राजस्थान इतिहास के फारसी शिलालेख
⏩ भारत में मुस्लिम राज्य की स्थापना के पश्चात् फारसी भाषा के लेख भी प्रचुर मात्रा में उपलब्ध होते हैं। ये लेख मस्जिदों, दरगाहों, कब्रों, सरायों, तालाबों की घाटों, पत्थरों आदि पर उत्कीर्ण करके लगाये गये थे।
⏩ राजस्थान के मध्यकालीन इतिहास के निर्माण में इन लेखों से महत्वपूर्ण सहायता मिलती है । इनके माध्यम से हम राजपूत शासकों और दिल्ली के सुल्तानों तथा मुगल शासकों के मध्य गये युद्धों, राजस्थान के विभिन्न क्षेत्रों पर समय-समय पर होने वाले मुस्लिम आक्रमणों, राजनीतिक सम्बन्धों आदि का मूल्यांकन कर सकते हैं। इस प्रकार के लेख सांभर, नागौर, मेड़ता, जालौर, सांचोर, जयपुर, अलवर, टोंक, कोटा आदि क्षेत्रों में अधिक पाये गये हैं ।
⏩ फारसी भाषा में लिखा सबसे पुराना लेख अजमेर के दाई दिन के झौंपडे के गुम्बज की दीवार के पीछे लगा हुआ मिला है। यह लेख 1200 ई. का है और इसमें उन व्यक्तियों के नामों का उल्लेख है जिनके निर्देशन में संस्कृत पाठशाला तोड़कर मस्जिद का निर्माण करवाया गया ।
⏩ चित्तौड़ की गैबी पीर की दरगाह से 1325 ई. का फारसी लेख मिला है जिससे ज्ञात होता है कि अलाउद्दीन खिलजी ने चित्तौड़ का नाम खिज्राबाद कर दिया था। जालौर और नागौर से जो फारसी लेख में मिले हैं, उनसे इस क्षेत्र पर लम्बे समय तक मुस्लिम प्रभुत्व की जानकारी मिलती है ।
⏩ पुष्कर के जहाँगीर महल के लेख (1615 ई.) से राणा अमरसिंह पर जहाँगीर की विजय की जानकारी मिलती है। इस घटना की पुष्टि 1637 ई. के शाहजहानी मस्जिद, अजमेर के लेख से भी होती है ।