अंतरराष्ट्रीय मानकीकरण संगठन की स्थापना उद्देश्य महत्व इतिहास
अंतरराष्ट्रीय मानकीकरण संगठन की स्थापना 23 फरवरी 1947 को की गयी थी ।
यह संगठन अनेक तकनीकी और गैर-तकनीकी क्षेत्रों के मानकीकरण से संबंधित है।
मुख्यालय: जेनेवा (स्विट्जरलैंड)।
अंतरराष्ट्रीय मानकीकरण संगठन का इतिहास
अंतरराष्ट्रीय मानकीकरण संगठन ( (International Organisation for
Standardisation– ISO) की
स्थापना 1947 में जेनेवा में हुई। यह राष्ट्रीय
मानक संस्थाओं का एक गैर-सरकारी संगठन है। विश्व के लगभग 130 देश आईएसओ के सदस्य हैं। प्रत्येक
सदस्य एक राष्ट्रीय निकाय होता है तथा वह अपने देश के मानकीकरण का सबसे अधिक
प्रतिनिधित्व करता है। प्रत्येक देश का प्रतिनिधित्व करने के लिये एक सदस्य होता
है। पश्चिमी औद्योगिक देशों के सदस्य सामान्यतया निजी संगठन होते हैं, जबकि अन्य देशों के सदस्य प्रायः
सरकारी संगठन होते हैं
अंतरराष्ट्रीय मानकीकरण संगठन का उद्देश्य
आईएसओ का गठन निम्नांकित उद्देश्यों की
पूर्ति के लिये किया गया है- वस्तुओं और सेवाओं के अंतर्राष्ट्रीय विनिमय के लिए
विश्वभर में मानकीकरण और सम्बंधित गतिविधियों के विकास को प्रोत्साहित करना, और; बौद्धिक, वैज्ञानिक, तकनीकी और आर्थिक गतिविधियों में सहयोग
विकसित करना।
अंतरराष्ट्रीय मानकीकरण संगठन की गतिविधियां
आईएसओ नाप-तौल, वर्णानुक्रमता (alphabetisation), लिप्यांतर (transliteration), कलपुर्जों, पदार्थों, सतहों, प्रक्रियाओं और उपकरणों का विशष्टीकरण तथा जांच-प्रक्रियाओं एवं
मशीनों के लिए मानकों का निर्धारण करता है। इन मानकों का प्रकाशन अंतरराष्ट्रीय
मानकों (आईएस) के रूप में होता है। प्रथम आईएसओ मानक का प्रकाशन 1951 में हुआ तथा वह मानक औद्योगिक लंबाई
माप से संबंधित था। आज विस्तृत क्षेत्रों से जुड़े लगभग 12,200 आईएसओ आईएस उपलब्ध हैं। आग्रह करने पर
आईएसओ मानकीकरण के विशिष्ट विषयों को सुलझाने तथा उनकी जांच करने के लिये
अंतरराष्ट्रीय तकनीकी समितियों का गठन करता है। तकनीकी विकास के परिणामस्वरूप हुये
परिवर्तनों के समावेश के लिये प्रत्येक पांच वर्ष में मानकों की समीक्षा की जाती
है। आज आईएसओ उन्नत पदार्थों, जीव
विज्ञान, नगरीकरण तथा सेवा जैसे नये क्षेत्रों
के मानकीकरण में भी सक्रिय है।