Fact Check :स्वस्थ आदमी को कोरोना पेशेंट बताकर किडनी निकाल हत्या करने वाले वायरल पोस्ट का सच
सोशल मीडिया पर एक पोस्ट बहुत तेजी से वायरल हो रही है फोटो के साथ कैप्शन में लिखा है "स्वस्थ आदमी को कोरोना पेशेंट बताकर अब तक 125 लोगों का किडनी निकालकर हत्या करने वाला डॉ देवेंद्र शर्मा गिरफ्तार। ऐसे न जाने कितने डॉ हमारे आपके बीच में है जिससे हम लोगों को सतर्क रहना होगा और अपने लोगों का ख्याल रखना होगा। किसी भी स्वस्थ इंसान की कोरोना से मौत होती है तो डॉ द्वारा लपेटे हुए बॉडी को चेक ज़रूर करें।"
सोशल मीडिया पर वायरल पोस्ट |
आइये जानते हैं वायरल पोस्ट के पीछे का सच ?
सीरियल किलर डॉक्टर देवेंद्र शर्मा की गिरफ्तारी का कोरोना मरीज़ों से कोई लेना-देना नहीं है। डॉक्टर देवेंद्र शर्मा पिछले 16 सालों से किडनी केस में सज़ा काट रहा था और परोल पर बाहर था और परोल पर आने के बाद डॉक्टर देवेंद्र शर्मा अंडरग्राउंड हो गया था जिसके बाद पुलिस ने उसे गिरफ्तार किया.
आयुर्वेदिक डॉक्टर देवेंद्र शर्मा किडनी रैकेट चलाता था और उसने 100 से ज्यादा लोगों की जान ली है, जिनमें से ज्यादातर को उसने यूपी की एक नहर में मौजूद मगरमच्छ का खाना बना दिया।
वह 2004 से 2020 जनवरी यानी 16 साल तक जेल में रहा है। 28 जनवरी को उसे 20 दिन की परोल मिली थी लेकिन वह अंडरग्राउंड हो गया। इसके बाद 28 जुलाई को दिल्ली पुलिस ने उसे गिरफ्तार किया।
यह पोस्ट पिछले साल भी सोशल मीडिया पर बहुत वायरल हुआ था
इस पोस्ट का वर्तमान में कोरोना से मरने वाले व्यक्तियों से कोई सम्बन्ध नहीं है, पोस्ट के साथ किए जा रहे हैं दावे भ्रामक हैं.
जानिए कैसे डॉक्टर से शैतान बना देवेंद्र शर्मा
साल 1984 में देवेंद्र शर्मा ने आर्युवेदिक मेडिसिन में अपनी ग्रेजुएशन पूरी करके राजस्थान में क्लीनिक खोला। फिर 1994 में उसने गैस एजेंसी के लिए एक कंपनी में 11 लाख का निवेश किया। लेकिन कंपनी अचानक गायब हो गई। फिर नुकसान के बाद उसने 1995 में फर्जी गैस एजेंसी खोल ली।
शर्मा ने एक गैंग बनाया जो एलपीजी सिलेंडर लेकर जाते ट्रकों को लूट लेता। इसके लिए वे लोग ड्राइवर को मार देते और ट्रक को भी कहीं ठिकाने लगा देते। इस दौरान उसने गैंग के साथ मिलकर करीब 24 मर्डर किए। फिर देवेंद्र शर्मा किडनी ट्रांसप्लांट गिरोह में शामिल हो गया। उसने सात लाख प्रति ट्रांसप्लांट के हिसाब से 125 ट्रांसप्लांट करवाए। साथ ही साथ ये लोग कैब ड्राइवर्स को मारकर उनकी कैब लूट लेते। ड्राइवर की बॉडी को नहर में फेंक दिया जाता था, और कैब को यूजड कार बताकर बेच दिया जाता।
2011 में रविंद्र शर्मा को गिरफ्तार कर लिया गया और 16 साल जेल में रहा, उसके अच्छे बर्ताव के कारण उसे जनवरी 2020 में 20 दिन की पैरोल मिली थी लेकिन वह पैरोल मिलने के बाद अंडरग्राउंड हो गया और दिल्ली के मोहन गार्डन में छिपकर रहने लगा जहां पर वह एक बिजनेसमैन के साथ धोखाधड़ी करने वाला था लेकिन पुलिस को उसके वहां होने की खबर लगी और उसे गिरफ्तार कर लिया गया