जल्लीकट्टू परंपरा क्या है, जलीकट्टू के बारे में जानकारी, Jalikattu Details in Hindi
जल्लीकट्टू परंपरा क्या है
जल्लीकट्टू लगभग 2,000 वर्ष पुराना एक
प्रतिस्पर्द्धी खेल होने के साथ ही बैल मालिकों को सम्मानित करने का एक कार्यक्रम
भी है, जिन्हें वे
प्रजनन के लिये पालते हैं।
यह एक हिंसक खेल
है जिसमें प्रतियोगी पुरस्कार प्राप्त करने के लिये बैल को वश/नियंत्रण में करने
की कोशिश करते हैं; यदि प्रतियोगी
बैल को वश में करने में असफल होते हैं, तो उस स्थिति में बैल मालिक को पुरस्कार मिलता है।
जल्लीकट्टू से संबंधित
क्षेत्र:
यह जल्लीकट्टू बेल्ट के नाम से विख्यात तमिलनाडु
के मदुरई, तिरुचिरापल्ली, थेनी, पुदुक्कोट्टई और
डिंडीगुल ज़िलों में लोकप्रिय है।
जल्लीकट्टू कार्यक्रम का
समय:
यह फसल कटने के
समय तमिल त्योहार पोंगल के दौरान जनवरी के दूसरे सप्ताह में मनाया जाता है।
जलीकट्टू का महत्त्व:
जल्लीकट्टू को
किसान समुदाय के लिये अपनी शुद्ध नस्ल के सांडों को संरक्षित करने का एक पारंपरिक
तरीका माना जाता है।
वर्तमान समय में
जब पशु प्रजनन अक्सर एक कृत्रिम प्रक्रिया के माध्यम से होता है, ऐसे में
संरक्षणवादियों और किसानों का तर्क है कि जल्लीकट्टू इन नर पशुओं की रक्षा करने का
एक तरीका है, अन्यथा जुताई में इनकी उपयोगिता घटने के साथ इनका
उपयोग केवल मांस के लिये ही किया जाता है।
जल्लीकट्टू के
लिये इस्तेमाल किये जाने वाले लोकप्रिय देशी मवेशी नस्लों में कंगायम, पुलिकुलम, उमबलाचेरी, बारगुर और मलाई
मडु आदि शामिल हैं। स्थानीय स्तर पर इन उन्नत नस्लों के मवेशियों को पालना सम्मान
की बात मानी जाती है।
जल्लीकट्टू और कानून
वर्ष 2011 में केंद्र सरकार द्वारा बैलों को उन जानवरों की
सूची में शामिल किया गया जिनका प्रशिक्षण और प्रदर्शनी प्रतिबंधित है।
वर्ष 2014 में सर्वोच्च न्यायालय में वर्ष 2011 की अधिसूचना का हवाला देते हुए एक याचिका दायर की गई थी जिस पर फैसला सुनाते सर्वोच्च न्यायालय ने जल्लीकट्टू पर प्रतिबंध लगा दिया।