राजस्थान में राज्य प्रशासन
राजस्थान में राज्य प्रशासन
- राजस्थान में लोक कल्याणकारी राज्य के लक्ष्य की प्राप्ति के लिए एक सुदृढ़ प्रशासनिक तंत्र सृजित किया गया है। प्रशासनिक व्यवस्था के अन्तर्गत वर्तमान में राजस्थान को सात संभागों एवं 33 जिलों में विभक्त किया गया है, इसके निचले स्तरों पर उपखण्ड एवं तहसीलें है। इस सम्पूर्ण व्यवस्था में मुख्यमंत्री के अधीन सर्वोच्च स्तर पर मुख्य सचिव होता है, जो कि भारतीय प्रशासनिक सेवा के वरिष्ठतम् अधिकारी में से एक होता है। मुख्य सचिव की नियुक्ति मुख्यमंत्री द्वारा की जाती है। मुख्य सचिव राज्य के मंत्रिमण्डल के सचिव (कैबिनेट सचिव) के रूप में भी कार्य करता है। इनका प्रमुख कार्य मुख्यमंत्री तथा मंत्रीमण्डल को प्रशासनिक विषयों पर उचित परामर्श देना है।
- राजस्थान में राज्य प्रशासन के कार्य संचालित करने हेतु विविध विभाग गठित हैं तथा प्रत्येक विभाग का प्रभारी मंत्री होता है और मंत्री की सहायतार्थ शासन सचिव रहता है। शासन सचिव मंत्रियों को नीति निर्माण में आवश्यक सहायता एवं सलाह उपलब्ध कराते हैं। इस प्रकार सचिवों की सहायता से निर्धारित नीति को विभिन्न विभाग अपने निदेशालय द्वारा लागू करवाते हैं जिसका प्रमुख अधिकारी महानिदेशक / निदेशक होता है।
राजस्थान में राजस्व एवं कानून व्यवस्था प्रशासन तंत्र
- राज्य में राजस्व एवं कानून व्यवस्था के लिये एक ही प्रशासनिक तंत्र गठित किया गया है। राजस्व एवं कानून व्यवस्था की दृष्टि से राज्य सात संभागों अर्थात् जयपुर, जोधपुर, अजमेर, उदयपुर, कोटा, बीकानेर और भरतपुर में विभक्त किया गया है। राजस्व सम्बन्धी मामलों में राज्य में सर्वोच्च निकाय राजस्व मण्डल है जिसका मुख्यालय अजमेर में है। प्रत्येक संभाग पर एक भारतीय प्रशासनिक सेवा का अधिकारी संभागीय आयुक्त बैठता है। इनके अधीन सभी जिलों के जिलाधीश एवं पुलिस अध् क्षक रहते हैं। इनको पुलिस एवं सामान्य विभागों में समन्वय रखते हुए सम्पूर्ण संभाग में विकास तथा शांति व्यवस्था बनाये रखने के साथ संभाग स्तर पर राजस्व सम्बन्धी मामलों का निस्तारण भी करना होता है।
- जिला स्तर पर कलेक्टर / मजिस्ट्रेट का पद सृजित है। जो भारतीय प्रशासनिक सेवा का अधिकारी होता है। इसे पूरे जिले की प्रशासनिक व्यवस्था संचालित करनी होती है। इनके अधीन प्रत्येक उपखण्ड पर उपखण्ड अधिकारी नियुक्त किये जाते हैं। प्रत्येक तहसील पर एक तहसीलदार होता है, जिसकी मदद के लिये नायब तहसीलदार, कानूनगों आदि होते हैं। तहसील को पटवार सर्किल में विभक्त किया जाता है, जिसका प्रमुख पटवारी होता है, एक पटवार सर्किल कई ग्रामों से मिलकर बनता है।
राजस्थान में सम्पूर्ण राजस्व एवं कानून व्यवस्था तंत्र