दतिया जिले के पर्यटन स्थल की जानकारी Datia District Tourist Point Details in Hindi
दतिया जिले के पर्यटन स्थल की जानकारी
देश की विख्यात शक्तिपीठ में से एक है
माँ पीताम्बरा शक्ति पीठ। तांत्रिक पूजा की प्रसिद्ध शक्तिपीठ में अरुणाचल प्रदेश
के कामाख्या और मध्यप्रदेश की दतिया स्थित शक्तिपीठ है। महाभारत में दतिया का
उल्लेख दैत्य वक्र के रूप में है। दतिया में बुंदेला राजा वीरसिंह द्वारा निर्मित
महल भारत में खूबसूरत महलों में गिना जाता है। राजा वीर सिंह अपनी राजधानी में
बनवाए गए जहाँगीर महल से संतुष्ट नहीं थे । 1620
ईस्वी में राजा वीर सिंह ने दतिया से 43
किलोमीटर दूर बुंदेला वास्तुकला से 7
मंजिल महल का निर्माण करवाया। वास्तुकला का नायाब नमूना वीर सिंह महल के नाम से
जाना जाता है। इस महल की आकृति इस प्रकार की है मानो पहाड़ पर कोई लुढ़कने वाला
पत्थर रख दिया हो। गुलाबी रंग की खूबसूरत 40
मीटर ऊंची बोगनवेलिया की बेल इस महल की खूबसूरती बढ़ाती है। प्रसिद्ध कला
इतिहासज्ञ पर्सीब्राउन ने वीरसिंह महल के बारे में लिखा है कि महल सिद्धांत के
आधार पर बना है। महल का निर्माण इस तरह किया गया है कि जहाँ भूतल में सभागृह है।
धरातल के पाषाण खंडों पर बहुमंजिला महल बनाया गया है। ग्रीष्म ऋतु में भूतल पर बने
विशाल सभागृह बेहद ठंडक देने वाले हैं । इस महल के समकक्ष निर्मित महल मुगल वास्तु
शास्त्र के हिसाब से हैं। इसी समय हिंदुओं के पवित्र प्रतीक चिन्ह स्वास्तिक भी
बनाने की योजना थी ।
दतिया में पूर्व दिशा से प्रवेश करने पर दक्षिण की ओर खूबसूरत झील कामसागर के नाम से मौजूद है। शाही अंदाज में बना शाही महल बहुउपयोगी बनाया गया। प्रथम तल पर बने बैरकनुमा कमरे अंधेरे में डूबे हुए हैं। इन कमरों में कैदियों को रखा जाता था। दूसरे तल पर सुरक्षा एवं सैन्य कर्मियों को रखा जाता था। तृतीय तल मनोरंजन के लिए निर्मित किया गया था। चौथी मंजिल पर शाही मेहमानों के लिए विशेष रूप से सज्जित कमरे बनाए गए हैं। पांचवीं मंजिल पर राजा का दीवाने आम बनाया गया था, जहाँ उनका न्याय दरबार लगता था। छठवीं मंजिल पर गोपनीय बैठक हुआ करती थी। इस बैठक में राजा और उनके भरोसेमंद पदाधिकारी भाग लेते थे। सातवीं मंजिल से चौकसी की जाती थी ताकि दुश्मन की गतिविधि का पता चल सके। इस महल के ऊपरी हिस्सों में सैलानियों को पूरे नगर का परिदृश्य देखने की अनुमति है। इस पूरे महल को किना लोहा और लकड़ी के बनाया गया है। पूरा महल सिर्फ पाषाण और इंट से बनाया गया है। ऊपरी मंजिल पर अंदरूनी दीवारी पर बुंदैला कला का चित्रण किया गया है। दीवारों पर किया गया जाली का काम नायाब है। वीरसिंह महल न सिर्फ अनूठा है। वस्तू उन्मुक्त शासनकाल का गवाह है। दतिया नगर अनेक सुंदर मंदिरों के कारण पहचाना जाता है। मंदिरों की श्रृंखला के कारण दतिया को लघु वृंदावन भी कहा जाता है।
पीताम्बरा पीठ
सबसे ज्यादा प्रसिद्ध और प्रमुख मंदिर पीताम्बरा पीठ है। नौ देवियों में युवती, बपुलामुखी और महादेवी के सिद्ध स्थान पीताम्बरा पीठ में हैं। पीताम्बरा पीठ के दर्शन के लिए स्थानीय और बाहर के लोग दर्शनार्थ आते हैं। शनिवार को दर्शन करने वालों की भीड़ ज्यादा रहती है। शक्ति पीठ परिसर में परशुराम, हनुमानजी, कालभैरव के स्थान है। भगवान शिव का बनखंडेश्वर मंदिर महाभारत काल का बताया जाता है। दतिया के अवधविहारी मंदिर, शिवपर मंदि विजय राघव मंदिर और बिहारी जी मंदिर भी दर्शनीय हैं।
पीताम्बरा पीठ के पास पहाड़ी पर बना
राजगढ़ महल, भरतगढ़ किला, कर्णसागर तालाब और घाट, ध्वस्त मंदिर और आसपास की छनिया दतिया की पहचान
हैं। दतिया से 15 किलोमीटर दूर खेत संगमरमर के पत्थरों
से दमकता मंदिर जैन मतावलंबियों को आस्था का केंद्र है। यह स्थान स्वर्णगिरी, सोनागिरी के नीम से मशहूर है। सोनागिरी में 77 मंदिर पहाड़ों पर तथा 26 मंदिर पहाड़ी से नीचे गांव में स्थित हैं।
अत्यंत सफेदी से चमकते सदिसले की तुलना अन्यों की खूबसूरती से की गई है। जैन धर्म
के 24 तीर्थकरों में आठवें तीर्थंकर
चंद्रनाथ प्रभु को समर्पिता ((मार्च-अप्रैल) माह से मरने वाले मेले में पूरे भारत
से हजारों लोग भाग लेते हैं।
दतिया पहुंचने के लिए हवाई मार्ग से
ग्वालियर जाना पड़ता है। नालियर से किलोमीटर की दूरी पर है। सबसे नजदीक रेलवे
स्टेशन 35 किलोमीटर दूर झांसी रेलवे स्टेशन है।
बांदी