राजस्थानी चित्रकला प्रकार एवं विशेषताएँ। Rajsthani Chitrakala Prakar Evam Sthapatya Kala - Daily Hindi Paper | Online GK in Hindi | Civil Services Notes in Hindi

Breaking

बुधवार, 19 जनवरी 2022

राजस्थानी चित्रकला प्रकार एवं विशेषताएँ। Rajsthani Chitrakala Prakar Evam Sthapatya Kala

राजस्थानी चित्रकला प्रकार एवं विशेषताएँ 
(Rajsthani Chitrakala Prakar Evam Sthapatya Kala)

राजस्थानी चित्रकला प्रकार एवं विशेषताएँ। Rajsthani Chitrakala Prakar Evam Sthapatya Kala


 

राजस्थानी चित्रकला प्रकार एवं विशेषताएँ

  • राजस्थानी चित्रकला का उद्भवकाल पन्द्रहवीं शताब्दी माना जाता है। राजपूतकाल में भित्तिचित्रपोथीचित्रकाष्ठपट्टिका चित्र और लघुचित्र बनाने की परम्परा रही है। अधिकांश रियासतों के चित्र बनाने के तोर-तरीकोंस्थान के अनुसार मौलिकता और सामाजिक-राजनैतिक परिवेश के कारण अनेक चित्रशैलियों का विकास हुआ यथा- मेवाड़मारवाड़बून्दीबीकानेरजयपुरकिशनगढ़ और कोटा चित्रशैली ।
  • यहाँ यह उल्लेखनीय है कि राजस्थानी चित्रकला का प्रारम्भिक और मौलिक रूप मेवाड़ शैली में दिखाई देता हैइसलिए इसे राजस्थानी चित्रशैलियों की जनक शैली कहा जाता है। 1260 में चित्रित श्रावक प्रतिक्रमणसूत्रचूर्णि नामक चित्रित ग्रंथ इसी शैली का प्रथम उदाहरण है।

 

मेवाड़ चित्रकला शैली एवं विशेषताएँ

  • मेवाड राज्य राजस्थानी चित्रकला का सबसे प्राचीन केन्द्र माना जा सकता है। महाराणा अमरसिंह के शासनकाल में इस चित्रशैली का अधिक विकास हुआ। लाल पीले रंग का अधिक प्रयोगगरुड़नासिकापरवल की खड़ी फांक से नेत्रघुमावदारवलम्बी अंगुलियाअंलकारों की अधिकता और चेहरों की जकड़न आदि इस शैली की प्रमुख विशेषताएँ हैं।
  • मेवाड़ शैली के चित्रों का विषय श्रीमद्भागवत्सूरसागरगीतगोविन्दकृष्णलीलादरबार के दृश्यशिकार के दृश्य आदि थे। इस चित्रशैली के चित्रकारों में मनोहरगंगारामकृपारामसाहिबदीन और जगन्नाथ प्रमुख हैं। राजा अमरसिंह के काल से इस शैली  पर मुगल प्रभाव दिखाई देता है। 

 

मारवाड़ चित्रकला शैली एवं विशेषताएँ -

  • मारवाड़ में रावमालदेव के समय इस शैली का स्वतन्त्र रूप से विकास हुआ। इस शैली में पुरुष में लम्बे चौड़े गठीले बदन केस्त्रियाँ गठीले बदन कीबादामी आँखेंवेशभूषा ठेठ राजस्थानी और पीले रंग की प्रधानता होती थी। 
  • चित्रों के विषय नाथचरित्रभागवतपंचतन्त्रढोला मारूमूमलदेनिहालदेलोकगाथाएँ होती थी। चित्रकारों में वीर जीनारायणदास भाटीअमरदासछज्जूभाटीकिशनदास और कालूराम आदि प्रमुख हैं।

 

बीकानेर शैली चित्रकला शैली एवं विशेषताएँ

  • महाराजा अनूपसिंह के समय इस शैली का वास्तविक रूप में विकास हुआ। लालबेंगनीसलेटी और बादामी रंगो का प्रयोगबालू के टीलों का अंकनलम्बी इकहरी नायिकाएंमेघमंडलपहाड़ों और फूलपत्तियों का आलेखन इस शैली की प्रमुख विशेषताएँ रही है। शिकाररसिक प्रियारागमालाशृंगारिक आख्यान विशेष रहे हैं। इस शैली पर पंजाब कलममुगल शैली और मारवाड़ शैली का प्रभाव पाया जाता है।

 
किशनगढ़ चित्रकला शैली एवं विशेषताएँ- 

  • यह राजपूतकालीन चित्रकला की अत्यन्त आकर्षक शैली है। इस शैली का सर्वाधिक विकास राजानागरीदास के समय में हुआ। उभरी हुई ठोड़ीनेत्रों की खंजनाकृति बनावटधनुषाकार भौंएगुलाबीअदासुरम्यसरोवरों का अंकन इस चित्रशैली के चित्रों की प्रमुख विशेषताएं है 'बनी ठनीइस चित्रशैली की सर्वोत्तमकृति हैजिसे भारतीय चित्रकला का 'मोनालिसाभी कहा जाता है। इसका चित्रण निहालचन्द ने किया था। इस शैली के चित्रों में कलाप्रेम और भक्ति का सर्वांगीण सामन्जस्य पाया जाता है।

 

जयपुर चित्रकला शैली एवं विशेषताएँ

  • इस चित्रशैली का काल 1600 ई. से 1700 ई. तक माना जाता है। इस शैली पर राजस्थान में मुगल चित्रकला का सर्वाधिक प्रभाव रहा है। सफेदलालपीलेनीले तथा हरे रंग का अधिक प्रयोगसोने-चाँदी का उपयोगपुरूष की बलिष्ठता और महिला की कोमलता इस शैली की प्रमुख विशेषता रही है। शाही सवारीमहफिलेंराग-रंगशिकारबारहमासागीत गोविन्दरामायण आदि विषय प्रमुख रहें है।

 

बून्दी चित्रकला शैली एवं विशेषताएँ

  • मेवाड़ से प्रभावितराव सुरजन से प्रारम्भ बून्दी शैली उम्मेदसिंह के समय तक उन्नति के शिखर पर पहुँची थी। लालपीले रंगो की प्रचुरताछोटा कदप्रकृति का सतरंगी चित्रण इस चित्र शैली की विशेषता रही है। रसिकप्रियाकविप्रियाबिहारी सतसईनायक-नायिका भेदऋतुवर्णन बून्दी चित्रशैली के प्रमुख विषय थे। इस शैली में पशु-पक्षियों का श्रेष्ठ चित्रण हुआ हैइसलिए इसे 'पशु पक्षियों की चित्रशैलीभी कहा जाता है। यहाँ के चित्रकारों में सुरजनअहमदअलीरामलालश्री किशन और साधुराम मुख्य थे .

 

कोटा चित्रकला शैली एवं विशेषताएँ

  • कोटा चित्रशैली में बून्दी तथा मुगल शैली का समन्वय पाया जाता है। स्त्रियों के चित्र पुतलियों के रूप मेंआँखे बड़ीनाक छोटीललाटबड़ालंहगे उँचेवेणी अकड़ी हुई इस शैली की प्रमुख विशेषताएँ रही है। चित्रों के विषय शिकारउत्सवश्री नाथ कथा चित्रणपशु-पक्षी चित्रण रहें हैं।

 

नाथद्वारा चित्रकला शैली एवं विशेषताएँ

  • यह शैली अपनी चित्रण विलक्षणता के 'पिछवाई चित्रण किया जाता है। लिए प्रसिद्ध रही है। यहाँ श्रीनाथजी की छवियों के रूप में इस प्रकार राजस्थान चित्रण की दृष्टि से सम्पन्न रहा है। यहाँ पोथीखाना (जयपुर)मानसिंह पुस्तक प्रकाश (जोधपुर)सरस्वती भण्डार (उदयपुर) और स्थानीय महाराजाओं तथा सामन्तों के संग्रहालयों में चित्रकला का ऐसा समृद्ध भण्डार उपलब्ध है जो न केवल राजस्थान को धनी बनाये हुये हैवरन - भारत की कलानिधि का एक भव्य संग्रह भी है ।