भारत शब्द कर अर्थ एवं व्याख्या
(Bharat word Meaning and Explanation )
भारत शब्द कर अर्थ एवं व्याख्या
- स्वयं भारत शब्द भी एक भू सांस्कृतिक अवधारणा को ही प्रस्तुत करता हैं, भारतीय संस्कृति में भूमि को माता माना गया है, एक भूमि पर रहने वाले समस्त जन उसके पुत्र हैं, भारत जो इस देश के पूर्वजों में श्रेष्ठतम हैं, उसके नाम पर इसे भारत कहा गया हैं। माता को ज्येष्ठ पुत्र के नाम से जोड़ कर बुलाने की परंपरा भी इस भूमि पर प्राप्त होती हैं।
- भारत शब्द का दूसरा अर्थ यह भी प्राप्त होता हैं कि 'भा' यानि प्रकाश, 'रत' यानि लगा हुआ, अर्थात् प्रकाश की प्राप्ति में लगे हुए लोगों का जो जन भूमि संघात है, वह ही भारत हैं।
- राष्ट्र शब्द वैदिक काल से ही अपने मूल अर्थ में प्राप्त होता हैं। राष्ट्र एक सुघटित इकाई हैं, राज्य या किसी प्रकार की शासकीय सत्ता से इसका अर्थ सम्बन्ध रंच मात्र का भी नहीं हैं, माता भूमि, भारती वाक्, राष्ट्र इन वैदिक अवधारणाओं का पल्लवन ही भारत हैं।
- इस भारतवर्ष को एक यज्ञ वेदी के रूप में प्रस्तुत किया गया हैं। जो उत्तर की ओर ऊँची हैं, दक्षिण की ओर ढलुआ है। इसे बाणयुक्त चढ़ा हुआ धनुष कहा गया हैं। हिमालय का विस्तार उस धनुष का आधार दण्ड हैं और दक्षिणपथ खिंची हुई डोरी, जिसके बीच में बाण रखा हुआ हैं। कन्याकुमारी का अन्तरीप उस बाण की नोक हैं। इस भू-सांस्कृतिक अवधारणा का वर्णन सम्पूर्ण भारतीय साहित्य में प्राप्त होता हैं ।
- वेद जीवन की श्रेष्ठता को राष्ट्रीय सम्पन्नता की मांग में देखते हैं, तो पुराण भारतवर्ष का विहंगम मानचित्र खींचते हैं, पर्वतों एवं नदियों के माध्यम से समूचे भारत का विस्तृत वितान प्रस्तुत करते हैं।
- जीवन पद्धति की दृष्टि से भी प्रातः उठकर, स्नान करते समय, उपासना के समय, सोते समय, नदियों, नगरों, महापुरूषों के स्मरण का एक ऐसा विधान नियोजित होता है जो किसी अन्य संस्कृति में दुर्लभ हैं। पूरब के व्यक्ति को पश्चिम से, पश्चिम के व्यक्ति को पूरब से, उतर का दक्षिण से, दक्षिण को उतर से प्रतिदिन के व्यवहार में जोड़ने और सुदूर भारत को अपने नित्य के अनुभव का विषय बनाने की जो अनुपम विधि प्रस्तावित की गयी हैं, वह उत्कृष्टतम हैं।
- यह भारत-भाव ही जीवन विधि हैं, भारत-भाव की प्रतिष्ठा मात्र, भारत के लिए नहीं हैं, वह तो तभी चरितार्थ होता है जब हम अपने दायित्वों को करते हुए, सबमें अपनी चेतना का दर्शन करते हुए, सबकी पीड़ा बांटते हुए, समस्त सृष्टि के कल्याण के लिए आकुलता का जागरण करते हुए, अपनी भारतीयता को प्रमाणित करें ।