श्री राम स्तुति अत्रि मुनि लिरिक्स |नमामि भक्त वत्सलम् , कृपालु शील कोमलम् | Atri Muni Ram Stuti Lyrics - Daily Hindi Paper | Online GK in Hindi | Civil Services Notes in Hindi

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बुधवार, 16 जून 2021

श्री राम स्तुति अत्रि मुनि लिरिक्स |नमामि भक्त वत्सलम् , कृपालु शील कोमलम् | Atri Muni Ram Stuti Lyrics

 श्री राम स्तुति अत्रि मुनि लिरिक्स 

श्री राम स्तुति अत्रि मुनि लिरिक्स |नमामि भक्त वत्सलम् , कृपालु शील कोमलम् | Atri Muni Ram Stuti Lyrics


अत्रि मुनि द्वारा श्री राम स्तुति

 

नमामि भक्त वत्सलम् । कृपालु शील कोमलम् ॥ 

भजामि ते पदाम्बुजम् । अकामिनाम् स्वधामदम् ॥

 

निकाम् श्याम् सुन्दरम् । भवाम्बुनाथ मन्दरम् ॥ 

प्रफुल्ल कञ्ज लोचनम् । मदादि दोष मोचनम् ॥1॥

 

प्रलम्ब बाहु विक्रमम् । प्रभोऽप्रमेय वैभवम् ॥ 

निषङ्ग चाप सायकम् । धरम् त्रिलोक नायकम् ॥

 

दिनेश वंश मन्दनम् । महेश चाप खन्दनम् ॥ 

मुनीन्द्र सन्त रञ्जनम् । सुरारि वृन्द भञ्जनम् ॥2॥

 

मनोज वैरि वन्दितम् । अजादि देव सेवितम् ॥ 

विशुद्ध बोध विग्रहम् । समस्त दूषणापहम् ॥

 

नमामि इन्दिरा पतिम् । सुखाकरम् सताम् गतिम् ॥ 

भजे सशक्ति सानुजम् । शची पति प्रियानुजम् ॥3॥

 

त्वदङ्घ्रि मूल ये नराह । भजन्ति हीन मत्सराह ॥ 

पतन्ति नो भवार्णवे । वितर्क वीचि सङ्कुले ॥

 

विविक्त वासिनह सदा । भजन्ति मुक्तये मुदा ॥ 

निरस्य इन्द्रियादिकम् । प्रयान्ति ते गतिम् स्वकम् ॥4॥

 

तमेकमद्भुतम् प्रभुम् । निरीहमीश्वरम् विभुम् ॥ 

जगद्गुरुम् च शाश्वतम् । तुरीयमेव केवलम् ॥

 

भजामि भाव वल्लभम् । कुयोगिनाम् सुदुर्लभम् ॥ 

स्वभक्त कल्प पादपम् । समम् सुसेव्यमन्वहम् ॥5॥

 

अनूप रूप भूपतिम् । नतोऽहमुर्विजा पतिम् ॥ 

प्रसीद मे नमामि ते । पदाब्ज भक्ति देहि मे ॥

 

पठन्ति ये स्तवम् इदम् । नरादरेण ते पदम् ॥ 

व्रजन्ति नात्र संशयम् । त्वदीय भक्ति संयुता: ॥6॥