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शनिवार, 19 मार्च 2022

रामकृष्ण आंदोलन पर टिप्पणी लिखिए | रामकृष्ण आंदोलन के उद्देश्य क्या थे | RamKrishna Aandolan Uddeshya

 रामकृष्ण आंदोलन पर टिप्पणी लिखिए , रामकृष्ण आंदोलन के उद्देश्य क्या थे 

रामकृष्ण आंदोलन पर टिप्पणी लिखिए | रामकृष्ण आंदोलन के उद्देश्य क्या थे | RamKrishna Aandolan Uddeshya


रामकृष्ण आंदोलन पर टिप्पणी लिखिए

रामकृष्ण परमहंस एक रहस्यवादी थे जिन्होंने त्यागध्यान और भक्ति के पारंपरिक तरीकों से धार्मिक मुक्ति मांगी।

वह एक ऐसे संत थे जिन्होंने सभी धर्मों की मौलिक एकता को पहचाना और इस बात पर ज़ोर दिया कि ईश्वर और मोक्ष प्राप्ति के कई रास्ते हैं तथा मनुष्य की सेवा ही ईश्वर की सेवा है।

 रामकृष्ण परमहंस के शिक्षण ने रामकृष्ण आंदोलन का आधार निर्मित किया।


रामकृष्ण आंदोलन के उद्देश्य  क्या थे 

त्याग और व्यावहारिक आध्यात्मिक जीवन के लिये समर्पित संतों के समूह को एक साथ लानाजिनमें शिक्षकों और कार्यकर्ताओं को रामकृष्ण के जीवन के बारे में सचित्र वेदांत के सार्वभौमिक संदेश को फैलाने के लिये भेजा जाता था।

सामान्य शिष्यों के साथ मिलकर सभी पुरुषोंमहिलाओं और बच्चों कोचाहे वे किसी भी जातिपंथ या वर्ण के होंईश्वर की वास्तविक अभिव्यक्ति के रूप में उपदेशपरोपकारी और धर्मार्थ कार्यों को जारी रखने के लिये।

स्वामी विवेकानंद ने वर्ष 1987 में रामकृष्ण मिशन की स्थापना कीजिसका नाम उनके गुरु स्वामी रामकृष्ण परमहंस के नाम पर रखा गया। इस संस्था ने भारत में व्यापक स्तर पर शैक्षिक और परोपकारी कार्य किये।

स्वामी विवेकानंद ने वर्ष 1893 में शिकागो (यू.एस.) में आयोजित पहली धर्म संसद में भारत का प्रतिनिधित्व किया।

उन्होंने मानवीय राहत और सामाजिक कार्यों के लिये रामकृष्ण मिशन का इस्तेमाल किया।

मिशन अब भी धार्मिक और सामाजिक सुधार के लिये प्रतिबद्ध है। विवेकानंद ने सेवा के सिद्धांत-सभी प्राणियों की सेवा की वकालत की।

उनका कहना था कि नर की सेवा (जीवित वस्तुओं) ही नारायण की पूजा है। जीवन ही धर्म है।

सेवा से ही मनुष्य के भीतर परमात्मा विद्यमान रहता है। विवेकानंद मानव जाति की सेवा में प्रौद्योगिकी और आधुनिक विज्ञान के उपयोग के पक्षधर थे।