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मंगलवार, 23 अप्रैल 2024

अहोम साम्राज्य का इतिहास | Ahom kingdom History

 अहोम साम्राज्य का इतिहास 

अहोम साम्राज्य का इतिहास | Ahom kingdom History


अहोम साम्राज्य का इतिहास 

असम की ब्रह्मपुत्र घाटी में वर्ष 1228 में स्थापित अहोम साम्राज्य ने 600 वर्षों तक अपनी संप्रभुता बनाए रखी।

साम्राज्य की स्थापना 13वीं शताब्दी के शासक चाओलुंग सुकफा ने की थी।

यंदाबू की संधि पर हस्ताक्षर के साथ वर्ष 1826 में प्रांत को ब्रिटिश भारत में शामिल किये जाने तक इस भूमि पर अहोमों ने शासन किया।

अपनी बहादुरी के लिये विख्यात अहोम शक्तिशाली मुगल साम्राज्य के आगे नहीं झुके।

अहोम साम्राज्य राजनीतिक व्यवस्था:

अहोमों ने भुइयाँ (ज़मींदारों) की पुरानी राजनीतिक व्यवस्था को समाप्त करके एक नए राज्य का निर्माण किया।

अहोम राज्य बंधुआ मज़दूरी/बलात॒ श्रम (Forced Labour) पर निर्भर था। राज्य के लिये इस प्रकार की मज़दूरी करने वालों को पाइक (Paik) कहा जाता था।

अहोम साम्राज्य समाज:

अहोम समाज को कुल/खेल (Clan/Khel) में विभाजित किया गया था। एक कुल/खेल का सामान्यतः कई गाँवों पर नियंत्रण होता था।

अहोम साम्राज्य के लोग अपने स्वयं के आदिवासी देवताओं की पूजा करते थे, फिर भी उन्होंने हिंदू धर्म और असमिया भाषा को स्वीकार किया।

हालाँकि अहोम राजाओं ने हिंदू धर्म अपनाने के बाद अपनी पारंपरिक मान्यताओं को पूरी तरह से नहीं छोड़ा।

अहोम लोगों का स्थानीय लोगों के साथ विवाह के चलते उनमें असमिया संस्कृति को आत्मसात करने की प्रवृत्ति देखी गई।

अहोम साम्राज्य कला और संस्कृति:

अहोम राजाओं ने कवियों और विद्वानों को भूमि अनुदान दिया तथा रंगमंच को प्रोत्साहित किया।

संस्कृत के महत्त्वपूर्ण कृतियों का स्थानीय भाषा में अनुवाद किया गया।

बुरंजी (Buranjis) नामक ऐतिहासिक कृतियों को पहले अहोम भाषा में फिर असमिया भाषा में लिखा गया।

अहोम साम्राज्य की  सैन्य रणनीति:

अहोम राजा राज्य की सेना का सर्वोच्च सेनापति भी होता था। युद्ध के समय सेना का नेतृत्त्व राजा स्वयं करता था और पाइक राज्य की मुख्य सेना थी।

पाइक दो प्रकार के होते थे: सेवारत और गैर-सेवारत। गैर-सेवारत पाइकों ने एक स्थायी सहायक सेना (Militia) का गठन किया, जिन्हें खेलदार (Kheldar- सैन्य आयोजक) द्वारा थोड़े ही समय में संगठित किया जा सकता था।

अहोम सेना की समग्र टुकड़ी में पैदल सेना, नौसेना, तोपखाने, हाथी, घुड़सवार सेना और जासूस शामिल थे। युद्ध में इस्तेमाल किये जाने वाले मुख्य हथियारों में तलवार, भाला, बंदूक, तोप, धनुष और तीर शामिल थे।

अहोम राजा युद्ध अभियानों का नेतृत्त्व करने से पहले शत्रु की युद्ध रणनीतियों को जानने के लिये उनके शिविरों में जासूस भेजते थे।

अहोम सैनिकों को गोरिल्ला युद्ध (Guerilla Fighting) में विशेषज्ञता प्राप्त थी। ये सैनिक दुश्मनों को अपने देश की सीमा में प्रवेश करने देते थे, फिर उनके संचार को बाधित कर उन पर सामने और पीछे से हमला कर देते थे।

कुछ महत्त्वपूर्ण किले: चमधारा, सराईघाट, सिमलागढ़, कलियाबार, कजली और पांडु।

उन्होंने ब्रह्मपुत्र नदी पर नाव का पुल (Boat Bridge) बनाने की तकनीक भी सीखी थी।

इन सबसे महत्त्वपूर्ण यह है कि नागरिकों और सैनिकों के बीच आपसी समझ तथा धनाढ्य लोगों के बीच एकता ने हमेशा अहोम राजाओं के लिये मज़बूत हथियारों के रूप में काम किया।