MP Higher Education Meeting 2022 मध्य प्रदेश उच्च शिक्षा विभाग समीक्षा 2022
मध्य प्रदेश उच्च शिक्षा विभाग समीक्षा 2022
प्रदेश में 100 उच्च शिक्षा संस्थानों में 459 पाठ्यक्रम के संचालन की मंजूरी दी गई है। इनमें 282 प्रमाण-पत्र और 177 डिप्लोमा पाठ्यक्रम शामिल हैं। विद्यार्थियों के लिए ये पाठ्यक्रम जीवन की राह पर आगे बढ़ने में सहयोगी होंगे।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के परिप्रेक्ष्य में प्रदेश में 85 विषय के लिए परिणाम आधारित पाठ्यक्रम का निर्माण किया गया है। यह जानकारी आज मंत्रालय में मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में हुई उच्च शिक्षा विभाग की विभागीय समीक्षा बैठक में दी गई। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि कोरोना काल में प्रारंभ वर्चुअल कक्षाओं का संचालन विद्यार्थियों के लिए उपयोगी सिद्ध हुआ है। सामान्य स्थितियों में भी इसका उपयोग होना चाहिए। मध्यप्रदेश को ऑनलाइन शिक्षा के क्षेत्र में आदर्श बनाएँ।
उच्च शिक्षा विभाग ने 100 संस्थानों में 200 स्मार्ट क्लास के संचालन का
कार्य किया है, जो सराहनीय है। उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. मोहन यादव, मुख्य सचिव श्री
इकबाल सिंह बैंस, अपर मुख्य सचिव उच्च शिक्षा श्री शैलेन्द्र
सिंह, आयुक्त उच्च शिक्षा श्री दीपक सिंह और अन्य अधिकारी उपस्थित
थे।
सूचना
प्रौद्योगिकी के उपयोग में सक्रिय है उच्च शिक्षा विभाग
प्रदेश के 100
उच्च शिक्षा संस्थानों में सूचना प्रौद्योगिकी अधो-संरचना सुदृढ़ीकरण में इसी तरह
75 कम्प्यूटर लेब और 59 इंटरनेट लीज लाइन का कार्य किया गया है। एकीकृत पोर्टल में
6 माड्यूल बना लिए गए हैं, शेष 12 माड्यूल का कार्य प्रगति पर है। डिजिटल
रिपोजीटरी की स्थापना के लिए लर्निंग मैनेजमेंट सिस्टम का प्लेटफार्म तैयार किया
गया है। कुल 21 विषय के 440 ई-कंटेंट तैयार कर लिए गए हैं। इस प्रकार के 6 हजार
अन्य ई-कंटेंट भी तैयार किए जा रहे हैं। इनके निर्माण के लिए 10 संभागों में
स्टूडियो स्थापित किए गए हैं। प्रदेश के 200 महाविद्यालयों में वर्चुअल क्लास रूम
की स्थापना का कार्य भी चल रहा है।
मध्यप्रदेश ने किया 86 प्रतिशत राशि का उपयोग, देश में अग्रणी
बैठक में बताया
गया कि शासकीय विद्यालयों में वर्ष 2021-22 के लिए नैक मूल्यांकन के लिए 55
महाविद्यालय चिन्हांकित किए गए हैं। वित्त वर्ष 2021-22 में राष्ट्रीय उच्चतर
शिक्षा अभियान में प्रदेश में 58 करोड़ 23 लाख रूपए की राशि व्यय हुई है।
मध्यप्रदेश भारत सरकार द्वारा जारी राशि का 86 प्रतिशत उपयोग कर इस क्षेत्र में
देश में अग्रणी प्रांतों में है। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने निर्देश दिए कि
महाविद्यालयों को प्लेसमेंट प्राप्ति के लिए सहयोगी केन्द्र के रूप में पहचान
मिले। महाविद्यालयों में विद्यार्थियों का नामांकन ही अधिकाधिक होता रहे, यह एकमात्र
उद्देश्य नहीं है। वर्तमान जरूरतों के अनुरूप शिक्षा देने के साथ ही रोजगारमूलक
पाठ्यक्रमों को प्रारंभ करने का कार्य किया जाए।
पाठ्यक्रम कितने जरूरी, चिंतन करें
मुख्यमंत्री श्री
चौहान ने कहा कि उच्च शिक्षा विद्यार्थियों के कॅरियर निर्माण, ज्ञान प्राप्ति
और रोजगार चुनने में मददगार है। उच्च शिक्षा में पर्याप्त रुचि रखने वाले
छात्र-छात्राओं के लिए यह अत्यंत उपयोगी है। यदि विद्यार्थी बिना उद्देश्य के
शिक्षण परिसर में जीवन के महत्वपूर्ण पाँच-छह साल सिर्फ डिग्री के लिए व्यतीत करें
तो हम बेरोजगारों की फ़ौज तैयार करने के अलावा कुछ हासिल नहीं कर पाते हैं।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि पाठ्यक्रमों को रोजगारमूलक बनाएँ। यह बहुत
आवश्यक है कि हम अपने पाठ्यक्रमों को व्यवहारिक जीवन और रोजगार प्राप्ति से जोड़
दें, तो ऐसे पाठ्यक्रम की उपयोगिता बढ़ जाएगी। मुख्यमंत्री श्री
चौहान ने कहा कि उच्च शिक्षा विभाग द्वारा अनेक नए पाठ्यक्रमों की शुरूआत सराहनीय
है, इस दिशा में निरंतर कार्य हो और नए-नए उपयोगी पाठ्यक्रमों
की संख्या बढ़ाई जाए।
महाविद्यालयों में अधो-संरचना उन्नयन
मुख्यमंत्री श्री
चौहान ने कहा कि महाविद्यालयों में अधो-संरचना उन्नयन के कार्य निरंतर किए जाएँ।
बताया गया कि प्रदेश के 200 महाविद्यालयों में रोजगार और स्व-रोजगार मेले, कौशल विकास
प्रशिक्षण और कार्यशालाएँ हुई हैं। प्रदेश के 150 शासकीय महाविद्यालयों का
गुणवत्ता अध्ययन केन्द्र के रूप में उन्नयन किया गया है। स्मार्ट कक्षाओं के
संचालन पर ध्यान दिया जा रहा है। प्रदेश के तीन विश्वविद्यालयों ने 15 उत्कृष्ट
केन्द्र चिन्हित किए हैं। इसके लिए 15 करोड़ रूपए की राशि आवंटित की गई है। नैक
मूल्यांकन में प्रदेश के 6 शासकीय महाविद्यालय की ग्रेडिंग गत वर्ष हुई है। इनमें
शासकीय माधव विज्ञान महाविद्यालय उज्जैन की A+ (ए-प्लस) ग्रेडिंग
हुई है। शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय खरगौन की B++ (बी-प्लस-प्लस) और
शासकीय महाविद्यालय मंदसौर, छिंदवाड़ा, बड़वानी और सीहोर
के महाविद्यालय की बी ग्रेडिंग हुई है।
मध्य प्रदेश में विश्वविद्यालय की संख्या और मानव संसाधन
बताया गया कि
प्रदेश में 16 शासकीय विश्वविद्यालय, 528 शासकीय
महाविद्यालय, 40 अशासकीय विश्वविद्यालय और 800 अशासकीय महाविद्यालय
संचालित हैं। विश्वविद्यालयों के विद्यार्थियों की संख्या 2 लाख 75 हजार और
महाविद्यालय के विद्यार्थियों की संख्या 16 लाख 46 हजार है। इन सभी की नैक द्वारा
ग्रेडिंग भी की गई है। सहायक प्राध्यापक, ग्रंथपाल और
क्रीड़ा अधिकारी के बैकलॉग के 900 पदों की पूर्ति आरक्षण रोस्टर के आधार पर स्वीकृत
पद के 05 प्रतिशत अर्थात 550 पदों की भर्ती के लिए मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग को
अवगत करवाया गया है। वित्त वर्ष 2022-23 में प्रस्तावित बजट में भवन निर्माण के
लिए 205 करोड़ रूपये का बजट प्रस्तावित है। प्रति महाविद्यालय लगभग 12 करोड़ रूपए की
अनुमानित लागत आती है। महाविद्यालयों में लेब, फर्नीचर आदि के
लिए 75 लाख रूपए की राशि प्रति महाविद्यालय व्यय होने का अनुमान है। वर्तमान में
प्रदेश के 528 शासकीय महाविद्यालयों में से 373 के भवन हैं। निर्माणाधीन भवन की
संख्या 89 और भवन विहीन महाविद्यालय की संख्या 66 है।
घोषणाओं को किया
गया पूरा
मुख्यमंत्री श्री
चौहान द्वारा छिंदवाड़ा के विश्वविद्यालय का नाम शहीद राजा शंकरशाह के नाम पर करने
और बड़ोद और नलखेड़ा में विज्ञान संकाय प्रारंभ करने की घोषणा पूर्ण की गई है। साथ
ही महिलाओं के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण रखते हुए बहनों की पढ़ाई और उनकी
आत्म-निर्भरता में योगदान देने के लिए प्रेरित करने के निर्देश जारी किए गए हैं।
छात्राओं और महिला शिक्षकों को आत्म-रक्षा का प्रशिक्षण देने की पहल भी की गई है।
महिलाओं के विरूद्ध होने वाले अपराधों की पृष्ठभूमि में मानसिक कु-प्रवृत्तियों को
खत्म करने के लिए उच्च शिक्षा विभाग कार्यशालाओं और काउंसलिंग जैसे माध्यमों का
उपयोग कर रहा है। प्रतिवर्ष 50 विद्यार्थियों को अध्ययन के लिए विदेश भेजने और
शिक्षण शुक्ल की प्रतिपूर्ति, छात्रवृत्ति में राशि वितरण की व्यवस्था ऑनलाइन
करने की पहल भी की गई है। सीएम मॉनिट में 123 निर्देशों का पालन कर लिया गया है।
अन्य स्थानों पर नए महाविद्यालय और संकाय खोलने की घोषणाएँ पूर्ण करने की
प्रक्रिया संचालित है। सभी संभाग मुख्यालय में उत्कृष्टता संस्थान की स्थापना, जिला मुख्यालयों
में आदर्श महाविद्यालय की स्थापना, प्रत्येक
विधानसभा क्षेत्र में एक बहुसंकाय महाविद्यालय और आई.आई.टी. इंदौर के सेटेलाईट
कैम्पस का केन्द्र उज्जैन में खोलने की पहल भी की गई है।
पूर्व
विद्यार्थियों का रहे संस्थाओं से जुड़ाव
मुख्यमंत्री श्री
चौहान ने कहा कि प्रदेश में उच्च शिक्षण संस्थाओं में सामान्य परिस्थितियाँ रहने
पर कोविड प्रोटोकॉल के साथ पूर्व विद्यार्थियों के सम्मेलन भी आयोजित किए जाएँ।
अनेक पूर्व विद्यार्थी महाविद्यालय के विकास में भी सहयोगी होते हैं।
महाविद्यालयों में नवाचारों का चिन्हांकन कर उन पर अमल किया जाए।
मुख्यमंत्री श्री
चौहान के प्रमुख निर्देश
- रोजगार देने वाले कोर्सेस को बढ़ावा दिया जाए।
- स्मार्ट क्लास बन जाने के बाद उनका उपयोग बढ़ाएँ।
- ऐसा मैकेनिज्म बनाएँ कि यह भी ज्ञात हो कि इन सुविधाओं का लाभ विद्यार्थियों को मिल रहा या नहीं।
- थर्ड पार्टी निरीक्षण प्रभावी हों। वास्तव में निष्पक्ष रूप से थर्ड पार्टी बने, निरीक्षण में कॉलेज के ही प्रतिनिधि न हों।
- कॉलेजों को प्लेसमेंट में सहयोगी केंद्र बनाएँ। वर्तमान जरूरतों के अनुरूप हों पाठ्यक्रम।
- ग्रामीण क्षेत्र तक वर्चुअल क्लास का लाभ पहुँचाने का प्रयास हो।
- वर्चुअल क्लास रूम का लाभ अधिक से अधिक विद्यार्थियों को मिले।
- मध्यप्रदेश को ऑनलाइन शिक्षा के क्षेत्र में आदर्श बनाएँ।