जनजातीय गौरव दिवस 2021 : बिरसा मुंडा जयंती को जनजातीय गौरव दिवस घोषित |Janjati Gaurav Divas 2021 - Daily Hindi Paper | Online GK in Hindi | Civil Services Notes in Hindi

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बुधवार, 10 नवंबर 2021

जनजातीय गौरव दिवस 2021 : बिरसा मुंडा जयंती को जनजातीय गौरव दिवस घोषित |Janjati Gaurav Divas 2021

 जनजातीय गौरव दिवस 2021

जनजातीय गौरव दिवस 2021 : बिरसा मुंडा जयंती को जनजातीय गौरव दिवस घोषित |Janjati Gaurav Divas 2021



मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने केंद्रीय मंत्री-मंडल द्वारा भगवान बिरसा मुंडा की जयंती 15 नवंबर को जनजातीय गौरव दिवस घोषित किए जाने को मंजूरी देने पर प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी का हृदय से आभार माना है। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा है कि यह देश के जनजातीय स्वतंत्रता सेनानियों को सच्ची श्रद्धांजलि है। जनजातीय समाज के स्वाधीनता संग्राम में दिये योगदान को इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में लिखने और आने वाली पीढ़ी की स्मृति में जागृत रखने के लिये प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा भगवान बिरसा मुंडा की जयंती को जनजातीय गौरव दिवस मनाने के निर्णय के लिये हम हृदय से आभारी हैं।

 

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी 15 नवंबर को भोपाल में आयोजित जनजातीय गौरव दिवस में शामिल होंगे एवं जनजातीय कल्याण से संबंधित विभिन्न योजनाओं का शुभारंभ करेंगे। मध्यप्रदेश सरकार ने सबसे पहले इस दिन को जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया था। अब यह दिवस हर साल पूरे भारत में मनाया जाएगा, जो जनजातीय सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण, वीरता, आतिथ्य और राष्ट्रीय गौरव के भारतीय मूल्यों को बढ़ावा देने के लिए जनजातियों के प्रयासों को मान्यता देगा।

 

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा है कि जनजातीय गौरव दिवस वीर जनजातीय स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की स्मृति को समर्पित है ताकि आने वाली पीढ़ियाँ देश के प्रति उनके बलिदानों के बारे में जान सकें। संथाल, तामार, कोल, भील, खासी और मिजो जैसे कई जनजातीय समुदायों द्वारा विभिन्न आंदोलनों के जरिए भारत के स्वतंत्रता संग्राम को मजबूती प्रदान की गई थी। जनजातीय समुदायों के क्रांतिकारी आंदोलन और संघर्षों को उनके अपार साहस एवं सर्वोच्च बलिदान की वजह से जाना जाता है।

 

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि बिरसा मुंडा को देश के जनजातीय समुदायों द्वारा भगवान के रूप में पूजा जाता है। बिरसा मुंडा ने ब्रिटिश औपनिवेशिक व्यवस्था की शोषक प्रणाली के खिलाफ बहादुरी से लड़ाई लड़ी और 'उलगुलान' (क्रांति) का आव्हान करते हुए ब्रिटिश दमन के खिलाफ आंदोलन का नेतृत्व किया। केंद्रीय मंत्री-मंडल की आज की यह घोषणा आदिवासी समुदायों के गौरवशाली इतिहास और सांस्कृतिक विरासत को स्वीकृति प्रदान करती है।