राजस्थान राज्य की कार्यपालिका । मंत्रिपरिषद अर्थात् वास्तविक कार्यपालिका । Rajsthan Karya Palika - Daily Hindi Paper | Online GK in Hindi | Civil Services Notes in Hindi

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शुक्रवार, 28 जनवरी 2022

राजस्थान राज्य की कार्यपालिका । मंत्रिपरिषद अर्थात् वास्तविक कार्यपालिका । Rajsthan Karya Palika

 राजस्थान राज्य की कार्यपालिका

राजस्थान राज्य की कार्यपालिका । मंत्रिपरिषद अर्थात् वास्तविक कार्यपालिका । Rajsthan Karya Palika
 

राजस्थान राज्य की कार्यपालिका

  • हमारे देश में संघ एवं राज्य दोनों स्तरों पर संसदीय शासन प्रणाली को अपनाया गया है। इस प्रणाली में व्यवस्थापिका और कार्यपालिका में घनिष्ठ सहयोगी संबंध रहते हैं। कार्यपालिका विधायिका के प्रति उत्तरदायी होती है। संविधान के अनुच्छेद 154 के अनुसार हमारे राज्य की कार्यपालिका शक्तियाँ राज्यपाल में निहित है तथा उनका प्रयोग वह भी सामान्यतः राष्ट्रपति की भाँति मंत्रिमण्डल के परामर्शानुसार करता है। राज्य में भी कार्यपालिका दो प्रकार की रखी गई है प्रथम नाममात्र की एवं संवैधानिक प्रमुख के रूप में तथा द्वितीय वास्तविक कार्यपालिका । नाममात्र की कार्यपालिका अर्थात् जिसके नाम से शासन चलता है। अतः राज्यपाल ऐसी ही कार्यपालिका है। जिसके द्वारा शासन संचालित होता है, वास्तविक शक्तियों का प्रयोग होता है, उसे वास्तविक कार्यपालिका कहते हैं। राज्य के मुख्यमंत्री व मंत्रिपरिषद् ही वास्तविक कार्यपालिका होती है।

 

  • कार्यपालिका सरकार का द्वितीय अंग है, जो व्यवस्थापिका द्वारा निर्मित विधियों के रूप में दिये गये कार्य को लागू करने तथा क्रियान्वित करने का कार्य करती है। 


  • हमारे राज्य में भी संविधान के अनुच्छेद 155 के अनुसार राष्ट्रपति द्वारा राज्यपाल पद पर नियुक्ति की जाती है। यद्यपि नियुक्ति सामान्यतः 5 वर्ष हेतु की जाती है, किन्तु राष्ट्रपति उससे पूर्व भी राज्यपाल को हटा सकता है। राज्यपाल पद हेतु कुछ योग्यतायें वांछनीय है, जैसे वह भारत का नागरिक हो, 35 वर्ष की आयु पूर्ण कर चुका सामान्यतः यह ध्यान रखा जाता है कि वह सम्बन्धित राज्य का नागरिक न हो, आदि ।

 

राज्यपाल द्वारा संविधान प्रदत्त कई शक्तियों को प्रयोग में लाया जाता है जो कि निम्न हैं-

 

  1. मुख्यमंत्री की नियुक्ति करना तथा उसके परामर्श पर मंत्रिपरिषद का गठन करना ।
  2. विधान सभा का सत्र आहूत करना, सत्रावसान की घोषणा, विधान सभा को भंग करना आदि।
  3. वित्तीय शक्तियाँ, विधायी शक्तियाँ, क्षमादान की शक्तियाँ आदि ।

 

मुख्यमंत्री एवं मंत्रिपरिषद अर्थात् वास्तविक कार्यपालिका- 

  • देश में जो कार्य प्रधानमंत्री के है लगभग उसी प्रकार की भूमिका तथा स्थान राज्य में मुख्यमंत्री का होता है। संविधान के अनुच्छेद 163 के अनुसार राज्यपाल को परामर्श देने हेतु एक मंत्रिपरिषद होगी, जिसका प्रधान मुख्यमंत्री होगा। राज्यपाल उसके परामर्शानुसार ही कार्य करता है। सामान्यतः मुख्यमंत्री पद हेतु पृथक् से योग्यताएं नहीं रखी है, लेकिन राज्यपाल ऐसे व्यक्ति को ही मुख्यमंत्री की शपथ दिलाता है, जो विधानसभा में बहुमत दल का नेता हो, तथा वह विधान सभा का सदस्य हो, यदि वह विधान सभा का सदस्य नहीं है, तो 6 माह में उसे सदस्यता प्राप्त करनी होती है।

 

  • यदि स्पष्ट बहुमत प्राप्त दल न हो तो राज्यपाल अपनी स्वविवेकीय शक्ति का प्रयोग करता है। सम्पूर्ण राज्य का शासन, प्रशासन सर्वोच्च रूप में मुख्यमंत्री द्वारा ही चलता है। मुख्यमंत्री अपने दल के कार्यक्रम, नीतियों को जन आकांक्षाओं के अनुरूप लागू करने हेतु कई कार्य करते है। 


जो निम्न हैं-

 

1. सर्वप्रथम् अपनी मंत्रिपरिषद् का गठन करना। 

2. मंत्रियों को विभाग बाँटना तथा मंत्रिमण्डल की बैठकें बुलाकर अध्यक्षता करना । 

3. राज्य प्रशासन एवं व्यवस्था सम्बन्धी मंत्रिपरिषद् के निर्णयों से राज्यपाल को अवगत कराना। 

4. सभी मंत्रियों, विभागों की देख-रेख करना तथा समन्वय रखकर सरकार की सुदृढ़ एकता रखना। 

5. विधान सभा में शासन सम्बन्धी नीतियों, कार्यों की घोषणा कर विधिवत् रूप दिलाना, सदन का तथा सरकार का नेतृत्वकर्ता होना । 

6. राज्यपाल द्वारा राज्य के प्रशासन अथवा किसी विधेयक के विषय में कोई सूचना माँगे जाने पर उसे उपलब्ध कराना।

 

  • मुख्यमंत्री की उक्त शक्तियों व कार्यों तथा अन्य कार्यों के क्रियान्वन हेतु मंत्रिमण्डल पूर्ण सहयोग करता है। प्रत्येक विभाग के मंत्रियों के अधीन स्थायी नौकरशाही के रूप में सचिव से लेकर अनेक कर्मचारी रहते है। मंत्रियों को हटाना, विभाग परिवर्तन करना भी मुख्यमंत्री का विशेषाधि कार है।

 

  • वास्तविक कार्यपालिका होने से मुख्यमंत्री विधान सभा को, राज्यपाल को परामर्श देकर, समय पूर्व भंग करा सकता है। दूसरी ओर अविश्वास प्रस्ताव स्वीकार विधानसभा मुख्यमंत्री को पद से, समय से पूर्व अर्थात् 5 वर्ष के कार्यकाल से पूर्व भी अपदस्थ कर सकती है। मुख्यमंत्री राज्यपाल तथा मंत्रिपरिषद् के मध्य कड़ी का कार्य करता है। समय-समय पर राज्यपाल को शासन संबंधी निर्णयों से अवगत भी कराता है।

 

  • वास्तविक कार्यपालिका के रूप में मुख्यमंत्री की वास्तविक स्थिति उसके दल में उसके व्यक्तित्व, सदन में बहुमत की स्थिति, जनता में लोकप्रियता विपक्षी दलों में स्वीकार्यता पर निर्भर करती है और इन्हीं पर कोई मुख्यमंत्री शक्तिशाली, तो कोई निर्बल मुख्यमंत्री के रूप में जाना जाता है।