रामकृष्ण आंदोलन पर टिप्पणी लिखिए , रामकृष्ण आंदोलन के उद्देश्य क्या थे
रामकृष्ण आंदोलन पर टिप्पणी लिखिए
रामकृष्ण परमहंस एक रहस्यवादी थे जिन्होंने त्याग, ध्यान और भक्ति के पारंपरिक तरीकों से धार्मिक मुक्ति मांगी।
वह एक ऐसे संत थे जिन्होंने सभी धर्मों की मौलिक एकता को पहचाना और इस बात पर ज़ोर दिया कि ईश्वर और मोक्ष प्राप्ति के कई रास्ते हैं तथा मनुष्य की सेवा ही ईश्वर की सेवा है।
रामकृष्ण परमहंस के शिक्षण ने रामकृष्ण आंदोलन का आधार निर्मित किया।
रामकृष्ण आंदोलन के उद्देश्य क्या थे
त्याग और व्यावहारिक आध्यात्मिक जीवन के लिये समर्पित संतों के समूह को एक साथ लाना, जिनमें शिक्षकों और कार्यकर्ताओं को रामकृष्ण के जीवन के बारे में सचित्र वेदांत के सार्वभौमिक संदेश को फैलाने के लिये भेजा जाता था।
सामान्य शिष्यों के साथ मिलकर सभी पुरुषों, महिलाओं और बच्चों को, चाहे वे किसी भी जाति, पंथ या वर्ण के हों, ईश्वर की वास्तविक अभिव्यक्ति के रूप में उपदेश, परोपकारी और धर्मार्थ कार्यों को जारी रखने के लिये।
स्वामी विवेकानंद ने वर्ष 1987 में रामकृष्ण मिशन की स्थापना की, जिसका नाम उनके गुरु स्वामी रामकृष्ण परमहंस के नाम पर रखा गया। इस संस्था ने भारत में व्यापक स्तर पर शैक्षिक और परोपकारी कार्य किये।
स्वामी विवेकानंद ने वर्ष 1893 में शिकागो (यू.एस.) में आयोजित पहली धर्म संसद में भारत का प्रतिनिधित्व किया।
उन्होंने मानवीय राहत और सामाजिक कार्यों के लिये रामकृष्ण मिशन का इस्तेमाल किया।
मिशन अब भी धार्मिक और सामाजिक सुधार के लिये प्रतिबद्ध है। विवेकानंद ने सेवा के सिद्धांत-सभी प्राणियों की सेवा की वकालत की।
उनका कहना था कि नर की सेवा (जीवित वस्तुओं) ही नारायण की पूजा है। जीवन ही धर्म है।
सेवा से ही मनुष्य के भीतर परमात्मा विद्यमान रहता है। विवेकानंद मानव जाति की सेवा में प्रौद्योगिकी और आधुनिक विज्ञान के उपयोग के पक्षधर थे।