सर पर बोरा रख बेचने वाले शिक्षक को किया निलंबित, टीचर ने पूछा- गुनाह क्या, मैंने आदेश का पालन किया
बिहार में सरकारी शिक्षकों से गैर-शैक्षणिक
कार्य करवाने को लेकर हमेशा से सवाल उठता रहा है। अब स्कूल के शिक्षकों से मिड-डे
मील के लिए आने वाले अनाजों के खाली बोरी को शिक्षकों को निर्देश देकर बेचने के
आदेश को लेकर चर्चाएं जोरों पर है। दरअसल, एक
दिन पहले एक वीडियो आया था जिसमें कटिहार जिले के एक शिक्षक माथे पर बोरे की
गठ्ठरियों को लेकर बाजार में बेचने के लिए आवाज दे रहे थे। शिक्षक का कहना था कि
यदि बोरा नहीं बिकेगा तो उनका वेतन रोक दिया जाएगा। अब कटिहार के इस शिक्षक को
निलंबित कर दिया गया है। ये कार्रवाई जिला प्रशासन द्वारा विभाग के आदेश के बाद की
गई है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि उन्होंने
सरकारी आदेशों का मजाक उड़ाया है।
पंचायत शिक्षक तमीजुद्दीन ने अब एक और वीडियो
के जरिए सरकार से सवाल उठाते हुए अपनी बात रखी है। सरकारी शिक्षक ने कहा है, "मैं तो बस सरकारी आदेशों का पालन कर
रहा था।" निलंबित शिक्षक ने 'हमसे
का भूल हुई जो सज़ा हमको मिली' गाने
के जरिए नीतीश सरकार से सवाल और गुहार- लगाई हैं।
शिक्षक ने तख्ती लटाकर बोरा बेचते हुए कहा था, "चाचा जी बोरा खरीद लीजिए, हम मास्टर हैं चाचा जी।चाचा बोरा नहीं
बिकेगा तो मेरा वेतन रूक जाएगा चाचा। बोरा खरीद लीजिए प्लीज। एमडीएम (मिड-डे मील)
का बोरा, सरकार का बोरा...। " अब शिक्षक पर
कार्रवाई करते हुए उन्हें निलंबित कर दिया गया है।
राज्य के सरकारी माध्यमिक विद्यालय की एक
पंचायत नियोजित शिक्षिका आउटलुक से बातचीत में कहती हैं, "आदेश दिया गया है कि विद्यालय में
मध्याह्न भोजन के लिए आए अनाजों के खाली बोरे को बेचना है। सख्त निर्देश हैं। इन
पैसे को विभाग के खाते में जमा करना है।" वहीं, एक अन्य सरकारी शिक्षक कहते हैं, "अब शिक्षक का यही काम है कि बोरा को बेचे। ठीक-ठाक स्थिति में बोरा
रहे तो कोई बात भी है। अधिकांश बोरे फटे-पुराने हैं।"
बोरा वाले टीचर की पूरी कहानी
दरअसल, शिक्षा विभाग की ओर से साल 2014-15 और 2015-16 में विद्यालयों को उपलब्ध कराए गए मध्यान्ह भोजन में चावल के खाली बोरे को बिक्री करने और पैसे जमा करने का आदेश जारी किया गया है। यही नहीं सरकार ने खाली बोरे का मूल्य 10 रुपया प्रति बोरा निर्धारित कर दिया है। ऐसा नहीं करने पर कई प्रकार की कार्रवाई करने की बात की गई है। विद्यालयों में जो चावल के बोरे हैं, वो अधिकतर कटे-फटे हैं। जिसके चलते ग्राहक भी इसे लेने को लेकर सवाल पूछ रहे हैं।
चाचा जी बोरा खरीद लीजिए, हम मास्टर हैं चाचा जी।चाचा बोरा नहीं
बिकेगा तो मेरा वेतन रूक जाएगा चाचा। बोरा खरीद लीजिए प्लीज। एमडीएम (मीड-डे मील)
का बोरा, सरकार का बोरा...। " ये लाइन
बिहार का एक सरकारी शिक्षक चलते सड़क पर दोहरा रहा है। माथे पर कुछ फटे-पुराने
बोरे की गठरियां है, जिसे ये शिक्षक सरकार के फरमान के बाद
बेचने और ना बिकने पर वेतन रोके जाने की बात कह रहा है। गर्दन में दो तख्तियां
लटकी हुई है। जिस पर लिखा हुआ है, "मैं
बिहार के सरकारी विद्यालय का शिक्षक हूं। सरकार के आदेश पर खाली बोरा बेच रहा हूं।
बोरा ले लो। दस रूपए प्रति बोरा। एमडीएम का खाली बोरा।"
उदय शंकर नाम के एक यूजर ने कथित तौर पर बिहार
के एक शिक्षक का वीडियो शेयर करते हुए लिखा है, "माननीय शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी जी क्या शिक्षकों को मिड डे
मील का बोरा बेचने के लिए बहाल किया गया है। बहुत ही शर्मनाक बात है। बिहार का
शिक्षक समाज इस तुगलकी फरमान का पुरजोर विरोध करता है।इस आदेश को वापस लें।"
खबर के मुताबिक ये वीडियो कटिहार जिले का बताया
जा रहा है। जहां एक सरकारी शिक्षक का विरोध का अलग तरीका दखने को मिला है। राज्य
सरकार के मिड-डे मील विभाग द्वारा जारी आदेश के विरोध में एक शिक्षक ने चौराहे पर
बोरा बेचना शुरू कर दिया। अब मामले के सोशल मीडिया पर तेजी से फैलने के बाद विभाग
की तरफ से टीचर पर कार्रवाई करते हुए निलंबित कर दिया गया है।
दरअसल, मध्याह्न
भोजन विभाग की तरफ से पिछले दिनों एक आदेश जारी किया गया था जिसमें भोजन के लिए आए
अनाज के खाली बोरे को बेचकर पैसा जमा करने और विभाग के खाते में जमा करने का आदेश
जारी किया था। इसी बात का ये सरकारी शिक्षक विरोध करने का ये तरीका अपनाया था, जो अब उन्हें महंगा पड़ गया है।