धर्म किए धन ना घटे दोहे का हिन्दी अर्थ एवं व्याख्या
धर्म किए धन ना घटे , नदी न घटे नीर।
अपनी आंखन देख लो , कह गये दास कबीर। ।
निहित शब्द –
नीर – जल ,
आंखन – आँख।
व्याख्या – कबीर कहते हैं कि जिस प्रकार एक नदी का जल लोगों के पीने से कम नहीं होता। ठीक उसी प्रकार धर्म करने से धर्म का ह्रास नहीं होता है , धर्म का विस्तार होता है उसकी वृद्धि होती है।