Indian SARS-CoV-2 Genomics Consortium (INSACOG) Question Answer in Hindi
प्रश्न- आईएनएसएसीओजी (इंसाकॉग) INSACOG क्या है?
उत्तर- भारतीय सार्स-कोव-2 जीनोमिक्स
कंसोर्टियम (इंसाकॉग) 30 दिसंबर 2020 को भारत सरकार द्वारा स्थापित जीनोम
सीक्वेंसिंग प्रयोगशालाओं (आरजीएसएल) का एक राष्ट्रीय बहु-एजेंसी कंसोर्टियम है।
शुरुआत मेंइस कंसोर्टियम में 10 प्रयोगशालाएंशामिल थीं। बाद मेंइंसाकॉगके तहत
प्रयोगशालाओं के दायरे का विस्तार किया गया और वर्तमान में इस कंसोर्टियम के तहत
28 प्रयोगशालाएं हैं, जो सार्स-कोव-2 में हुई जीनोमिक
विविधताओं की निगरानी करती हैं।
प्रश्न- इंसाकॉग का INSACOG उद्देश्य क्या है?
उत्तर-सार्स-कोव-2 वायरस को आमतौर पर कोविड-19
वायरस के रूप में जाना जाता है। इस वायरस ने विश्व स्तर पर अभूतपूर्व सार्वजनिक
स्वास्थ्य चुनौतियां पैदा की हैं। इस वायरस के प्रसार और विकासतथा इसके म्यूटेशनों
एवं परिणामीरूपों (वैरिएंट्स) को अच्छी तरह से समझने के लिए इसके म्यूटेशनों और
परिणामी वेरिएंट की गहराई से सीक्वेंसिंग करने तथा जीनोमिक डेटा के गहन विशलेषण
करने की जरूरत अनुभव की गई। इस पृष्ठभूमि में इंसाकॉग की स्थापना की गई ताकि पूरे
देश में सार्स-कोव-2 वायरस की पूरी जीनोम सीक्वेंसिंग का विस्तार किया जा सके और
इस वायरस का प्रसार और विकास कैसे होता है, यह समझने में हमें मदद मिले। इस वायरस
के आनुवंशिक कोड या म्यूटेशन में आए किसी भी परिवर्तन को इंसाकॉग के तहत इन
प्रयोगशालाओं में नमूनों के किए गए विशलेषण और सिक्वेंसिंग के आधार पर देखा जा
सकता है।
इंसाकॉग INSACOG के निम्नलिखित विशिष्ट उद्देश्य हैं-
देश
में वेरिएंट ऑफ इंटरेस्ट (वीओआई) और वेरिएंट ऑफ कंसर्न (वीओसी) की स्थिति का पता
लगाना।
जीनोमिक वेरिएंट का जल्दी पता लगाने के लिए प्रहरी निगरानी और बढ़ोतरी
निगरानी तंत्र स्थापित करना तथा और प्रभावी सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रतिक्रिया तैयार
करने में सहायता करना।
बहुत तेजी से संक्रमण की घटनाओं के दौरान लिए गए नमूनों और बढ़ते मामलों और
मृत्यु के रुझान की रिपोर्ट करने वाले क्षेत्रों में जीनोमिक वेरिएंट की उपस्थिति
का निर्धारण करना।
प्रश्न- भारत में सार्स कोव-2 वायरल सीक्वेंसिंग
कब शुरू की गई?
उत्तर- भारत ने वर्ष 2020 में सार्स कोव-2वायरल
जीनोम कीसीक्वेंसिंग शुरू की। शुरुआत में, एनआईवी और आईसीएमआर ने इंग्लैंड, ब्राजील या दक्षिण अफ्रीका से भारत आने
वाले या इन देशों से होकर आने वाले अंतर्राष्ट्रीय यात्रियों के नमूनों की
सीक्वेंसिंग की, क्योंकि इन देशों ने मामलों में अचानक बढ़ोतरी
होने की जानकारी दी थी। अपने राज्यों में अचानक मामले बढ़ने की रिपोर्ट करने वाले
राज्यों से प्राप्त आरटीपीसीआर पॉजीटिव नमूनों की सीक्वेंसिंग को प्राथमिकता दी
गई। वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर), जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी) और
राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीडीसी) के साथ-साथ व्यक्तिगत संस्थानों के
प्रयासों के माध्यम से सीक्वेंसिंग का और विस्तार किया गया।
भारत ने प्रारंभ में वैश्विक वेरिएंट ऑफ कंसर्न (वीओसी)-अल्फा (बी.1.1.7), बीटा (बी.1.351) और गामा (पी.1) के
प्रसार को रोकने पर ध्यान केंद्रित किया, क्योंकि ये वेरिएंट अधिक तेजी से फैलने
वाले थे। इन वेरिएंट के प्रवेश की इंसाकॉग ने बड़ी सावधानीपूर्वक ट्रेकिंग की।
इसके बाद इंसाकॉग प्रयोगशालाओं में किए गए संपूर्ण सीक्वेंसिंग विश्लेषण के आधार
पर डेल्टा और डेल्टा प्लस वेरिएंट की पहचान की गई।
प्रश्न- भारत में सार्स कोव-2निगरानी के लिए
क्या रणनीति है?
उत्तर- शुरू मेंजीनोमिक निगरानी कुल आरटीपीसीआर
संक्रमित नमूनों के 3-5 प्रतिशतकीसीक्वेंसिंग के माध्यम से अंतर्राष्ट्रीय
यात्रियों और उनके समुदाय में संपर्कों द्वारा लाए गए वेरिएंटों पर केंद्रित थी।
इसके बाद,अप्रैल 2021 में प्रहरी निगरानी भी की
गई। इस रणनीति के तहत किसी क्षेत्र के भौगोलिक प्रसार का पर्याप्त रूप से
प्रतिनिधित्व करने के लिए अनेक प्रहरी स्थलों की पहचान की जाती हैऔर आरटीपीसीआर
संक्रमित नमूनोंको पूरे जीनोम सीक्वेंसिंगके लिए प्रत्येक प्रहरी स्थल से भेजा
जाता है। पहचान किए गए प्रहरी स्थलों से नामित रीजनल जीनोम सीक्वेंसिंगलेबोट्रीज
(आरजीएसएल) को नमूने भेजने के लिए विस्तृत एसओपी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों
के साथ साझा की गई। टैग किए गए इंसाकॉगआरजीएसएल की सूची भी राज्यों को भेजी गई थी।
पूरी जीनोम सीक्वेंसिंग की गतिविधि में तालमेल के लिए सभी राज्यों/केंद्र
शासितप्रदेशों द्वारा एक समर्पित नोडल अधिकारी भी नामित किया गया था।
प्रहरी निगरानी (सभी राज्यों/केंद्र शासित
प्रदेशों के लिए): यह पूरे देश में चल रही निगरानी गतिविधि है। प्रत्येक
राज्य/केंद्र शासित प्रदेश ने प्रहरी स्थलों (आरटीपीसीआर प्रयोगशालाओं और तृतीयक
स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं सहित) की पहचान की है, जहां से आरटीपीसीआर संक्रमित नमूनोंको पूरी
जीनोम सीक्वेंसिंग के लिए भेजा जाता है।
बढ़ती हुई निगरानी (कोविड-19 मामलों में
क्लस्टरों वाले जिलों या बढ़ोतरी की रिपोर्ट देने वाले जिलों के लिए) नमूनों की
प्रतिनिधि संख्या (राज्य निगरानी अधिकारी/केंद्रीय निगरानी इकाई द्वारा अंतिम रूप
दी गई नमूना रणनीति के अनुसार) उन जिलों से एकत्र की जाती हैजो बड़ी संख्या में
मामलों को दर्शाते हैं और जिन्हें आरजीएसएल भेजा जाता है।
प्रश्न- इंसाकॉग INSACOG प्रयोगशालाओं में नमूने भेजने के लिए मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) क्या है?
उत्तर- इंसाकॉग INSACOG प्रयोगशालाओं में नमूने भेजने और उसके बाद जीनोम सीक्वेंसिंग विश्लेषण पर आधारित कार्रवाई की मानक संचालन प्रक्रियाइस प्रकार है:
एकीकृत रोग निगरानी कार्यक्रम (आईडीएसपी) मशीनरी जिलों/प्रहरी स्थलों से
नमूने एकत्रित करके रीजनल जीनोम सीक्वेंसिंग प्रयोगशालाओं में भेजने में समन्वय
करती है। आरजीएसएलजीनोम सीक्वेंसिंग और वेरिएंट ऑफ कंसर्न और वेरिएंट ऑफ इन्टरेस्ट
तथा अन्य म्यूटेशनों की पहचान के लिए जिम्मेदार है। वेरिएंट ऑफ कंसर्न और वेरिएंट
ऑफ इन्टरेस्ट के बारे में जानकारी केंद्रीय निगरानी इकाई आईडीएसपी को दी जाती है
ताकि राज्य निगरानी अधिकारियों के साथ समन्यवय में क्लिनिको-महामारी विज्ञान सहसंबंध
स्थापित किया जा सके।
इंसाकॉगको सहायता प्रदान करने के लिए वैज्ञानिक और नैदानिकसलाहकार समूह
(एससीएजी) में चर्चा के आधार परयह निर्णय लिया गया कि एक जीनोमिक म्यूटेशन की
पहचान की जाए, जो सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रासंगिकता का हो और
जिसेएससीएजीको प्रस्तुत किया जाएगा। एससीएजी संभावित वेरिएंट ऑफ इऩ्टरेस्ट और अन्य
म्यूटेशनों के बारे में चर्चा करता है और यदि उचित समझता है तो आगे की जांच के लिए
केंद्रीय निगरानी इकाई को सिफारिश करता है।
आईडीएसपी स्थापित जीनोम सीक्वेंसिंग विश्लेषण स्थापित जीनोम सीक्वेंसिंग
विश्लेषण और क्लीनिको महामारी विज्ञान से संबंधित आवश्यक सार्वजनिक स्वास्थ्य
उपायों को तैयार करने और उन्हें लागू करने के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार
कल्याण मंत्रालय, आईसीएमआर, डीबीटी, सीएसआईआर और राज्यों/केंद्र शासित
प्रदेशों के साथ साझा किया जाता है।
नए
म्यूटेशन/ वेरिएंट ऑफ कंसर्न और वेरिएंट ऑफ इन्टरेस्टका कल्चर और जीनोमिक अध्ययन
किया जाता है ताकि वैक्सीन की प्रभावकारिता और प्रतिरक्षा से बचने के गुणों के
प्रभाव का पता लगाया जा सके।
प्रश्न- वेरिएंट ऑफ कंसर्न (वीओसी) की मौजूदा
स्थिति क्या है?
उत्तर-वेरिएंट ऑफ कंसर्न भारत में 35 राज्यों
के 174 जिलों में पाया गया है। महाराष्ट्र, दिल्ली,पंजाब,तेलंगाना,पश्चिम बंगाल और गुजरात के जिलों से
सबसे अधिक वीओसी की सूचना प्राप्त हुई है। देश में सामुदायिक नमूनों में सार्वजनिक
स्वास्थ्य महत्व के वेरिएंट ऑफ कंसर्न इस प्रकार हैं: अल्फा,बीटा,गामा और डेल्टा।
बी.1.617 लाइनेज को पहली बार महाराष्ट्र में
देखा गया जोराज्य के अनेक जिलों में असामान्य वृद्धि से जुड़ा था। यह अबभारत के कई
राज्यों में पाया गया है।
प्रश्न- डेल्टा प्लस वेरिएंट क्या है?
उत्तर- बी.1.617.2.1 (एवाई-1) या जिसे आमतौर पर डेल्टा प्लस वेरिएंट के रूप में जाना जाता है, यह अतिरिक्त म्यूटेशन के साथ डेल्टा वेरिएंट को दर्शाता है।