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सोमवार, 5 अप्रैल 2021

5 April Current Affairs in Hindi

 5 April Current Affairs in Hindi

5 April Current Affairs in Hindi



H1-B वीज़ा प्रतिबंध

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा लागू किये गए वीज़ा प्रतिबंधों का विस्तार न करने का फैसला लिया है। बीते वर्ष जून माह में पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा अधिरोपित प्रतिबंध मुख्य रूप से H1-B वीज़ा पर केंद्रित थे, साथ ही इन प्रतिबंधों का कुछ प्रभाव L-1 वीज़ा पर भी पड़ा था। राष्ट्रपति ट्रंप द्वारा लागू किये गए इन प्रतिबंधों का प्राथमिक प्रभाव आतिथ्य उद्योग के श्रमिकों और अध्ययन के साथ-साथ कार्य कर रहे छात्रों पर देखा गया था। राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन और कोरोना वायरस महामारी के बीच राष्ट्रपति ट्रंप ने घोषणा करते हुए H1-B सहित कई अस्थायी या गैर-आप्रवासीवीज़ा श्रेणियों के आवेदकों का अमेरिका में प्रवेश निलंबित कर दिया था। राष्ट्रपति ट्रंप ने यह तर्क दिया था कि इन वीज़ा कार्यक्रमों के कारण अमेरिकी श्रम बाज़ार पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। संयुक्त राज्य अमेरिका में रोज़गार के इच्छुक लोगों को H1-B वीज़ा प्राप्त करना आवश्यक होता है। H1-B वीज़ा वस्तुतः इमीग्रेशन एंड नेशनलिटी एक्टकी धारा 101(a) और 15(h) के अंतर्गत संयुक्त राज्य अमेरिका में रोज़गार के इच्छुक गैर-अप्रवासी नागरिकों को दिया जाने वाला वीज़ा है। यह अमेरिकी नियोक्ताओं को विशेषज्ञतापूर्ण व्यवसायों में अस्थायी तौर पर विदेशी कर्मचारियों को नियुक्त करने की अनुमति देता है।

 

राष्ट्रीय समुद्री दिवस

भारत में प्रत्येक वर्ष 5 अप्रैल को राष्ट्रीय समुद्री दिवसमनाया जाता है। इस दिवस का प्राथमिक उद्देश्य सुरक्षित और पर्यावरण की दृष्टि से अनुकूल अंतर-महाद्वीपीय वाणिज्य एवं व्यापार तथा वैश्विक अर्थव्यवस्था में समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र के महत्त्व के बारे में जागरूकता बढ़ाना है। यह दिवस देश के समुद्री क्षेत्र की रक्षा और संरक्षण पर केंद्रित है। ज्ञात हो कि लगभग 100 वर्ष पूर्व 5 अप्रैल, 1919 को पहला भारतीय समुद्री जहाज़ मुंबई से ब्रिटेन की यात्रा पर रवाना हुआ था, उसी की याद में 1964 से प्रत्येक वर्ष 5 अप्रैल को राष्ट्रीय समुद्री दिवस मनाया जाता है। इस दिवस को मनाने का लक्ष्य आम लोगों को भारतीय जहाज़रानी उद्योग की गतिविधियों के साथ-साथ भारत की अर्थव्यवस्था में इसकी अहम भूमिका से रूबरू कराना है। इतिहासकारों की मानें तो भारत के समुद्री इतिहास की शुरुआत तब हुई थी जब तीसरी सहस्राब्दी ईसा पूर्व सिंधु घाटी के लोगों ने मेसोपोटामिया के साथ अपने समुद्री व्यापार की शुरुआत की थी और जब रोमन साम्राज्य द्वारा मिस्र का अतिक्रमण किया गया, तो रोम के साथ भी व्यापार शुरू हो गया। नौवहन महानिदेशालय द्वारा प्रस्तुत आँकड़ों के मुताबिक, भारत में दिसंबर 2018 तक कुल 43 शिपिंग कंपनियाँ हैं, जिनके पास कुल 1,401 समुद्री जहाज़ मौजूद हैं।

 

राष्ट्रीय ड्राइविंग लाइसेंस रजिस्टर

डुप्लीकेट ड्राइविंग लाइसेंस को समाप्त करने के उद्देश्य से सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने 31 मार्च से राष्ट्रीय ड्राइविंग लाइसेंस रजिस्टरकी शुरुआत की है। इस रजिस्टर का उद्देश्य डुप्लीकेट ड्राइविंग लाइसेंस और उसके दुरुपयोग को रोकना है, साथ ही इसके माध्यम से ड्राइविंग लाइसेंस में होने वाले सभी परिवर्तन इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से किये जाएंगे। भारत में सड़क दुर्घटनाओं के कारण प्रतिवर्ष लगभग 1.5 लाख लोगों की मृत्यु होती है, जिनमें से अधिकांश दुर्घटनाओं में ड्राइवर की गलती होती है। यद्यपि राज्यों के अधिकांश ड्राइविंग लाइसेंस पहले से ही राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र के सारथीपोर्टल पर मौजूद हैं, इस रजिस्टर के प्रभाव में आने पर आगामी कुछ महीनों में सभी राज्य सरकारों के लिये राज्य के सभी पुराने ड्राइविंग लाइसेंस संबंधित डेटा को ऑनलाइन स्थानांतरित करना अनिवार्य हो जाएगा।

 

इनसाइट लैंडर

अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के इनसाइट लैंडर ने हाल ही में मंगल ग्रह पर भूकंप के दो झटकों को रिकॉर्ड किया है। क्रमशः 3.3 और 3.1 की तीव्रता के ये भूकंप के झटके सर्बरस फॉसएनामक क्षेत्र में महसूस किये गए, जहाँ इससे पूर्व भी भूकंप के दो अन्य झटकों को महसूस किया गया था। ज्ञात हो कि ये भूकंप के झटके इस तथ्य की पुष्टि करते हैं कि मंगल ग्रह पर सर्बरस फॉसएभूकंपीय रूप से सक्रिय क्षेत्र है। नासा द्वारा प्रस्तुत आँकड़ों की मानें तो नवंबर 2018 में जब से इनसाइट लैंडर ने मंगल ग्रह पर लैंड किया है, तब से 500 से अधिक भूकंप के झटकों को रिकॉर्ड किया जा चुका है। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी की मानें तो मंगल ग्रह पर पृथ्वी की तरह टेक्टोनिक प्लेट नहीं हैं, किंतु वहाँ ज्वालामुखी गतिविधियों की दृष्टि से सक्रिय क्षेत्र ज़रूर मौजूद हैं, जो सतह पर कंपन उत्पन्न कर सकते हैं। इनसाइटका पूरा नाम इंटीरियर एक्सप्लोरेशन यूज़िंग सिस्मिक इन्वेस्टिगेशंस जियोडेसी एंड हीट ट्रांसपोर्ट’ (InSight) है। इनसाइट लैंडर मिशन मंगल ग्रह की सतह के नीचे विस्तृत अध्ययन के लिये समर्पित पहला मिशन है, यह 26 नवंबर, 2018 को मंगल ग्रह की सतह पर उतरा था।

 

 

 
वर्ल्ड सिटीज़ कल्चर फोरम (World Cities Culture Forum)

दिल्ली के मुख्यमंत्री, वर्ल्ड सिटीज़ कल्चर फोरम (WCCF) में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे। 

ज्ञात हो कि इस वर्ष के वार्षिक शिखर सम्मेलन की तिथि की घोषणा की जानी अभी शेष है।

स्थापना: WCCF की स्थापना वर्ष 2012 में लंदन में आठ शहरों के साथ की गई थी।

सदस्य शहर: वर्तमान में इस फोरम में कुल 43 भागीदार सदस्य शहर शामिल हैं।

भाग लेने वाले सदस्य शहरों में लंदन, हॉन्गकॉन्ग, एम्स्टर्डम, एडिनबर्ग, लिस्बन, सैन फ्रांसिस्को, शंघाई आदि शामिल हैं।

राजधानी दिल्ली को इस वर्ष आमंत्रित किया गया है हालाँकि अभी तक यह सदस्य शहरों का हिस्सा नहीं है।

भूमिका: यह सदस्य शहरों के नीति निर्माताओं को अनुसंधान और खुफिया सूचनाओं को साझा करने में सक्षम बनाता है और शहरों की समृद्धि में संस्कृति की महत्त्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करने का प्रयास करता है।

प्रबंधन: वर्ल्ड सिटीज़ कल्चर फोरम की गतिविधियों का प्रबंधन ग्रेटर लंदन अथॉरिटी (लंदन की नगरपालिका सरकार) द्वारा एक विशेषज्ञ कंसल्टिंग फर्म-बीओपी कंसल्टिंगके माध्यम से प्किया जाता है।

बीओपी कंसल्टिंगसंस्कृति और रचनात्मकता के प्रभाव और महत्त्व को मापने के लिये तुलनात्मक शोध करती है और इसे फोरम के साथ साझा करती है, ताकि सदस्य साक्ष्य-आधारित नीतिगत निर्णय ले सकें।

वर्ल्ड सिटीज़ कल्चर समिट: फोरम के सदस्य शहर थीम आधारित संगोष्ठी, क्षेत्रीय शिखर सम्मेलन और कार्यशालाओं सहित कार्यक्रमों के माध्यम से सहयोग करते हैं। ये आयोजन वार्षिक वर्ल्ड सिटीज़ कल्चर समिट में शामिल होते हैं।

सदस्य शहरों द्वारा रोटेशन के आधार पर आयोजित इस अनूठी सभा से सदस्य शहरों के नेताओं को भविष्य के सतत् शहर के लिये एक आयोजन सिद्धांत के रूप में संस्कृति की भूमिका के बारे में विचारों और ज्ञान को साझा करने की अनुमति मिलती है।

इसमें सदस्य शहरों के सांस्कृतिक प्रमुखों द्वारा हिस्सा लिया जाता है।

वर्ष 2021 की थीम: संस्कृति का भविष्य

वर्ल्ड सिटीज़ कल्चर रिपोर्ट: दिल्ली वर्ल्ड सिटीज़ कल्चर रिपोर्ट का भी हिस्सा होगी, जो कि शहरों की संस्कृति पर सबसे व्यापक वैश्विक डेटासेट है।

यह वर्ल्ड सिटीज़ कल्चर फोरम द्वारा प्रत्येक तीन वर्ष में एक बार प्रकाशित किया जाता है, जिसमें दुनिया भर के शहरों की अभिनव परियोजनाओं से संबंधित डेटा और विवरण शामिल होता है। अंतिम रिपोर्ट वर्ष 2018 में प्रकाशित हुई थी।

 प्रधानमंत्री किसान ऊर्जा सुरक्षा उत्थान महाभियान (पीएम-कुसुम) योजना

 

हाल ही में प्रधानमंत्री किसान ऊर्जा सुरक्षा उत्थान महाभियान (पीएम-कुसुम) योजना के अंतर्गत पहला कृषि आधारित सौर ऊर्जा संयंत्र जयपुर (राजस्थान) ज़िले की कोटपुतली तहसील में स्थापित किया गया है। इस संयंत्र से प्रत्येक वर्ष 17 लाख यूनिट बिजली का उत्पादन होगा।

परिचय :

पीएम-कुसुम योजना को नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (MNRE) द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में ऑफ-ग्रिड सौर पंपों की स्थापना और ग्रिड से जुड़े क्षेत्रों में ग्रिड पर निर्भरता कम करने के लिये शुरू किया गया था।

फरवरी 2019 में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (CCEA) ने वित्तीय सहायता और जल संरक्षण सुनिश्चित करने के उद्देश्य से इस योजना को शुरू करने की मंज़ूरी प्रदान की।

बजट 2020-21 के अंतर्गत सरकार योजना का विस्तार करते हुए 20 लाख किसानों को एकल सौर पंप स्थापित करने हेतु सहायता प्रदान करेगी। इसके आलावा अन्य 15 लाख किसानों को उनके ग्रिड से जुड़े पंप सेटों के सौरीकरण (Solarisation) में मदद करेगी।

पीएम कुसुम योजना किसानों को अपनी बंजर भूमि पर स्थापित सौर ऊर्जा परियोजनाओं के माध्यम से ग्रिड को बिजली बेचने का विकल्प प्रदान करते हुए अतिरिक्त आय अर्जित करने का अवसर प्रदान करेगी।

पीएम कुसुम योजना के घटक:

पीएम कुसुम योजना के तीन घटक हैं और इन घटकों के तहत वर्ष 2022 तक 30.8 गीगावाट की अतिरिक्त सौर क्षमता प्राप्त करने का लक्ष्य रखा गया है।

घटक A : भूमि पर स्थापित 10,000 मेगावाट के विकेंद्रीकृत ग्रिडों को नवीकरणीय ऊर्जा संयंत्रों से जोड़ना।

घटक B : 20 लाख सौर ऊर्जा चालित कृषि पंपों की स्थापना।

घटक C : ग्रिड से जुड़े 15 लाख सौर ऊर्जा चालित कृषि पंपों का सौरीकरण (Solarisation)

योजना के अपेक्षित लाभ:

डिस्कॉम की सहायता:

यह योजना कृषि क्षेत्र में सब्सिडी के बोझ को कम करते हुए बिजली वितरण कंपनियों (डिस्कॉम) की वित्तीय स्थिति को सुधारने में सहायक होगी।

यह अक्षय ऊर्जा खरीद दायित्व (RPO) के लक्ष्यों को पूरा करने में मदद करेगी।

राज्यों की सहायता:

इस योजना के तहत विकेंद्रीकृत सौर ऊर्जा उत्पादन को बढ़ावा दिया जाएगा, जिससे आपूर्ति के दौरान होने वाली विद्युत क्षति या ट्रांसमिशन हानि (Transmission Loss) को कम किया जा सकेगा।

यह योजना सिंचाई पर सब्सिडी के रूप में होने वाले परिव्यय को कम करने का एक संभावित विकल्प हो सकती है।

किसानों की सहायता:

यदि किसान अपने सौर ऊर्जा संयंत्रों से उत्पादित अधिशेष विद्युत को बेचने में सक्षम होते हैं, तो इससे उन्हें बिजली बचाने के लिये प्रोत्साहित किया जा सकेगा और भूजल का उचित एवं कुशल उपयोग सुनिश्चित किया जा सकेगा जिससे उनकी आय में भी वृद्धि होगी।

यह योजना किसानों को सौर जल पंपों (ऑफ-ग्रिड और ग्रिड-कनेक्टेड दोनों) के माध्यम से जल संरक्षण सुविधा प्रदान करने में सहायक हो सकती है।

पर्यावरणीय सहायता:

इस योजना के तहत कृषि क्षेत्र में सिंचाई के लिये सौर चालित पंपों की स्थापना के माध्यम से सिंचित क्षेत्र में वृद्धि के साथ ही प्रदूषण में वृद्धि करने वाले डीज़ल पंपों के प्रयोग में कमी लाने में सफलता प्राप्त होगी।

चुनौतियाँ:

संसाधन और उपकरणों की उपलब्धता:

इस योजना को व्यापक स्तर पर लागू किये जाने के मार्ग में एक बड़ी बाधा उपकरणों की स्थानीय स्तर पर अनुपलब्धता है। वर्तमान में स्थानीय आपूर्तिकर्त्ताओं के लिये पारंपरिक विद्युत या डीज़ल पंप की तुलना में सोलर पंप की उपलब्ध कराना एक बड़ी चुनौती बनी हुई है।

इसके अलावा घरेलू सामग्री की आवश्यकता’ (Domestic Content Requirements- DCR) संबंधी नियमों की सख्ती के कारण सौर ऊर्जा उपकरण आपूर्तिकर्त्ताओं को स्थानीय सोलर सेल (Solar Cell) निर्माताओं पर निर्भर रहना पड़ता है, हालाँकि वर्तमान में देश में स्थानीय स्तर पर पर्याप्त घरेलू सोलर सेल निर्माण क्षमता नहीं विकसित की जा सकी है।

छोटे और सीमांत किसानों की अनदेखी:

इस योजना में छोटे और सीमांत किसानों की अनदेखी किये जाने का आरोप भी लगता रहा है, क्योंकि यह योजना 3 हॉर्स पावर (HP) और उससे उच्च क्षमता वाले पंपों पर केंद्रित है।

इस योजना के तहत किसानों की एक बड़ी आबादी तक सौर पंपों की पहुँच सुनिश्चित नहीं की जा सकी है क्योंकि वर्तमान में देश के लगभग 85% किसान छोटे और सीमांत श्रेणी में आते हैं।

विशेषकर उत्तर भारत और दक्षिण भारत के कुछ हिस्सों में भू-जल स्तर में हो रही गिरावट किसानों के लिये छोटे पंपों की उपयोगिता को सीमित करती है।

भू-जल स्तर में गिरावट:

कृषि क्षेत्र में विद्युत आपूर्ति हेतु सरकार द्वारा भारी सब्सिडी दिये जाने के कारण सिंचाई पर खर्च की जाने वाली विद्युत की लागत बहुत ही कम होती है, जिसके कारण कई किसानों द्वारा अनावश्यक रूप से जल का दोहन किया जाता है। कृषि क्षेत्र में भू-जल का यह अनियंत्रित दोहन जल स्तर में गिरावट का एक प्रमुख कारण है।

सिंचाई के लिये सौर ऊर्जा प्रणाली की स्थापना करने के बाद भू-जल स्तर में गिरावट की स्थिति में उच्च क्षमता के पंपों को लगाना और भी कठिन तथा खर्चीला कार्य होगा, क्योंकि इसके लिये किसानों को पंप के साथ-साथ बढ़ी हुई क्षमता के लिये सोलर पैनलों की संख्या में वृद्धि करनी होगी।

 

 

 

बिम्सटेक क्या है 

परिचय:

इसका पूरा नाम बे ऑफ बंगाल इनिशिएटिव फॉर मल्टी-सेक्टोरल टेक्निकल एंड इकोनॉमिक को-ऑपरेशन’ (Bay of Bengal Initiative for Multi-Sectoral Technical and Economic Cooperation) है तथा यह एक क्षेत्रीय संगठन है।

इसके 7 सदस्यों में से 5 सदस्य- बांग्लादेश, भूटान, भारत, नेपाल और श्रीलंका दक्षिण एशिया से हैं तथा दो- म्याँमार और थाईलैंड दक्षिण-पूर्व एशिया से हैं।

यह भारत और पाकिस्तान के बीच मतभेदों के चलते दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (सार्क-SAARC) के महत्त्वहीन हो जाने के कारण भारत को अपने पड़ोसी देशों के साथ जुड़ने हेतु एक नया मंच प्रदान करता है।

अंतर-क्षेत्रीय सहयोग पर ध्यान देने केंद्रित करने के साथ-साथ, बिम्सटेक ने दक्षेस यानी SAARC और दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के संगठन (Association of Southeast Asian Nations-ASEAN) के सदस्य देशों के साथ एक साझा मंच का निर्माण भी किया है।

वर्तमान मे, बिम्सटेक 15 क्षेत्रों में कार्य करता है, जिनमें व्यापार, प्रौद्योगिकी, कृषि, पर्यटन, मत्स्य पालन, ऊर्जा और जलवायु परिवर्तन शामिल हैं।

वर्ष 1997 में इसकी शुरुआत केवल छह क्षेत्रों को शामिल करते हुए हुई थी और बाद में वर्ष 2008 में शेष नौ क्षेत्रों तक इसे विस्तारित किया गया।

सचिवालय: ढाका, बांग्लादेश।

उद्देश्य:

क्षेत्र में तीव्र आर्थिक विकास हेतु वातावरण तैयार करना।

सहयोग और समानता की भावना विकसित करना।

सदस्य राष्ट्रों के साझा हित के क्षेत्रों में सक्रिय सहयोग और पारस्परिक सहायता को बढ़ावा देना।

शिक्षा, विज्ञान और प्रौद्योगिकी आदि क्षेत्रों में एक-दूसरे का पूर्ण सहयोग।

 

 

भुगतान संतुलन क्या होता है 

भुगतान संतुलन की परिभाषा:

भुगतान संतुलन (Balance Of Payment-BoP) का अभिप्राय ऐसे सांख्यिकी विवरण से होता है, जो एक निश्चित अवधि के दौरान किसी देश के निवासियों के विश्व के साथ हुए मौद्रिक लेन-देनों के लेखांकन को रिकॉर्ड करता है।

BoP के घटक:

एक देश का BoP खाता तैयार करने के लिये विश्व के अन्य हिस्सों के बीच इसके आर्थिक लेन-देन को चालू खाते, पूंजी खाते, वित्तीय खाते और त्रुटियों तथा चूक के तहत वर्गीकृत किया जाता है।

यह विदेशी मुद्रा भंडार (Foreign Exchange Reserve) में बदलाव को भी दर्शाता है।

चालू खाता: यह दृश्यमान (जिसे व्यापारिक माल भी कहा जाता है - व्यापार संतुलन का प्रतिनिधित्व करता है) और अदृश्यमान वस्तुओं (गैर-व्यापारिक माल भी कहा जाता है) के निर्यात तथा आयात को दर्शाता है।

अदृश्यमान में सेवाएँ, विप्रेषण और आय शामिल हैं।

पूंजी खाता और वित्तीय खाता: यह किसी देश के पूंजीगत व्यय और आय को दर्शाता है।

यह एक अर्थव्यवस्था में निजी और सार्वजनिक दोनों निवेश के शुद्ध प्रवाह का सार प्रदान करता है।

बाहरी वाणिज्यिक उधार (External Commercial Borrowing), प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (Foreign Direct Investment), विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (Foreign Portfolio Investment) आदि पूंजी खाते के हिस्से हैं।

त्रुटियाँ और चूक: कभी-कभी भुगतान संतुलन की स्थिति न होने के कारण इस असंतुलन को BoP में त्रुटियों और चूक (Errors and Omissions) के रूप में दिखाया जाता है। यह सभी अंतर्राष्ट्रीय लेन-देन को सही ढंग से रिकॉर्ड करने में देश की अक्षमता को दर्शाता है।

कुल मिलाकर BoP खाते में अधिशेष या घाटा हो सकता है।

यदि कोई कमी है तो विदेशी मुद्रा भंडार से पैसा निकालकर इसे पूरा किया जा सकता है।

यदि विदेशी मुद्रा भंडार कम हो रहा है तो इस घटना को BoP संकट के रूप में जाना जाता है।