भारत में खेलों से जुडी संस्थाओं का इतिहास
राष्ट्रमंडल खेल और भारत
- राष्ट्रमंडल खेलों का 21वाँ संस्करण बर्मिंघम, यूनाइटेड किंगडम में उद्घाटन समारोह के साथ शुरू हुआ। प्रतिस्पर्द्धा में भारत एक प्रबल दल के रूप में आगे बढ़ रहा है।
- भारत की अर्थव्यवस्था और देश की युवा जनसांख्यिकी को देखते हुए भारत में खेलों का आख्यान एक परिवर्तन के दौर से गुज़र रहा है। लेकिन क्रिकेट और निशानेबाजी जैसे कुछ खेलों को छोड़ दें तो भारत में खेल प्रतिस्पर्द्धाओं के प्रति बढ़ती दिलचस्पी आवश्यक रूप से समग्र खेल क्षेत्र में बेहतर प्रदर्शन में रूपांतरित नहीं हो रही।
- भारतीय खेल क्षेत्र में उच्च स्तर की जटिलता मौजूद है क्योंकि भारत में खेल के वितरण और प्रबंधन के लिये विविध संगठन (जैसे शासी निकाय, निजी कंपनियाँ, गैर-लाभकारी संस्थाएँ, आदि) ज़िम्मेदार हैं। इसके साथ ही भारत में खेल क्षेत्र का वृहत आकार और व्यापक जटिलताएँ इसके लिये कई प्रकार की विशिष्ट शासन चुनौतियाँ उत्पन्न करता है।
भारत में खेलों से जुडी संस्थाओं का इतिहास
अखिल भारतीय खेल परिषद
1950 के दशक की शुरुआत में केंद्र सरकार ने देश में
खेलों के गिरते मानकों पर विचार करने के लिये अखिल भारतीय खेल परिषद (All India Council of Sports- AICS) की स्थापना की।
युवा कार्यक्रम और खेल विभाग
वर्ष 1982
में नई दिल्ली में एशियाई खेलों के आयोजन दौरान देश में सर्वप्रथम एक खेल विभाग (Department of Sports) की स्थापना की गई जिसे वर्ष 1985 में अंतर्राष्ट्रीय युवा वर्ष के अवसर पर युवा
कार्यक्रम और खेल विभाग (Department
of Youth Affairs and Sports) में बदल दिया गया।
राष्ट्रीय खेल नीति वर्ष 1984 में घोषित हुई।
वर्ष 2000
में युवा कार्यक्रम और खेल विभाग को युवा कार्यक्रम और खेल मंत्रालय में रूपांतरित
कर दिया गया।
वर्ष 2011 में युवा कार्यक्रम और खेल मंत्रालय ने भारत के राष्ट्रीय खेल विकास संहिता, 2011 (National Sports Development Code of India 2011) को अधिसूचित किया।
वर्ष 2022
में नागरिक उड्डयन मंत्रालय द्वारा एरोबेटिक्स, एरो
मॉडलिंग, बैलूनिंग, ड्रोन, हैंग
ग्लाइडिंग और पावर्ड हैंग ग्लाइडिंग, पैराशूटिंग
आदि के लिये राष्ट्रीय वायु खेल नीति, 2022 (NASP 2022) लॉन्च की गई।
भारत में खेल शासन का वर्तमान मॉडल
खेल शासन के भारतीय मॉडल में युवा कार्यक्रम और
खेल मंत्रालय (MYAS), भारतीय ओलंपिक संघ (IOA), राज्य ओलंपिक संघ (SOA), राष्ट्रीय खेल महासंघ (NSF), भारतीय खेल प्राधिकरण (SAI) जैसे कई हितधारक संलग्न हैं।
उनके मध्य व्यवस्थाओं का एक व्यापक स्तरीय
ग्राफ़िक निरूपण इस प्रकार किया जा सकता है:
भारत में खेल शासन और समस्याएँ
अधिकारों और उत्तरदायित्व का अस्पष्ट सीमांकन:
खेल से कई अलग-अलग पक्षकार संबद्ध हैं। वर्तमान में भारतीय खेल के अंदर प्रबंधन और
शासन के बीच बहुत कम अंतर है। कई भारतीय खेल संगठनों में कार्यकारी समिति (शासन के
लिये प्रत्यक्ष रूप से उत्तरदायी निकाय) आमतौर पर स्वयं ही प्रबंधन कार्य से भी
संलग्न होती है।
नियंत्रण और संतुलन का अभाव:
स्वायत्तता के नाम
पर बिना किसी नियंत्रण और संतुलन के उन्हें किसी भी तरह से कार्य करने की अनुमति
दे दी गई है।
पारदर्शिता और जवाबदेही की कमी:
वर्तमान खेल
मॉडल में जवाबदेही की समस्याएँ हैं (जैसे कि उन्हें प्राप्त असीमित विवेकाधीन
शक्तियाँ), जबकि राजस्व प्रबंधन में अनियमितता के
साथ ही निर्णय लेने में पारदर्शिता के अभाव की स्थिति नज़र आती है।
उदाहरण के लिये, जुलाई 2010 में केंद्रीय सतर्कता आयोग (CVC) ने एक रिपोर्ट जारी की जिसमें दिखाया गया कि
भारत में आयोजित राष्ट्रमंडल खेलों की 14
परियोजनाओं में अनियमितताएँ बरती गई थीं।
वर्ष 2013
में इंडियन प्रीमियर लीग स्पॉट फिक्सिंग और सट्टेबाजी का मामला उजागर हुआ जब
दिल्ली पुलिस ने कथित स्पॉट फिक्सिंग के आरोप में तीन क्रिकेटरों को गिरफ्तार
किया।
इसके बाद भारत के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा
लोढ़ा समिति की नियुक्ति की गई जिसे मामले के विश्लेषण के साथ ही भारतीय क्रिकेट
कंट्रोल बोर्ड (BCCI) में सुधार के लिये कार्यान्वयन योग्य
अनुशंसाएँ करनी थी।
अपर्याप्त व्यावसायीकरण:
कई भारतीय खेल संगठनों, विशेष रूप से शासी निकायों ने व्यावसायिक और
पेशेवर क्षेत्र की संबद्ध चुनौतियों का मुक़ाबला करने के लिये संरचनात्मक अनुकूलन
की स्थापना नहीं की है।
ये संगठन बढ़े हुए कार्यभार को संभालने के लिये
कुशल पेशेवरों को कार्य नियुक्त करने के बजाय संगठन के कार्यकरण प्रबंधन के लिये
अभी भी स्वयंसेवकों पर निर्भर बने हुए हैं।
शौक बनाम पेशा:
भारत में खेल को इसकी निम्न
सफलता दर, शैक्षणिक दबाव और जॉब-सीकर मानसिकता के
कारण मुख्यतः एक शौक के रूप में ही देखा जाता है, जिससे युवाओं के लिये खेल को एक पेशे के रूप में लेकर आगे बढ़ाना
कठिन हो जाता है।
पर्याप्त अवसंरचना का अभाव: भारत में खेल
अवसंरचना की स्थिति अभी भी वांछित स्तर तक नहीं पहुँच पाई है। यह देश में खेल की
संस्कृति के विकास में बाधा उत्पन्न करती है।
भारत के संविधान के अनुसार खेल राज्य सूची का
विषय है, इसलिये पूरे देश में एकसमान रूप से खेल
अवसंरचना के विकास के लिये कोई व्यापक दृष्टिकोण मौजूद नहीं है।
प्रदर्शन बढ़ाने वाली दवाएँ: खेल क्षेत्र में
प्रदर्शन बढ़ाने वाली दवाओं (Performance Enhancing Drugs) का उपयोग अभी भी एक बड़ी समस्या है। देश में राष्ट्रीय डोपिंग रोधी
एजेंसी के निर्माण के बावजूद इस समस्या को अभी भी प्रभावी ढंग से संबोधित करने की
आवश्यकता है ।
खेल संस्कृति को बढ़ावा देने के लिये सरकार की
विभिन्न पहलें
फिट इंडिया मूवमेंट
खेलो इंडिया
SAI प्रशिक्षण केंद्र योजना
खेल प्रतिभा खोज पोर्टल
राष्ट्रीय खेल पुरस्कार योजना
टारगेट ओलंपिक पोडियम योजना