धीरे धीरे रे मना , धीरे सब कुछ होय दोहे का हिन्दी अर्थ व्याख्या
धीरे – धीरे रे मना , धीरे सब कुछ होय।
माली सींचे सौ घड़ा , ऋतु आए फल होय। ।
निहित शब्द –
मना – मन ,
सींचे – सींचना ,
ऋतू
– मौसम।
धीरे धीरे रे मना , धीरे सब कुछ होय दोहे का हिन्दी अर्थ व्याख्या
उपर्युक्त पंक्ति में कबीरदास कहते हैं कि किसी भी कार्य को धीरे-धीरे वह संयम भाव से करना चाहिए। संयम व एकाग्रता से किया गया कार्य ही सफल होता है। जिस प्रकार माली सौ – सौ घड़ों से पेड़ों को सींचता है मगर उसके इस प्रकार के परिश्रम से फल की प्राप्ति नहीं होती। ऋतु के आने से ही अर्थात मौसम परिवर्तन से ही पेड़ों पर फल आता है। अर्थात संयम और धैर्य की आवश्यकता है।