कथक महाराज : बिरजू महाराज को अब कथक महाराज के नाम से जाना जाएगा | Kathak Maharaj - Daily Hindi Paper | Online GK in Hindi | Civil Services Notes in Hindi

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मंगलवार, 22 फ़रवरी 2022

कथक महाराज : बिरजू महाराज को अब कथक महाराज के नाम से जाना जाएगा | Kathak Maharaj

 कथक महाराज : बिरजू महाराज को अब कथक महाराज के नाम से जाना जाएगा 

कथक महाराज : बिरजू महाराज को अब कथक महाराज के नाम से जाना जाएगा | Kathak  Maharaj


कथक के महान नर्तक पंडित बिरजू महाराज कथक ही नहीं बल्कि गायन, वादन से लेकर अनेक दीगर कलाओं के जानकार थे। उन्होंने खुद को इस तरह गढ़ा था कि उन्हें समग्र सांस्कृतिक पुरूष कहा जाए तो अतिशयोक्ति नहीं होगी। यह बात 48वें खजुराहो नृत्य समारोह में चल रही अनुषांगिक गतिविधियों में से एक कला-वार्ता के दौरान बिरजू महाराज की प्रिय शिष्या शाश्वती सेन और बेटी ममता महाराज ने कही। पंडित बिरजू महाराज के सांस्कृतिक अवदान पर कला-वार्ता का सत्र किया गया था। उस्ताद अलाउद्दीन ख़ाँ संगीत एव कला अकादमी के निदेशक श्री जयंत भिसे ने कहा कि कथक नृत्य में उल्लेखनीय योगदान के कारण अब बिरजू महाराज को कथक महाराज के नाम से जाना जाएगा। यह संस्कृति विभाग की पंडित बिरजू महाराज को सच्ची श्रद्धांजलि है।

 

कथक महाराज : बिरजू महाराज को अब कथक महाराज के नाम से जाना जाएगा 

शिष्या शाश्वती सेन और बेटी ममता महाराज ने कहा कि बिरजू महाराज ऐसे महान गुरु थे, जिन्होंने कई लोगों की आँखें खोली और सही रास्ता दिखाया। उन्होंने हमें एक नहीं अनेक विद्याओं की जानकारी दी और हमारा ज्ञानवर्धन किया। वास्तव में उनके जैसा गुरु मिल पाना मुश्किल है। वे मानो हर विषय में पारंगत थे। नृत्य तो वे करते ही थे सितार, सारंगी, वायलिन से लेकर तबला और पखावज तक सब ऐसे बजाते थे जैसे वे इन्हीं के लिए बने थे। गायन में भी शास्त्रीय से लेकर ग़ज़ल, ठुमरी और दादरा सब कुछ किसी मंझे कलाकार की तरह गाते थे। वे कविताएँ लिखते, तो लगता कि वे कवि हैं, पेंटिंग करते तो लगता कि वे चित्रकार हैं। वास्तव में वे अदभुत पुरूष थे।

 

बिरजू महाराज की बेटी ममता महाराज ने बताया कि उन्होंने बाबू (घर में बच्चे बिरजू महाराज को इसी संबोधन से बुलाते थे) को देख-देख कर बहुत कुछ सीखा है। उनकी बॉडी लेंग्वेज को समझा। मूवमेंट, अंग, नृत्य और पद संचालन सब उन्हें देखकर सीखा। उन्होंने कथक को नई पीढ़ी खासकर बच्चों में लोकप्रिय बनाने के लिए काफी काम किया। इसके लिए उन्होंने ऐसी गतें, तिहाइयाँ बनाई कि नीरस लगने वाला कथक लोगों को आसानी से समझ आने लगा। कथक को लोकप्रिय बनाने में उनका बड़ा योगदान है। कार्यक्रम में प्रख्यात चित्रकार श्री लक्ष्मीनारायण भावसार ने भी बिरजू महाराज से जुड़े कुछ संस्मरण साझा किए।

 

दूसरे सत्र में प्रख्यात पुरातत्वविद डॉ. शिवकांत बाजपेयी ने खजुराहो के मंदिरों के संदर्भ में पुरातत्व और नृत्य संगीत के अंतरसंबंधों पर प्रामाणिक ढंग से चर्चा की। उन्होंने कहा कि खजुराहो के मंदिर पर उत्कीर्ण मूर्तियाँ ताल, मान और प्रमाण से बनाई गई हैं। इनका संस्कृति और आध्यात्म से गहरा रिश्ता है। उन्होंने बताया कि आज जो भी शास्त्रीय नृत्य प्रचलित हैं, उनकी अनेक मुद्राएँ आपको इन मूर्तियों में दिखेगी।

 

खजुराहो नृत्य महोत्सव 2022 में पंडित बिरजू महाराज पर विशेष आवरण जारी

 

डाक विभाग ने खजुराहो नृत्य महोत्सव में पंडित बिरजू महाराज पर विशेष आवरण जारी किया। प्रयाग फ़ैलेटिलिक सोसायटी के सचिव श्री राहुल गांगुली ने खजुराहो पोस्ट ऑफिस की तरफ से आवरण जारी किया। इस मौके पर उप निदेशक श्री राहुल रस्तोगी, शिष्या शाश्वती सेन, पुत्री ममता महाराज और श्री लक्ष्मीनारायण भावसार उपस्थित थे।

 

चल-चित्र में बिरजू महाराज पर फिल्मों का प्रदर्शन

 

समारोह की दूसरी महत्वपूर्ण गतिविधि चल-चित्र के तहत शाम 4 बजे कथक सम्राट पंडित बिरजू महाराज पर केंद्रित फिल्मों का प्रदर्शन किया गया। चल-चित्र समारोह में यह प्रयास किया गया है कि सभी विधाओं के कलाकारों पर केन्द्रित नॉन फीचर फिल्म, वृत्तचित्र, लघु वृत्तचित्र आदि प्रदर्शित कर और उन पर कला जगत की हस्तियों के साथ जीवंत संवाद किया जाए। इसी क्रम में श्री राज बेंद्रे द्वारा संयोजित कुछ विशिष्ट फिल्मों का प्रदर्शन किया गया। यह फिल्में पंडित बिरजू महाराज के नृत्य और सांगीतिक अवदान पर केंद्रित थी। इनमें बिरजू महाराज के व्यक्तित्व और कृतित्व पर समग्रता से रोशनी डाली गई।