धर्म किए धन ना घटे दोहे का हिन्दी अर्थ एवं व्याख्या | Dharm Kiye Na DhanG - Daily Hindi Paper | Online GK in Hindi | Civil Services Notes in Hindi

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मंगलवार, 26 अक्तूबर 2021

धर्म किए धन ना घटे दोहे का हिन्दी अर्थ एवं व्याख्या | Dharm Kiye Na DhanG

 धर्म किए धन ना घटे दोहे का हिन्दी अर्थ एवं व्याख्या

धर्म किए धन ना घटे दोहे का हिन्दी अर्थ एवं व्याख्या



धर्म किए धन ना घटे , नदी न घटे नीर। 

अपनी आंखन देख लो , कह गये दास कबीर। ।

 

निहित शब्द – 

नीर जल

आंखन आँख।

 

व्याख्या   कबीर कहते हैं कि जिस प्रकार एक नदी का जल लोगों के पीने से कम नहीं होता। ठीक उसी प्रकार धर्म करने से धर्म का ह्रास नहीं होता है , धर्म का विस्तार होता है उसकी वृद्धि होती है।