डोगरी साहित्य की जननी पद्मा सचदेव के बारे में जानकारी
पद्मा सचदेव कौन हैं ?
- जन्म 14 अप्रैल, 1940
- मृत्यु 4 अगस्त 2021
- समकालीन डोगरी साहित्य की जननी कही जाने वाली पद्मा सचदेव का हाल ही में 81 वर्ष की उम्र में निधन हो गया है।
- 14 अप्रैल, 1940 को जम्मू-कश्मीर के सांबा ज़िले के पुरमंडल गाँव में जन्मीं पद्मा सचदेव के पहले कविता संग्रह- ‘मेरी कविता मेरे गीत’ (1969) को वर्ष 1971 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
- वह डोगरी भाषा की पहली आधुनिक महिला कवयित्री थीं। इसके अलावा उन्होंने हिंदी भाषा में भी रचनाएँ कीं।
- वर्ष 2015 में उन्हें अपनी आत्मकथा 'बूंद बावरी' के लिये पद्मश्री और सरस्वती सम्मान से सम्मानित किया गया था।
- इसके अलावा वर्ष 2019 में उन्हें साहित्य के क्षेत्र में आजीवन उपलब्धि के लिये प्रतिष्ठित साहित्य अकादमी फैलोशिप भी मिली।
- लेखिका उमा वासुदेव ने पद्मा सचदेव की आत्मकथा का अंग्रेज़ी में 'ए ड्रॉप इन द ओशन' नाम से अनुवाद किया था।
- वर्ष 2007-08 में मध्य प्रदेश सरकार द्वारा पद्मा सचदेव को उनकी कविताओं के लिये ‘कबीर सम्मान’ प्रदान किया गया था।
- उन्होंने ऑल इंडिया रेडियो- जम्मू और ऑल इंडिया रेडियो- मुंबई में भी एनाउंसर काम किया।
- पद्मा सचदेव की कई किताबें प्रकाशित हुईं, जिसमें ‘तवी ते चानहन’ (नदियाँ ‘तवी’ और ‘चिनाब’, 1976), नहेरियान गलियाँ (डार्क लेन, 1982) और उत्तर वाहिनी (1992) प्रमुख हैं।