जयप्रकाश नारायण के बारे में जानकारी
Jayaprakash Narayan Short Biography in Hindi
जयप्रकाश नारायण के बारे में जानकारी Jayaprakash Narayan Short Biography in Hindi
जन्म -11 अक्तूबर, 1902
मृत्यु - 8
अक्टूबर, 1979
जयप्रकाश नारायण का जन्म 11 अक्तूबर, 1902 को बलिया (उत्तर प्रदेश) ज़िले के सिताब दियारा (Sitab diara) गाँव में हुआ था।
जयप्रकाश नारायण की शिक्षा संयुक्त
राज्य अमेरिका के विश्वविद्यालयों में हुई जहाँ वे मार्क्सवादी विचारधारा के
समर्थक बन गए।
वर्ष 1929 में भारत लौटने पर वह भारतीय राष्ट्रीय काॅन्ग्रेस (Indian National Congress) में शामिल हो गए।
वर्ष 1932 में उन्हें भारत में ब्रिटिश शासन के खिलाफ सविनय अवज्ञा आंदोलन में
भाग लेने के लिये एक वर्ष के कारावास की सज़ा सुनाई गई थी।
जेल से रिहाई के बाद उन्होंने
काॅन्ग्रेस पार्टी के भीतर एक वामपंथी समूह ‘काॅन्ग्रेस
सोशलिस्ट पार्टी’
(Congress Socialist Party) के गठन में अग्रणी भूमिका निभाई।
द्वितीय विश्व युद्ध में ब्रिटेन के
पक्ष में भारतीयों की भागीदारी का विरोध करने के कारण वर्ष 1939 में उन्हें फिर से जेल में डाल दिया
गया।
वर्ष 1946 में उन्होंने काॅन्ग्रेस नेताओं को ब्रिटिश शासन के खिलाफ अधिक
उग्रवादी नीति अपनाने की सलाह दी।
वर्ष 1948 में उन्होंने काॅन्ग्रेस के अधिकांश समाजवादी नेताओं के साथ मिलकर
काॅन्ग्रेस पार्टी छोड़ दी और वर्ष 1952
में प्रजा सोशलिस्ट पार्टी (Praja Socialist Party) बनाई।
किंतु जल्द ही राजनीति से असंतुष्ट
होकर उन्होंने वर्ष 1954 में घोषणा की कि वे अपना जीवन भूदान
आंदोलन के लिये समर्पित करेंगे जिसकी स्थापना विनोबा भावे ने की थी।
वर्ष 1959 में उन्होंने गाँव, ज़िला, राज्य एवं संघ परिषदों के चार स्तरीय
पदानुक्रम के माध्यम से ‘भारतीय राजनीति के पुनर्निर्माण’ की अवधारणा प्रस्तुत की।
जब इंदिरा गांधी को इलाहाबाद उच्च
न्यायालय द्वारा चुनावी कानूनों का उल्लंघन करने का दोषी पाया गया था तो जयप्रकाश
नारायण ने इंदिरा गांधी एवं राज्यों के मुख्यमंत्रियों पर इस्तीफा देने का दबाव
बनाया तथा सेना एवं पुलिस से असंवैधानिक और अनैतिक आदेशों की अवहेलना करने का
आग्रह किया। वर्ष 1974 में उन्होंने सामाजिक परिवर्तन के
लिये एक कार्यक्रम की वकालत की जिसे उन्होंने सार्वजनिक जीवन में भ्रष्टाचार के
खिलाफ संपूर्ण क्रांति करार दिया।
संपूर्ण क्रांति: संपूर्ण क्रांति सात क्रांतियों (राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक, वैचारिक या बौद्धिक, शैक्षिक एवं आध्यात्मिक) का एक संयोजन है।
इसका मुख्य उद्देश्य मौजूदा समाज में एक बदलाव लाना था जो सर्वोदय के आदर्शों के अनुरूप हो।
स्वतंत्रता संग्राम में अमूल्य योगदान
और गरीबों एवं दलितों के उत्थान के लिये जयप्रकाश नारायण को मरणोपरांत भारत का
सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार ‘भारत रत्न’ प्रदान किया गया।