवं एडुटेक क्षेत्रों के विभिन्न हितधारकों को आभासी मंच पर एक साथ लाने
हुए इस कॉन्क्लेव के दूसरे संस्करण का आयोजन किया है। टेकभारत इन क्षेत्रों में
साधन-संपन्न भागीदारी सुनिश्चित करने और विकास को बढ़ावा देने के उद्देश्य से नीति
निर्माताओं, सरकार के प्रतिनिधियों, उद्योग
जगत के सदस्यों, निवेशकों और स्टार्टअप समेत हज़ारों घरेलू
तथा वैश्विक प्रतिभागियों के बीच बातचीत एवं विचार-विमर्श की सुविधा प्रदान करेगा।
ज्ञात हो कि नागरिक स्वास्थ्य व देखभाल के लिये वर्ष 2021-22 के बजटीय आवंटन में
137 प्रतिशत की भारी वृद्धि की गई है, जो न केवल देश की
स्वास्थ्य संबंधी अवसंरचना को मज़बूत करने में मदद करेगा, बल्कि
यह निवारक स्वास्थ्य और समग्र कल्याण के क्षेत्रों पर भी ध्यान केंद्रित करने में
सहायक होगा। इसके अलावा कोरोना वायरस महामारी की शुरुआत के बाद से देश भर में
एडुटेक क्षेत्र में काफी बढ़ोतरी देखने को मिली है और टेकभारत-2021 के माध्यम से
एडुटेक क्षेत्र के विभिन्न हितधारकों को एक मंच पर लाकर इसके विकास पर ध्यान
केंद्रित किया जा सकेगा।
स्वाधीनता पुरस्कार 2021 किसे प्रदान किया गया
- बांग्लादेश सरकार ने विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट योगदान देने वाले नौ प्रसिद्ध हस्तियों और एक संगठन को सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार ‘स्वाधीनता पुरस्कार 2021’ प्रदान करने की घोषणा की है। चार नागरिकों के नाम का चयन बांग्लादेश मुक्ति संग्राम में उनके योगदान के लिये स्वतंत्रता सेनानियों की श्रेणी में पुरस्कार हेतु मरणोपरांत किया गया है। वहीं पाँच नागरिकों को विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, साहित्य, संस्कृति और सामाजिक सेवा आदि श्रेणियों में पुरस्कार के लिये सम्मानित किया गया है। संगठनों की श्रेणी में बांग्लादेश कृषि अनुसंधान परिषद को अनुसंधान और प्रशिक्षण के लिये नामित किया गया है। यह पुरस्कार बांग्लादेश की स्वतंत्रता के बाद वर्ष 1977 से दिया जा रहा है। इस पुरस्कार के तहत एक स्वर्ण पदक और 5 लाख टका नकद दिया जाता है।
पेंच टाइगर रिज़र्व Pench Tiger Reserve
- हाल ही में आदमखोर बाघिन ‘अवनी’ की एक मादा शावक (Cub) को महाराष्ट्र के ‘पेंच टाइगर रिज़र्व’ (PTR) के जंगलों में छोड़ा गया है।
- महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में स्थित इस टाइगर रिज़र्व का नामकरण प्राचीन पेंच नदी के नाम पर किया गया है।
- पेंच नदी, ‘पेंच टाइगर रिज़र्व’ के बीच से होकर गुज़रती है।
- यह नदी उत्तर से दक्षिण की ओर बहती है तथा संपूर्ण रिज़र्व को पूर्वी और पश्चिमी हिस्सों में विभाजित करती है।
- यह रिज़र्व मध्य प्रदेश के सिवनी और छिंदवाड़ा ज़िलों में सतपुड़ा पहाड़ियों के दक्षिणी छोर पर स्थित है और महराष्ट्र के नागपुर ज़िले तक विस्तारित है।
- वर्ष 1975 में इसे महाराष्ट्र सरकार द्वारा एक राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया और वर्ष 1998-1999 में इसे एक टाइगर रिज़र्व की मान्यता प्रदान की गई गई।
- उल्लेखनीय है कि पेंच टाइगर रिज़र्व (PTR) के मध्य प्रदेश स्थित हिस्से को वर्ष 1992-1993 में ही टाइगर रिज़र्व का दर्जा दे दिया गया था। यह केंद्रीय उच्च भूमि/सेंट्रल हाइलैंड्स के सतपुड़ा-मैकल पर्वतमाला के प्रमुख संरक्षित क्षेत्रों में से एक है।
- यह भारत के महत्त्वपूर्ण पक्षी क्षेत्रों (IBA) के रूप में अधिसूचित स्थलों/साइटों में से एक है।
- IBA बर्डलाइफ इंटरनेशनल का एक कार्यक्रम है, जिसका उद्देश्य विश्वभर के पक्षियों और संबंधित विविधता के संरक्षण हेतु महत्त्वपूर्ण पक्षी क्षेत्रों के वैश्विक नेटवर्क की पहचान, निगरानी और सुरक्षा करना है।
वनस्पति
- संपूर्ण रिज़र्व में हरित आवरण विस्तारित है।
- यहाँ चौड़ी पत्ती वाले शुष्क वन तथा उष्णकटिबंधीय मिश्रित पर्णपाती वन पाए जाते हैं।
- यहाँ औषधीय तथा उपचारात्मक गुणों से युक्त कुछ विशिष्ट किस्म के पौधे और वनस्पतियाँ मौजूद हैं।
- रिज़र्व के आस-पास के जल निकायों में बाँस भी पाए जाते हैं।
प्राणि जगत
यहाँ पाए जाने वाले स्तनधारियों में
स्लॉथ बियर/सुस्त भालू, सियार, नीलगाय, जंगली कुत्ता आदि शामिल हैं।
पक्षी
मोर, मैगपाई रॉबिन,
पिनटेल, ड्रोंगो, मैना आदि यहाँ पाई जाने वाली प्रमुख
पक्षी प्रजातियाँ हैं।
बीजू पटनायक Biju Patnaik
- 5 मार्च को बीजू पटनायक की जयंती मनाई गई। उन्हें एक स्वतंत्रता सेनानी, एक भारतीय राजनेता, एक विमान-चालक और एक व्यवसायी के रूप में याद किया जाता है।
- बिजयानंद पटनायक का जन्म 5 मार्च 1916 को हुआ था, वह बीजू पटनायक के नाम से लोकप्रिय थे।
- वे एक अच्छे पायलट थे। वर्ष 1936 में रॉयल इंडियन एयर फोर्स में शामिल हो गए।
- वे दो बार ओडिशा के मुख्यमंत्री रहे।
स्वतंत्रता संग्राम में भूमिका:
- बीजू पटनायक ने वर्ष 1942 में एक स्वतंत्रता सेनानी के रूप में अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की। वे भारत को स्वतंत्रता दिलाने के लिये महात्मा गांधी के मार्गदर्शन में भारत छोड़ो आंदोलन में शामिल हुए।
- वह कॉन्ग्रेस के एक प्रमुख नेता बन गए, उन्होंने जय प्रकाश नारायण और डॉ. राम मनोहर लोहिया के साथ भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लिया।
- वर्ष 1943 में वे भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लेने के बाद लगभग दो वर्ष तक कारावास में रहे।
- उन्होंने नेताजी सुभाष चंद्र बोस की ‘इंडियन नेशनल आर्मी’ का भी समर्थन किया।
- उन्होंने द्वितीय विश्व युद्ध और वर्ष 1948 के कश्मीर युद्ध में भारतीय वायु सेना में एक पायलट के रूप में प्रमुख भूमिका निभाई।
कश्मीर के एकीकरण में भूमिका:
- बीजू पटनायक ने निडरता से 27 अक्तूबर 1947 को श्रीनगर में एक DC -3 परिवहन विमान उड़ाया था, जिसमें कश्मीर में पाकिस्तान के कबायली आक्रमण के बाद सिख रेजिमेंट के सैनिकों को पहुँचाया गया था।
इंडोनेशियाई स्वतंत्रता संग्राम में
भूमिका:
- पंडित जवाहरलाल नेहरू के अनुरोध पर बीजू पटनायक ने जावा के लिये उड़ान भरी और दिल्ली में एक बैठक के लिये ‘सुल्तान शहरयार’ (Sutan Sjahrir) को इंडोनेशिया के डच नियंत्रित क्षेत्र से बाहर लाए।
- बहादुरी के इस कार्य के लिये उन्हें इंडोनेशिया में मानद नागरिकता दी गई और उन्हें ‘भूमि पुत्र’ उपाधि से सम्मानित किया गया।
- वर्ष 1996 में बीजू पटनायक को सर्वोच्च इंडोनेशियाई राष्ट्रीय पुरस्कार, 'बंटांग जसा उटमा' से सम्मानित किया गया था।
असोला भट्टी वन्यजीव अभयारण्य में
जड़/अक्रिय अपशिष्ट का क्षेपण
सर्वोच्च न्यायालय द्वारा स्थापित रिज
मैनेजमेंट बोर्ड ने असोला भट्टी वन्यजीव अभयारण्य (दिल्ली) की खानों में अक्रिय
(गैर-प्रतिक्रियाशील) अपशिष्ट के क्षेपण/डंपिंग के प्रस्ताव की समीक्षा हेतु एक
विशेषज्ञ समिति गठित करने का निर्णय लिया है।
जड़/अक्रिय अपशिष्ट:
अक्रिय अपशिष्ट वह कचरा है जो न तो
जैविक रूप से प्रतिक्रियाशील है और न ही रासायनिक रूप से। इस प्रकार का अपशिष्ट या
तो विघटित नहीं होता या बहुत धीरे-धीरे विघटित होता है।
अक्रिय/निष्क्रिय अपशिष्ट में निर्माण और विध्वंस सामग्री जैसे धातु, लकड़ी, ईंट, राजगीरी से जुड़े अपशिष्ट और सीमेंट
कंक्रीट, डामरी कंक्रीट,पेड़ की शाखाएँ, कोयले से चलने वाले बॉयलर की राख और
वायु प्रदूषण नियंत्रण उपकरण से अपशिष्ट कोयले के बुरादे आदि शामिल होते हैं
(हालाँकि यह इन्ही तत्त्वों तक सीमित नहीं है)
ये अपशिष्ट आमतौर पर पर्यावरण, जानवरों या अन्य लोगों के स्वास्थ्य के
लिये खतरा पैदा नहीं करते हैं और न ही ये जलस्रोतों की गुणवत्ता को खतरे में
डालेंगे।
जब इस प्रकार के कचरे की मात्रा बहुत
बड़ी होती है तो यह एक मुद्दा बन सकता है क्योंकि यह बहुत अधिक स्थान को कवर करना
शुरू कर देता है।
असोला भट्टी वन्यजीव अभयारण्य
- असोला-भट्टी वन्यजीव अभयारण्य 32.71 वर्ग किमी क्षेत्र में फैला है और यह दिल्ली-हरियाणा सीमा पर अरावली पर्वत शृंखला के दक्षिणी दिल्ली रिज (कटक/पर्वत श्रेणी) पर स्थित है।
- गुरुग्राम और फरीदाबाद में असोला भट्टी वन्यजीव अभयारण्य के आस-पास 1 किमी का क्षेत्र एक पर्यावरण-संवेदी क्षेत्र है।
- इस क्षेत्र में वाणिज्यिक खनन, उद्योगों की स्थापना और प्रमुख जलविद्युत परियोजनाओं की स्थापना जैसी गतिविधियाँ प्रतिबंधित हैं।
- असोला वन्यजीव अभयारण्य में प्राणि और वनस्पति-जात विविधता से भरा हुआ है।
- इसमें विभिन्न प्रकार के वृक्ष, झाड़ियाँ, जड़ी-बूटियाँ और घास की प्रजातियाँ पाई जाती हैं।
- साथ ही यह बड़ी संख्या में स्तनधारी, सरीसृप, उभयचर, तितलियों और पतंगों व अन्य जीवों का निवास स्थान है।
- इस अभयारण्य में रहने वाले पक्षियों स्थनीय निवासी और प्रवासी पक्षियों की लगभग 200 प्रजातियाँ शामिल हैं।
- अभयारण्य के अंदर स्थित वन्यजीव निवास दिल्ली, फरीदाबाद और गुरुग्राम के लिये जल पुनर्भरण क्षेत्र के रूप में कार्य करता है।
रिज मैनेजमेंट बोर्ड (Ridge Management Board):
पृष्ठभूमि : सर्वोच्च न्यायालय ने
एम.सी. मेहता मामले (1987)
में दिल्ली सरकार को अपने आदेश के
माध्यम से दिल्ली रिज के संरक्षण के हेतु रिज प्रबंधन बोर्ड गठित करने का निर्देश
दिया था।
दिल्ली रिज लगभग 35 किमी लंबी है और यह अरावली पर्वत माला
का उत्तरी विस्तार है।
दिल्ली रिज राजधानी के हरित फेफड़ों या
ग्रीन लंग्स के रूप में कार्य करती है और इसे संरक्षित करने के प्रयास में वर्षों
से विभिन्न सरकारी आदेशों के माध्यम से इस क्षेत्र में सभी निर्माण गतिविधियों को
प्रतिबंधित किया गया है।
स्थापना की तारीख: 6 अक्तूबर, 1995।
सदस्य:दिल्ली के मुख्य सचिव इस बोर्ड का अध्यक्ष होते हैं और दिल्ली सरकार के वन विभाग का प्रमुख इसका सदस्य सचिव होते हैं।
इस बोर्ड में गैर-सरकारी संगठनों (एनजीओ) के सदस्य भी होते हैं।
स्वच्छता और महिला नेतृत्त्व
संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा निर्धारित सतत् विकास लक्ष्यों (SDG) के तहत शामिल लक्ष्य 6.2 को प्राप्त करने हेतु भारत को वर्ष 2030 तक महिलाओं, लड़कियों तथा समाज के सुभेद्य वर्ग की ज़रूरतों पर विशेष ध्यान देते हुए, सभी के लिये स्वच्छता एवं सफाई तक पर्याप्त एवं समान पहुँच सुनिश्चित करने के साथ खुले में शौच की कुप्रथा को भी समाप्त करना होगा।
इस संदर्भ में भारत सरकार द्वारा स्वच्छ भारत मिशन (SBM) की शुरुआत की गई है, जिसके तहत जल और स्वच्छता के बुनियादी ढाँचे की स्थापना के साथ-साथ भारत को खुले में शौच मुक्त बनाने की परिकल्पना की गई है।
हालाँकि SBM स्वास्थ्य एवं स्वच्छता में सुधार हेतु एक जन आंदोलन है, फिर भी ऐसे बहुत से उदाहरण हैं जिनमें लड़कियों तथा महिलाओं को ऐसी स्थिति का सामना करना पड़ता है जहाँ स्वच्छता सुविधाओं तक पहुँच आसान नहीं है और यहाँ तक कि यह असुरक्षित भी है।
चूँकि अन्य सामाजिक मुद्दों की तरह ही
लैंगिक पहलू स्वच्छता और सफाई का भी एक महत्त्वपूर्ण घटक है, इसलिये इसमें कोई संदेह नहीं है कि
जैसे-जैसे स्वच्छता, स्वास्थ्य और सफाई का यह जन आंदोलन गति
पकड़ेगा महिलाएँ इस क्षेत्र में व्यापक तथा स्थायी परिवर्तन लाने में सहायता कर
सकती हैं।
स्वच्छता और लैंगिक मुद्दों से जुड़ी चुनौतियाँ:
- वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार, भारत की 50% से अधिक आबादी शौच के लिये खुले में जाती है जबकि एक हालिया सर्वेक्षण के अनुसार 60% ग्रामीण घरों और 89% शहरी घरों में शौचालय की मौजूदगी है।
- निर्णय प्रक्रिया में सीमित भूमिका: वास्तविकता में स्वच्छता से जुड़ी योजनाओं के प्रवर्तक शायद ही कभी महिलाओं को जल और स्वच्छता समितियों में भाग लेने के लिये प्रोत्साहित करते हैं, जो उनकी भागीदारी की गारंटी नहीं देता है।
- इसके अतिरिक्त उम्र, परिवार में स्थिति और सामाजिक तथा सांस्कृतिक बाधाएँ भी कुछ ऐसे कारक हैं जो स्वच्छता संबंधी निर्णय लेने में महिलाओं की भागीदारी को निर्धारित करते हैं।
- लिंग आधारित स्वच्छता असुरक्षा: स्वच्छता सुविधाओं कमी या अनुपलब्धता का भार पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं के लिये असमान रूप से अधिक होता है, जिसे “लिंग आधारित स्वच्छता असुरक्षा” भी कहा जा सकता है।
- पुरुषों के अपेक्षा महिलाओं के लिये अपने दैनिक जीवन में गोपनीयता का महत्त्व अधिक होता है।
- ऐसे में उचित स्वच्छता सुविधाओं की अनुपलब्धता महिलाओं के लिये एक असहाय स्थिति पैदा करती है और यह उनमें विभिन्न रोगों के जोखिम को बढ़ावा देती है।
- खुले में शौच से जुड़े जोखिम: खुले में शौच हेतु जाते समय महिलाएँ असुरक्षित महसूस करती हैं और कई मामलों में उन्हें अपने जीवन के लिये खतरे का सामना करना पड़ता है।
- इससे जुड़े जोखिमों में शाम होने के बाद या सुबह ही अँधेरे में बाहर जाते समय असुरक्षित महसूस करना; और सुरक्षित एवं पर्याप्त सुविधाओं के अभाव में मासिक धर्म की शुरुआत के साथ ही लड़कियों का स्कूल छोड़ना आदि शामिल है।
आगे की राह:
व्यवहार परिवर्तन सुनिश्चित करना: आम
जनता के व्यवहार परिवर्तन पर केंद्रित सूचना, शिक्षा
और संचार प्रबंधन स्वच्छता मिशन 2.0 की
सफलता की कुंजी है।
स्वच्छ भारत मिशन 2.0 के तहत स्थायी ठोस अपशिष्ट प्रबंधन और
अपशिष्ट जल के सुरक्षित निपटान तथा पुन: उपयोग के नए एजेंडों को शुरू करने के साथ
सतत् व्यवहार परिवर्तन की बात भी कही गई है।
एक सक्रिय एसबीएम संदेश जो प्रमुख
परिवर्तनों को दर्शाता है,
महिला समूहों के अनुभवों एवं सफलता को
प्रचारित तथा लोकप्रिय बनाने का प्रयास करता है। इस प्रकार का सक्रिय संदेश
वर्तमान में सामाजिक जागरूकता में वृद्धि करने में सहायक होगा और यह महिलाओं को
स्वच्छता संबंधी पहलों का पूर्ण नियंत्रण लेने के लिये प्रेरित करेगा।
सकारात्मक व्यवहार परिवर्तन लाने वाले मामलों से जुड़े अध्ययन:
- स्वच्छता के क्षेत्र में महिला नेतृत्त्व के साहसी उदाहरण: छत्तीसगढ़ की एक दिव्यांग पंचायत प्रमुख उत्तरा ठाकुर अपने गाँव में स्वच्छता सेवाओं को बेहतर बनाने के लिये प्रतिबद्ध थी।
- उन्होंने घर-घर जाकर लोगों को शौचालय के उपयोग हेतु प्रेरित किया। उनकी इस प्रतिबद्धता ने पूरे गाँव को इस मुहिम में उनके साथ खड़े होने और अपने गाँव को खुले में शौच से मुक्त बनने के लिये प्रेरित किया।
- झारखंड में प्रशिक्षित महिला राजमिस्त्रियों ने एक वर्ष में 15 लाख से अधिक शौचालयों का निर्माण किया और राज्य को खुले में शौच से मुक्त (ग्रामीण) बनाने के लक्ष्य को प्राप्त करने में सहायता की।
- सरकार के अलावा गैर-सरकारी नेतृत्त्व जैसे बिल एंड मिलिंडा गेट्स फाउंडेशन, यूनिसेफ जैसी संस्थाओं तथा कई अन्य गैर-सरकारी संगठनों ने भी इस संबंध में विविध प्रयास किये हैं जिनकी सराहना की जानी चाहिये।
- सरकार ने भी बहुत ही प्रभावी ढंग से 8 लाख से अधिक स्वच्छाग्रहियों (मुख्य रूप से महिलाएँ) का उपयोग किया है, जो छोटे मानदेय के बदले सामुदायिक स्तर पर व्यवहार परिवर्तन को बढ़ावा देने का कार्य करते हैं।
- स्वच्छता और सफाई को आजीविका से जोड़ना: फिक्की द्वारा शुरू किये गए ‘इंडिया सैनिटेशन कोअलिशन’ ने महिलाओं द्वारा स्वच्छता आवश्यकताओं के लिये संचालित स्व-सहायता समूहों को सूक्ष्म-वित्त सुविधाओं से जोड़ने में सहायता की है।
- जल, स्वच्छता और सफाई या वाश (Water, Sanitation, and Hygiene- WASH) कार्यक्रमों के साथ आय और कल्याण प्रभावों में वृद्धि करने हेतु लक्षित समूहों के साथ इस तरह के हस्तक्षेप को बढ़ावा दिया जाना चाहिये।
- लिंग आधारित परिणामों की निगरानी: SBM में लिंग आधारित परिणामों को ट्रैक करने और मापने के लिये एक राष्ट्रीय निगरानी एवं मूल्यांकन प्रणाली को स्थापित करना बहुत ही आवश्यक है।
- इस क्षेत्र से जुड़े कई शोधकर्त्ताओं ने विकास से जुड़ी प्रथाओं में लिंग आधारित विश्लेषण ढाँचे के एक लंबे इतिहास को रेखांकित किया है।
- हम कार्यक्रमों की प्रभावी परिकल्पना, कार्यान्वयन और उनकी निगरानी को समर्थन प्रदान करने के लिये ऐसी रूपरेखाओं से सीख प्राप्त सकते हैं, जो स्वच्छता में लैंगिक समानता के अंतर को समाप्त/दूर करने में सहायक हों।
- वर्तमान में हस्तक्षेप के दोनों पक्षों (आपूर्ति और मांग) पर लैंगिक लक्ष्यीकरण के लिये हितधारकों में क्षमता निर्माण हेतु प्रभावी संचार एवं प्रशिक्षण कार्यक्रमों की आवश्यकता है।
भारतीय विज्ञान अनुसंधान फेलोशिप 2021
भारतीय विज्ञान अनुसंधान फेलोशिप (Indian Science Research Fellowship), 2021 पुरस्कार प्रदान किया गया।
यह फेलोशिप भारत के पड़ोसी देशों के साथ शोध क्षेत्र में सहयोग को बढ़ावा देने के लिये एक महत्त्वपूर्ण मंच है जो कि विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी विभाग (Department of Science and Technology) के अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी सहयोग (International Science and Technology Cooperation) का एक महत्त्वपूर्ण अंग है।
भारतीय विज्ञान अनुसंधान फेलोशिप के विषय में:
भारत के पड़ोसी देशों के साथ सहयोग और साझेदारी
बढ़ाने की पहल के अंतर्गत विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग ने S&T साझेदारी विकसित करने के उद्देश्य से ISRF कार्यक्रम को आरंभ किया है।
इस कार्यक्रम को अफगानिस्तान, बांग्लादेश, भूटान, मालदीव, म्याँमार, नेपाल, श्रीलंका और थाईलैंड के शोधार्थियों के लिये शुरू किया गया है।
ISRF कार्यक्रम में भारत के पड़ोसी देशों के
युवा शोधकर्त्ताओं को भारतीय विश्वविद्यालयों और भारतीय शोध संस्थानों में उपलब्ध
विश्व स्तरीय शोध सुविधाओं तक पहुँच सुलभ होती है।
इस कार्यक्रम का क्रियान्वयन वर्ष 2015 से किया जा रहा है।
फेलोशिप का महत्त्व:
विज्ञान कूटनीति: इस फेलोशिप कार्यक्रम
के माध्यम से वैश्विक क्षेत्र में भारत के प्रभाव को बढ़ाने और विज्ञान, प्रौद्योगिकी तथा नवाचार (Science, Technology and Innovation) को अंतर्राष्ट्रीय कूटनीति तथा विदेशी
संबंधों के मामले में मुख्यधारा में शामिल करने में मदद मिलेगी।
इससे दक्षिण एशिया क्षेत्र में तकनीकी
उन्नति को बढ़ावा मिलेगा।
अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान और
प्रौद्योगिकी सहयोग
ISTC के विषय में: यह प्रभाग विज्ञान एवं
प्रौद्योगिकी विभाग के अंतर्गत आता है जो अंतर्राष्ट्रीय वैज्ञानिक तथा तकनीकी
मामलों के सौदों, वैज्ञानिक और तकनीकी सहयोग, करार के कार्यान्वयन आदि के लिये
ज़िम्मेदार है।
भारत तथा अन्य देशों के बीच हुए S&T समझौतों पर विचार-विमर्श करना, निष्कर्ष निकालना और लागू करना।
अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर S&T आयामों के संदर्भ में अपनी बात रखना।
महत्त्व:
भारत की वैज्ञानिक उत्कृष्टता को
वैश्विक अनुसंधान परिदृश्य में प्रदर्शित करना और पेश करना।
भारत के राष्ट्रीय विज्ञान और
प्रौद्योगिकी अनुसंधान की सामर्थ्य, क्षमता
तथा पहुँच को मज़बूत करने के लिये विदेशी गठबंधनों एवं साझेदारियों का उपयोग
राष्ट्र के प्रमुख कार्यक्रमों के साथ तालमेल बनाने में करना।
ISTC प्रभाग निम्नलिखित अंतर्राष्ट्रीय
कार्यक्रमों में भागीदारी कर रहा है-
अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन,
मिशन इनोवेशन,
इंटरनेशनल एड्स वैक्सीन इनिशिएटिव,
लेज़र इंटरफेरोमीटर ग्रेविटेशनल-वेव
ऑब्ज़र्वेटरी (LIGO), आदि।
MSME क्रेडिट हेल्थ इंडेक्स
MSME क्रेडिट हेल्थ इंडेक्स इंगित करता है कि जून 2020 में समाप्त तिमाही की तुलना में सितंबर 2020 में समाप्त तिमाही में MSME क्रेडिट वृद्धि में तेज़ी देखी गई।
आपातकालीन क्रेडिट लाइन गारंटी योजना (ECGLS) ने सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (MSME) क्षेत्रों के लिये ऋण वृद्धि में
सहायता की है।
MSME क्रेडिट हेल्थ इंडेक्स:
- जारीकर्त्ता: ट्रांसयूनियन सिबिल (TransUnion CIBIL) ने सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (MoSPI) के साथ साझेदारी में ‘MSME क्रेडिट हेल्थ इंडेक्स’ लॉन्च किया है।
- यह सूचकांक तिमाही आधार पर प्रकाशित किया जाता है।
- लक्ष्य: भारत में MSME क्षेत्र की वृद्धि और क्षमता का मूल्यांकन करना।
- यह सूचकांक सरकार, नीति निर्माताओं, ऋणदाताओं और MSME क्षेत्र के सहभागियों को MSME क्षेत्र की स्थिति के आकलन के लिये एक संख्यात्मक संकेतक प्रदान करता है।
- मापन: यह सूचकांक भारत के MSME उद्योग की क्रेडिट स्थिति को दो मापदंडों पर मापता है- वृद्धि और क्षमता। वृद्धि और क्षमता दोनों सूचकांक के उच्चतर सिद्धांत का पालन करते हैं।
- समय के साथ एक्सपोज़र वैल्यू (बकाया शेष) में बढ़ोतरी के अनुसार वृद्धि को मापा जाता है।
- बढ़ता ग्रोथ इंडेक्स क्रेडिट ग्रोथ में सुधार का संकेत देता है।
- गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों (NPA) के संदर्भ में क्रेडिट जोखिम में कमी/वृद्धि से क्षमता को मापा जाता है।
- इस सूचकांक के अंतर्गत क्षमता में वृद्धि बेहतर परिसंपत्ति गुणवत्ता तथा इस क्षेत्र की संरचनात्मक क्षमता में सुधार को दर्शाता है।
- महत्त्व: यह मापन मॉडल बेहतर MSME क्रेडिट जोखिम प्रबंधन, बेहतर रणनीतियों और नीतियों के निर्माण से MSME क्षेत्र और अर्थव्यवस्था का पुनरुद्धार व पुनरुत्थान में सहयोग प्रदान करता है।
नवीनतम आँकड़े:
समग्र वृद्धि सूचकांक जून 2020 के 111 अंक से तीन अंक बढ़कर 114
अंक हो गया।
समग्र क्षमता सूचकांक भी इसी अवधि में 83 से बढ़कर 89 हो गया।
आपातकालीन क्रेडिट लाइन गारंटी योजना (ECGLS):
- यह योजना मई 2020 में कोरोनोवायरस के कारण लागू लॉकडाउन की वजह से उत्पन्न संकट को कम करने के लिये विशेष रूप से सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSME) को ऋण प्रदान करने हेतु आत्मनिर्भर भारत अभियान पैकेज के एक भाग के रूप में शुरू की गई।
- ECLGS गारंटीकृत आपातकालीन क्रेडिट लाइन (GECL) सुविधा प्रदान करता है।
- GECL एक ऐसा ऋण है जिसके लिये 100% गारंटी ‘नेशनल क्रेडिट गारंटी ट्रस्टी कंपनी’ (NCGTC) द्वारा मेंबर लेंडिंग इंस्टीट्यूशंस (MLI)- बैंकों, वित्तीय संस्थानों और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFC) को प्रदान की जाती है।
- बैंकों के मामले में अतिरिक्त कार्यशील पूंजी अवधि ऋण सुविधा तथा NBFCs के मामले में अतिरिक्त ऋण सुविधा प्रदान करने के लिये पात्र सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों (MSMEs)/व्यवसायों और प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (PMMY) के तहत इच्छुक ऋणधारकों के लिये उपलब्ध है।
राष्ट्रीय क्रेडिट गारंटी ट्रस्टी कंपनी लिमिटेड:
‘NCGTC’ कंपनी अधिनियम, 1956 के तहत वर्ष 2014 में निगमित एक निजी लिमिटेड कंपनी है, इसे वित्तीय सेवा विभाग, वित्त मंत्रालय द्वारा भारत सरकार के
पूर्ण स्वामित्व वाली कंपनी के रूप में स्थापित किया गया है, जो क्रेडिट गारंटी के लिये एक सामान्य
ट्रस्टी कंपनी के रूप में कार्य करती है।
ऋण गारंटी कार्यक्रम उधारदाताओं के
उधार जोखिम को साझा करने के लिये डिज़ाइन किये गए हैं और यह संभावित ऋण
प्राप्तकर्त्ताओं के लिये वित्त तक पहुँच की सुविधा प्रदान करते हैं।