राजस्थान की जलवायु प्रमुख विशेषताएँ ।Climate of Rajsthan in Hindi - Daily Hindi Paper | Online GK in Hindi | Civil Services Notes in Hindi

Breaking

सोमवार, 17 जनवरी 2022

राजस्थान की जलवायु प्रमुख विशेषताएँ ।Climate of Rajsthan in Hindi

राजस्थान की जलवायु प्रमुख विशेषताएँ

राजस्थान की जलवायु प्रमुख विशेशताएँ ।Climate of Rajsthan in Hindi



राजस्थान की जलवायु

  • राजस्थान की जलवायु शुष्क से उप-आर्द्र मानसूनी से जलवायु है। अरावली के पश्चिम में न्यून वर्षाउच्च दैनिक एवं वार्षिक तापान्तरनिम्न आर्द्रता तथा तीव्र हवाओं युक्त शुष्क जलवायु है। दूसरी ओर अरावली के पूर्व में अर्द्धशुष्क एवं उप-आर्द्र जलवायु है। अक्षांशीय स्थितिसमुद्र से दूरीसमुद्रतल से ऊँचाईअरावली पर्वत श्रेणियों की स्थिति एवं दिशावनस्पति आवरण आदि यहाँ की जलवायु को प्रभावित करते हैं।

 

राजस्थान की जलवायु की प्रमुख विशेशताएँ 

 

(1) शुष्क एवं अर्द्ध-शुष्क जलवायु की प्रधानता । 

(2) अपर्याप्त एवं अनिश्चित वर्षा । 

(3) वर्षा का असमान वितरण । 

(4) अधिकांश वर्षा जून से सितम्बर तक । 

(5) वर्षा की परिवर्तनशीलता एवं न्यूनता के कारण सूखा एवं अकाल की स्थिति अधिक होनाआदि ।

 

राजस्थान की जलवायु का ऋतु प्रारूप

 

भारतीय जलवायु के समानराजस्थान की जलवायु का अध्ययन भी ऋतुओं के अनुसार किया जाता है। राज्य की जलवायु का स्वरूप निम्नलिखित तीन ऋतुओं से स्पष्ट होता है-

 

  1. ग्रीष्म ऋतु (मार्च से मध्य जून ) 
  2. वर्षा ऋतु (मध्य जून से सितम्बर) 
  3. शीत ऋतु ( अक्टूबर से फरवरी)

 

ग्रीष्म ऋतु (मार्च से मध्य जून) राजस्थान की जलवायु 

  • ग्रीष्म ऋतु का प्रारम्भ मार्च से हो जाता है और इस समय सूर्य के उत्तरायण में होने के कारण क्रमिक रूप से तापमान में वृद्धि होने लगती है। 
  • मई-जून में सम्पूर्ण राजस्थान में उच्च तापमान हो जाता है. सम्पूर्ण राजस्थान विशेषकर पश्चिमी राजस्थान के जैसलमेरबाडमेरबीकानेरजोधपुरचूरू आदि में 40° से. से अधिक होता है। 
  • पूर्वी राजस्थान के जयपुर, दौसा, अलवर, सीकर तथा अजमेर, टोंक, चित्तौड़गढ़, डूंगरपुर, बाँसवाड़ा, में तापमान 36° से. से 40° से. होता । 
  • दक्षिणी अरावली के उच्च भागों में ऊँचाई के कारण तापमान कम होता हैं। हाड़ौती का पठार भी इस समय तपता रहता है और वहाँ तापमान 36° से. से 40° से. के मध्य होता है। इस समय गर्म और धूल भरी आँधियों का प्रकोप होता हैं । 
  • शुष्क प्रदेशों में रात्रि तापमान कम हो जाता है। इस समय हवा में नमी कम होती है और सम्पूर्ण राज्य गर्मी की चपेट में होता है।

 

तापमान वर्षा ऋतु (मध्य जून से सितम्बर) राजस्थान की जलवायु  

  • मध्य जून तक सम्पूर्ण राज्य जब ग्रीष्म से तप्त हो जाता है तो वायुदाब एवं हवाओं की दिशाओं में परिवर्तन के साथ ही हिन्द महासागर से मानसूनी हवाओं का प्रारम्भ हो जाता हैं राजस्थान में जून के अन्त में अथवा जुलाई के प्रथम सप्ताह में मानसून दक्षिणी और दक्षिणी-पूर्वी तथा पूर्वी राजस्थान में क्रमिक रूप से सक्रीय हो जाता है। 

मानसूनी वर्षा राजस्थान को अपेक्षाकृत कम होती है क्यों

 

(1) अरावली पर्वत श्रृंखला का विस्तार अरब सागर की मानसून शाखा की दिशा के समानान्तर होने के कारण मानसून राज्य में बिना वर्षा के उत्तर की तरफ चला जाता है। 

(2) बंगाल की खाड़ी की ओर से आने वाले मानसून की राजस्थान में पहुँचते-पहुँचते आर्द्रता काफी कम हो जाती है। 

(3) अरावली पर्वतमाला की ऊँचाई कम होने तथा उस पर वनस्पति कम होने का भी वर्षा पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। 

 

  • किन्तु इससे यह तात्पर्य नहीं कि राजस्थान में वर्षा नहीं होती। जून से सितम्बर तक राजस्थान में अधिकांशतः वर्षा होती है।
  • 40 से.मी. की वर्षा मापक रेखा राजस्थान को दो भागों में विभक्त करती है। इसके पश्चिम का भाग जहाँ 40 से.मी. से कम वर्षा होती है। वह मरूस्थली है, दूसरी ओर पूर्वी एवं दक्षिणी-पूर्वी क्षेत्रों में अधिक वर्षा होती है। 
  • राजस्थान राज्य में सर्वाधिक वर्षा आबू पर्वत के निकटवर्ती क्षेत्रों में लगभग 150 से.मी. होती है।
  • कोटा, झालावाड़, बारां, चित्तौड़गढ़, सिरोही में वार्षिक वर्षा का औसत 90 सेमी रहता है।
  • राजस्थान राज्य में न्यूनतम वर्षा वाले जिले जैसलमेर, बाड़मेर, गंगानगर हैं जहाँ वर्षा 10 से 25 से.मी. तक होती है।


शीत ऋतु ( अक्टूबर से फरवरी तक ) राजस्थान की जलवायु 

 

शीत ऋतु को दो भागों में विभक्त किया जाता है- 

(1) मानसून के प्रत्यावर्तन का काल (अक्टूबर से मध्य सितम्बर) 

(2) शीत ऋतु (मध्य दिसम्बर से फरवरी तक)

 

  • वर्षा ऋतु का समापन एकाएक न होकर क्रमिक रूप से होता है और मानसूनी हवाएँ अक्टूबर से वापस लौटने लगती है। इस समय अधिकतम तापमान 30° से 35° से. और न्यूनतम 20° से. तक होता है। यह मानसून के प्रत्यावर्तन अर्थात् लौटने का समय होता है। लौटता मानसून भी कुछ स्थानों पर हल्की वर्षा कर देता है।

 

  • वास्तविक शीत ऋतु का प्रारम्भ राज्य में दिसम्बर माह में होता है, क्योंकि इस समय सूर्य दक्षिणानय में होता है। उत्तरी-पश्चिमी ठण्डी हवाएँ पूरे राज्य में चलने लगती हैं। इस समय पश्चिमी शीतोष्ण चक्रवात भी प्रदेश में आते है जिनसे कुछ वर्षा हो जाती है, इस वर्षा को 'मावठ' कहते है। 


  • यह वर्षा रबी की फसल के लिये वरदान होती है। जनवरी के माह में शीतकाल पूर्णता पर होता है। सम्पूर्ण प्रदेश में तापमान से 15° से. होता है । चूरू, फलोदी, गंगानगर में तापमान शून्य डिग्री सेल्सियस तक पहुँच जाता है। इस समय बाडमेर, कोटा, बूंदी तथा दक्षिणी सवाई माधोपुर जिलों में तापमान 10° से अधिक होता है।

 

  • संक्षेप में यह कहा जा सकता है कि राजस्थान का भौतिक पर्यावरण विशिष्ट है। राज्य के भौतिक विभागों में उच्चावच एवं जलवायु की अत्यधिक विविधता है। यहाँ के भौतिक पर्यावरण ने सदैव से आर्थिक एवं सामाजिक स्वरूप को प्रभावित किया है और वर्तमान में भी कर रहा है। राज्य की विकास योजनाओं पर भी इनका प्रभाव स्पष्ट दृष्टिगोचर होता है।