ऐसी वाणी बोलिए दोहे का हिन्दी अर्थ एवं व्याख्या
ऐसी वाणी बोलिए मन का आपा खोय।
औरन को शीतल करे , आपहु शीतल होय। ।
निहित शब्द – वाणी – बोली , शीतल – सुख।
ऐसी वाणी बोलिए दोहे का हिन्दी अर्थ एवं व्याख्या
कबीर दास कहना चाहते हैं कि लोगों को
अपनी वाणी में मधुरता रखनी चाहिए शीघ्र अति शीघ्र क्रोध नहीं करना चाहिए वाणी ऐसी
बोलना चाहिए जो खुद को भी सुंदर और मधुर लगे और दूसरे को सुनने वाले को भी क्रोध
में आकर दया और सहानुभूति का भाव जगह यदि आप किसी क्रोधी व्यक्ति से वार्तालाप
करते हैं और उससे मधुर वाणी में बात करते हैं तो वह अपने क्रोधी स्वभाव को भी
त्याग सकता है वाणी में ऐसी शक्ति होती है कि एक जड़बुद्धि को भी चेतन शक्ति वाला
बना देता है
यह कबीर के दोहे हर कक्षा के छात्रों
के लिए उपयोगी है |