राजस्थान के इतिहास के स्रोत | Sources of Rajsthan History in Hindi - Daily Hindi Paper | Online GK in Hindi | Civil Services Notes in Hindi

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गुरुवार, 17 जून 2021

राजस्थान के इतिहास के स्रोत | Sources of Rajsthan History in Hindi

राजस्थान के इतिहास के स्रोत 

राजस्थान के इतिहास के स्रोत | Sources of Rajsthan History in Hindi



 भारतीय इतिहास में राजस्थान-इतिहास के स्रोत पर एक विचार 

  • प्रारम्भ से ही भारतीय इतिहास में राजस्थान का महत्वपूर्ण स्थान रहा है। जब हम स्रोतों को आधार बनाकर राजस्थान के इतिहास की चर्चा करते हैं तो यह ऊपरी पायदान पर दिखाई देता है । 
  • किसी भी काल का इतिहास लेखन हम प्रामाणिक स्रोतों के बिना नहीं कर सकते हैं। राजस्थान के सन्दर्भ में इतिहास लेखन हेतु पुरातात्विक, साहित्यिक और पुरालेखीय सामग्री के रूप में सभी प्रकार के स्रोत उपलब्ध हैं । 
  • ये स्रोत हमारे वर्तमान ज्ञान के आधार पर राजस्थान का एक ऐसा चित्र प्रस्तुत करते हैं कि किस तरह मानव ने राजस्थान में कालीबंगा, आहड़, गिलूंड, गणेश्वर इत्यादि स्थलों पर सभ्यताएं विकसित की । इससे पूर्व भी मानव ने बागौर जैसे स्थलों पर प्रस्तरयुगीन सभ्यताओं का निर्माण किया था । 
  • स्वतन्त्रता से पूर्व राजस्थान का विशाल प्रदेश अनेक छोटी-बड़ी रियासतों में विभाजित था । इन सभी रियासतों का इतिहास अलग-अलग था और यह इतिहास सामान्यतः उस राज्य के संस्थापक तथा उसके घराने से ही प्रारम्भ होता था और उसमें राजनैतिक घटनाओं तथा युद्धों के विवरणों का ही अधिक महत्व था । अन्य राज्यों का उल्लेख प्रसंगवश किया जाता था। 
  • समूचे राजस्थान का इतिहास लिखने की दिशा में पहला कदम मुहणोत नैणसी ने उठाया । 
  • आधुनिक काल में सबसे पहले जेम्स टॉड ने समूचे राजस्थान का इतिहास लिखा और एक नई दिशा प्रदान की। 
  • तदन्तर कविराजा श्यामलदास गौरीशंकर हीराचन्द ओझा जैसे मनुष्यों ने राजस्थान के इतिहास में विविध आयाम जोडकर पूर्णता प्रदान करने की कोशिश की । 
  • इतिहास मानव विकास क्रम की सुसंगत एवं क्रमबद्ध जानकारी प्राप्त करने का एक श्रेष्ठ साध है, जिसे ज्ञान की मानविकी शाखा के अन्तर्गत रखा जाता है। यह उपलब्ध साक्ष्यों के आधार पर भूतकाल में घटित घटनाओं, संस्कृति की धाराओं तथा मानव की विभिन्न क्षेत्रों में प्राप्त उपलब्धियों अथवा असफलताओं का तथ्यात्मक एवं विश्लेषणात्मक अभिज्ञान कराकर हमारे ज्ञान के क्षितिज को विस्तारित करता है। 
  • इस दृष्टि से इतिहास कला एवं विज्ञान दोनों है। जिन नानाविध साधनों एवं साक्ष्यों का अज्ञात अथवा अल्पज्ञात इतिहास को जानने-समझने के लिए प्रयोग किया जाता है, वो इतिहास को जानने के स्रोत अथवा साधन कहलाते हैं । 
  • यह तो नहीं कहा जा सकता है कि राजस्थान का इतिहास प्रसिद्ध होते हुए भी इतिहासविही रहा है। वस्तुत भारत में राजस्थान उन गिने-चुने स्थलों में रहा है, जहाँ अभिलेखों तथा अन्य माध्यमों से ऐतिहासिकता को अंकित करने की परम्परा की शुरुआत हुई। 
  • निसन्देह समय के प्रवाह तथा निरन्तर युद्धों की घटनाओं से राजस्थान की प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष ऐतिहासिक सामग्री शनै शनै नष्ट होती गई । इसके अतिरिक्त इतिहास के प्रति उदासीनता के भाव ने भी इतिहासकारों के लिए राजस्थान के प्राचीन एवं मध्यकालीन आधुनिक इतिहास लेखन के लिए चुनौती खड़ी की है। 
  • राजस्थान इस दृष्टि से सौभाग्यशाली रहा है कि यहीं जेम्स कर्नल टॉड से पहले मुहणोत नैणसी जैसे ख्यात लेखकों ने इस अंचल का इतिहास लिख दिया था जो यद्यपि मूल रूप से मारवाड को केन्द्र में रखकर लिखा गया था। 
  • टॉड ने 19 वीं शताब्दी के तीसरे दशक में आधुनिक पद्धति से राजस्थान के इतिहास लेखन की एक अद्वितीय पहल की। टॉड का इतिहास 'एनल्स एण्ड एण्टीक्वीटीज ऑफ राजस्थान' दोषपूर्ण होते हुए भी आज राजस्थान के सन्दर्भ में मील का पत्थर है। इसमें उसके द्वारा संग्रहित अभिलेखों, सिक्कों, बहियों, खातों आदि के आधार पर लिखा मेवाड, मारबाड, बीकानेर, जैसलमेर, सिरोही, बूँदी व कोटा का इतिहास है।
  • टॉड के इतिहास के प्रकाशन के पश्चात् ही राजस्थान के इतिहास लेखन के प्रति देश-विदेश के विद्वानों की रुचि जागत हुई और राजस्थान के विभिन्न स्रोतों की खोज का जो सिलसिला प्रारम्भ हुआ, वह आज भी जारी है। इस शोधपूर्ण खोज में कविराजा श्यामलदास, मुंशी देवीप्रसाद, सूर्यमल्ल मीसण, दयालदास सिंढायच, बांकीदास, गौरीशंकर हीराचन्द ओझा, विश्वेश्वरनाथ रेऊ, जगदीश सिंह गहलोत, रामकर्ण आसोपा मुंशी ज्वाला सहाय, रामनाथ रतनू, हरविलास शारदा (सारडा), अगरचन्द नाहटा, लुई जिपिओ तैस्सितोरी, मथुरालाल शर्मा दशरथ शर्मा, गोपीनाथ शर्मा, रघुवीर सिंह आदि का अति महत्वपूर्ण योगदान रहा। सम्प्रति वी. एस. भटनागर, के. एस. गुप्ता, के. सी. जैन, आरपी. बास, जी. एस. एल. देवडा, दिलबाग सिंह, भंवर भादानी, देवीलाल पालीवाल आदि विद्वान इतिहासकारों के द्वारा राजस्थान के इतिहास को समृद्ध बनाने की कोशिश जारी है ।


राजस्थान के इतिहास के स्रोत  

 (अ) पुरातात्विक स्रोत