चाणक्य के अनुसार किन्हें पैर से नहीं छूना चाहिए
पादाभ्यां न स्पृशेदग्निं गुरु ब्राह्मणमेव च ।
नैव गां न कुमारी च न वृद्धं न शिशुं तथा ॥ ॥ अध्याय-7 श्लोक- 6॥
शब्दार्थ -
अग्नि को गुरु को और ब्राह्मण को पैरों से नहीं छूना चाहिए न ही गौ को और न कन्या को, न वृद्ध को और न शिशु को ही पैर से छूना चाहिए।
विमर्श -
अग्नि को पैर से छूने से पैर जल सकते हैं। गुरु, ब्राह्मण और वृद्ध पूज्य होते हैं, अतः इनको पैर नहीं लगाना चाहिए। कुमारी (कन्या) और शिशु छोटे होने पर भी आदरणीय हैं, ये भावी राष्ट्र के निर्माता हैं, अतः इन्हें भी पैर से नहीं छूना चाहिए।
अग्नि को पैर से छूने से पैर जल सकते हैं। वैसे भी अग्नि देवता है। देवताओं का अपमान नहीं करना चाहिए । हिन्दू धर्म में अग्नि को सबसे ज्यादा पवित्र माना गया है। इसलिए अग्नि को साक्षी मानकर महत्वपूर्ण काम किए जाते हैं। जिसका हम सम्मान करते हैं, उसे पैरों से नहीं छूना चाहिए। यही बात अन्य सभी में भी लागू होती है। गुरु, ब्राह्मण और वृद्ध पूज्य व सम्माननीय होते हैं, इसलिए इनको पैर नहीं लगाना चाहिए । कुमारी (कन्या) और शिशु छोटे होने पर भी आदरणीय हैं, ये भावी राष्ट्र के निर्माता है, अतः इन्हें भी पैर से नहीं छूना चाहिए । अथर्ववेद में भी गाय को पैर लगाने पर दण्ड का प्रावधान है।